मनोरंजन
प्रधानमंत्री ने महान गायक मोहम्मद रफी को उनकी 100वीं जयंती पर याद किया
नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महान गायक मोहम्मद रफी साहब को उनकी 100वीं जयंती पर याद किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि मोहम्मद रफी साहब संगीत की प्रतिभाशाली शख्सियत थे, जिनका सांस्कृतिक प्रभाव और प्रभाव पीढ़ियों तक रहा।
"महान मोहम्मद रफ़ी साहब को उनकी 100वीं जयंती पर याद कर रहा हूं। वह एक संगीत प्रतिभा थे, जिनका सांस्कृतिक प्रभाव और पहुंच पीढ़ियों तक फैली हुई है। रफी साहब के गीतों को अलग-अलग भावनाओं और संवेदनाओं को पकड़ने की उनकी क्षमता के लिए सराहा जाता है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा भी व्यापक थी। उनका संगीत लोगों के जीवन में खुशियां भरता रहे!"
ऐश्वर्या और अभिषेक बच्चन ने आराध्या के स्कूल फंक्शन में 'दीवानगी दीवानगी' पर किया जोरदार डांस
डेस्क। ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन लंबे समय बाद साथ नजर आए। दोनों ने बेटी आराध्या के स्कूल के फंक्शन में साथ डांस किया, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। फैंस लंबे समय से ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन को साथ देखने के लिए तरस रहे थे। उनके अलगाव की खबरें चारों तरफ फैली हुई थीं। अब इस वीडियो ने फैंस का दिन बना दिया है क्योंकि ऐश्वर्या और अभिषेक ने आराध्या के फंक्शन में साथ डांस किया।
इस वक्त हर तरफ Aishwarya Rai और Abhishek Bachchan के 'पैचअप' की चर्चा हो रही है। लंबे वक्त से दोनों के अलगाव की खबरों ने जोर पकड़ा हुआ था, जिन पर कपल ने विराम लगा दिया। दरअसल ऐश्वर्या और अभिषेक हाल ही धीरूभाई अंबानी स्कूल के सालाना फंक्शन में गए, जिसमें बेटी आराध्या ने परफॉर्म किया।
यहां ऐश्वर्या और अभिषेक ने शाहरुख खान के गाने 'दीवानगी दीवानगी' पर खूब डांस किया। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। साथ में शाहरुख भी हैं और उन्होंने भी खूब डांस किया। शाहरुख का छोटा बेटा अबराम भी धीरूभाई अंबानी स्कूल में पढ़ता है।
अभिनेता अल्लू अर्जुन गिरफ्तार... स्क्रीनिंग के दौरान थिएटर में भगदड़ से हुई थी महिला की मौत
डेस्क। एक तरफ बॉक्स ऑफिस पर ‘पुष्पा 2’ ताबड़तोड़ नोट छाप रही है तो दूसरी तरफ ये नए रिकॉर्ड बनाने के साथ साउथ से लेकर बॉलीवुड तक की फिल्मों को धूल चटा रही है. वहीँ इसी बीच हैदराबाद के संध्या थिएटर मामले में पुलिस ने साउथ सुपरस्टार अल्लू अर्जुन को गिरफ्तार कर लिया है।
बता दें 4 दिसंबर को फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान थिएटर में भगदड़ मच गई थी, जिसमें एक 35 साल की महिला की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे. पुलिस ने इस घटना के लिए अल्लू अर्जुन और थिएटर प्रबंधन पर मामला दर्ज किया था. पुलिस ने इस मामले में थिएटर मालिक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था।
इस साल का भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव सार्थक रहा : सुभाष घई
