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नववर्ष में सजा माता का दरबार... देवी मंदिरों में उमड़े भक्त

रायपुर। बुधवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ नव संवत्सर 2080 प्रारंभ हो गया। इसके साथ ही चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो गई। इस बार संयोग से नवरा​त्रि पूरे 9 दिनों की है, जिसकी वजह से इस बार यह पर्व और भी ज्यादा खास हो गया है। इन 9 दिनों में माता के 9 अलग-अलग रूपों की अराधना होगी। 22 मार्च से शुरू होकर इस बार नवरात्रि 30 मार्च तक चलेगी। 

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्रि के साथ ही नव संवत्सर यानी हिंदू नववर्ष भी शुरू होता है, इस दौरान पुरुषार्थ सिद्धि के लिए दुर्गा पूजन के साथ-साथ सप्तशती का पाठ भी किया जा सकता है। 30 मार्च 2023 को भगवान श्री राम का जन्म यानी रामनवमी मनाई जाएगी। अनेकों सिद्ध एवं शुभ योगों के साथ यह नौ दिन सभी राशि वाले जातकों के लिए फायदेमंद रहेंगे। 

नवरात्रि का प्रारंभ गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, हंस योग, शश योग, धर्मात्मा और राजलक्ष्मण योग के साथ-साथ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र जिसके स्वामी स्वयं शनि है, के साथ हो रहा है, इस वजह से यह पर्व और भी ज्यादा शुभ प्रभाव देने वाला होगा। इसलिए इन नौ दिनों में प्रत्येक राशि के जातक देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत रखकर अपने जीवन में आने वाली प्रत्येक समस्या को दूर कर सकते हैं। 
 
मान्यता है कि नवरात्रि के पर्व तथा नव संवत्सर के प्रारंभ की तिथि से ही सृष्टि की रचना का क्रम शुरू हुआ था। विक्रमादित्य पंचांग अर्थात विक्रम संवत भी चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही प्रारंभ हुआ था इसलिए नव संवत्सर की शुरुआत के तौर पर मनाया जाता है। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष तिथि को रेवती नक्षत्र में विष्कुंभ योग के साथ भगवान के मत्स्य रूप का प्रादुर्भाव भी हुआ था, इसलिए सतयुग का प्रारंभ भी इसी तिथि से माना जाता है। चैत्र मास की नवरात्रि को विशेष महत्व दिया जाता है जिसे बड़ी नवरात्रि के रूप में भी मनाया जाता है। इसका एक नाम वासंतिक नवरात्र भी है।
     
नवरात्रि के ये नौ दिन मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उत्तम माने जाते हैं। इन नौ दिनों में भक्त तरह-तरह उपायों से देवी मां को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।