स्वामी विवेकानंद के शिकागो में संबोधन से भारत को मिली एक पहचान: स्वामी
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल में बुधवार को राष्ट्रीय युवा दिवस आयोजित किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि आंध्र समाज के अध्यक्ष जी। स्वामी ने कहा कि नरेंद्रनाथ दत्त यानी स्वामी विवेकानंद ने 25 वर्ष की उम्र में अध्यात्म का मार्ग अपनाया और 1893 में शिकागो में विश्व धार्मिक सम्मेलन में उन्होंने भारत और हिंदुत्व का ना केवल प्रतिनिधित्व किया बल्कि इतना प्रभावशाली भाषण दिया कि इसके बाद धर्म को लेकर लोगों का आकर्षण बढ़ा और भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में एक नई पहचान मिली।
महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय काले ने इस मौके पर कहा कि स्वामी विवेकानंद अपने आध्यात्मिक जीवन और ओजस्वी विचारों की वजह से भारत ही नहीं, पूरे विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनके विचार 'उठो। जागो और तब तक रुको नहीं, जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते', 'जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी', 'जो तुम सोचेगे, वह बन जाओगे, अगर अपने आपको कमजोर सोचगे तो कमजोर बन जाओगे और मजबूत सोचेगे तो सशक्त।' स्वामी विवेकानंद का जीवन प्रेरक और आत्मसात करने योग्य है।
इस अवसर पर महाराष्ट्र मंडल के उपाध्यक्ष श्याम सुंदर खंगन, सचिव चेतन दंडवते, सचेतक रविंद्र ठेंगड़ी, सह सचिव सुकृत गनोदवाले, मेस प्रभारी दीपक किरवईवाले, भवन प्रभारी रामदास जोगलेकर, कला- संस्कृति समिति के सह संयोजक अजय पोतदार, मेघा पोतदार सहित बड़ी संख्या में मंडल के पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे। सबसे पहले सदस्यों ने स्वामी विवेकानंद की फोटो पर माल्यार्पण कर उनका स्मरण किया।