छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को संजोए रखने के लिए युवाओं ने किया ‘उजियार’
रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को सहेजने के लिए "उजियार...हमर चिन्हारी के" सुंदर और सफल आयोजन श्री हरदेव लाला मंदिर टिकरापारा में संपन्न हुआ। कार्यक्रम तीन सत्र में हुआ जिसमें पहले सत्र में धान और बांस शिल्पकला में पहुंचे बच्चे, युवा और बुजुर्गों के साथ मुख्य अतिथि भी शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ पीसी लाल यादव ने कहा बांस और धान शिल्पकला में शामिल होकर मुझे मेरा बचपन याद आ गया।
दूसरे सत्र में युवा लेखकों के साथ-साथ पुराने लेखक/कवियों को सम्मान देने के उद्देश्य से "हमर गुरतुर गोठ (छत्तीसगढ़ी ओपन माईक) का आयोजन किया गया। इसी कड़ी में लोक गीतों व नृत्यों प्रस्तुतियां भी हुई। कार्यक्रम के तीसरे व अंतिम सत्र में लोकनृत्य कर्मा, सुआ, पंथी के सामूहिक प्रस्तुति हुई जिसमें लगभग 2000 से ज्यादा लोग उपस्थित हुए और लोकगीतों की थाप में झूमे। हमारी संस्कृति हमारी चिन्हारी को संजोए रखने के लिए शहर के इस वृहद आयोजन में राज्य के कोने-कोने से संस्कृति से प्रेम करने वाले लोग जुड़े।
उजियार के संस्थापक और संयोजक नागेश वर्मा जी ने बाताया कि उजियार एक यात्रा है, जिसमें वर्तमान के युवा पीढ़ी को अपनी भाषा, संस्कृति से जोड़ने के लिए यह भव्य आयोजन है। उजियार के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सभी का सहयोग मिला। कार्यक्रम का संचालन वेद प्रकाश साहू, ऋचा वर्मा और हर्षिका ध्रुव ने किया। उजियार परिवार के सदस्य में सह संस्थापक आदित्य साहू, जीतू दुलरवा, गोपिका साहू, प्रांजल राजपूत, मुकेश साहू, दुष्यंत साहू, कोमलकांत, नितेश, खेमराज, भानुजा, पायल विशाल, बलराम, ललित साहू, नीतीश यादव, लोकेश साहू, सुनीता और पायल सभी कलाकार जुड़े।
इस वर्ष उजियार में विशेष सजावट गांव के परिवेश में किया गया जिसमें पुराने समय की पहचान खुमरी, नांगर, रापा, कुदारी, खरही, सभी वस्तुओं का दिखाने का प्रयास हुआ। धन कलाकारी में धान से बने माला राखी और आभूषण बांस शिल्प कला में फूलदा, आभूषण, गमला, तरोई लैम्प, आदि सिखाए गए कार्यशाला को रामकुमार पटेल और चंद्र प्रकाश के द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में रायपुर जिला के अलावा अन्य जिला भिलाई दुर्ग बिलासपुर दंतेवाड़ा रायगढ़ कोरबा धमतरी कोरिया सूरजपुर खैरागढ़ से कला संस्कृति से प्रेम करने वाले उपस्थित रहे जिन्होंने ओपन माइक में अपनी प्रस्तुति देने के बाद सामूहिक नृत्य में भी आनंद लिया।