डेस्क | इस साल का भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) पिछले हफ्ते, 28 नवंबर 2024 को संपन्न हुआ। फिल्मों और इससे संबद्ध उद्योग से जुड़ी सभी चीजों के इस भव्य समारोह में, मुख्य आकर्षण भारतीय सिनेमा की चार महान हस्तियों -बहुमुखी अभिनेता अक्किनेनी नागेश्वर राव, महान शोमैन राज कपूर, शाश्वत आवाज मोहम्मद रफी और प्रतिभाशाली कहानीकार तपन सिन्हा – के कार्यों का एक ऐतिहासिक उत्सव था। इन महान दिग्गजों ने अपनी असाधारण प्रतिभा एवं दृष्टिकोण से फिल्म उद्योग को गौरवान्वित किया और एक ऐसा अमिट जादू बिखेरा जिसने फिल्म निर्माताओं, संगीतकारों और दर्शकों की कई पीढ़ियों को समान रूप से प्रेरित किया है। उनकी विरासतें युगों-युगों तक गूंजती रहेंगी।
भारतीय सिनेमा के दिग्गज कलाकार राज कपूर एक अभिनेता, निर्देशक, स्टूडियो मालिक और निर्माता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते थे। उनकी फिल्में अक्सर सामाजिक मुद्दों को हास्य एवं संवेदना के साथ चित्रित करती थीं, जिससे वे आम आदमी की आवाज बन गए। अपनी मार्मिक कथाओं और गहरी सामाजिक अंतर्दृष्टि के लिए जाने जाने वाले तपन सिन्हा बंगाल के एक निपुण फिल्मकार थे, जिनका काम अक्सर आम लोगों के संघर्षों को उजागर करता था। कलात्मकता को सामाजिक टिप्पणी के साथ मिश्रित करने की उनकी क्षमता ने उनकी फिल्मों को कालजयी बना दिया है। अक्किनेनी नागेश्वर राव, जिन्हें एएनआर के नाम से जाना जाता है, तेलुगु सिनेमा की एक महान हस्ती थे। उन्हें उनकी उल्लेखनीय अनुकूलनशीलता एवंसशक्त अभिनय के लिए जाना जाता है। छह दशकों से अधिक के अपने शानदार करियर में उन्होंने अनगिनत अविस्मरणीय भूमिकाएं निभाईं। सबसे लोकप्रिय भारतीय पार्श्व गायकों में से एक, मोहम्मद रफी अपनी असाधारण आवाज और अभिव्यंजक गायन शैली के लिए प्रसिद्ध रहे। उनके सदाबहार गीतों ने विभिन्न पीढ़ियों और भाषाओं के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है।
एक फिल्म महोत्सव सही अर्थों में तभी सार्थक बन जाता है, जब वह अपने इतिहास पर गौर करता है और इसकी शुरुआत को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। आईएफएफआई के 55वें संस्करण ने न केवल इन हस्तियों की सिनेमाई उपलब्धियों का उत्सव मनाया, बल्कि फिल्म प्रेमियों की नई पीढ़ी को उनकी विरासत से परिचित कराने के लिए एक मंच के रूप में भी काम किया। उनकी उल्लेखनीय विरासतों के शताब्दी वर्ष को मनाते हुए, इस फिल्म महोत्सव ने सावधानीपूर्वक आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों, स्क्रीनिंग और प्रदर्शनों के माध्यम से उनके अद्वितीय योगदानों को सामने रखा।
रंगारंग उद्घाटन समारोह के मंच से, शताब्दी मनाने वाले इस महोत्सव ने पहले दिन से ही अपना रंग बिखेरना शुरू कर दिया। एक शक्तिशाली ऑडियो-विज़ुअल प्रस्तुति में एएनआर, राज कपूर, मोहम्मद रफी और तपन सिन्हा की यात्रा का वर्णन किया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उस यादगार शाम को काव्यात्मक स्पर्श देते हुए, अभिनेता बोमन ईरानी ने प्रत्येक सम्मानित व्यक्ति को समर्पित भावपूर्ण कविताएं सुनाईं, जो भारतीय सिनेमा पर उनके गहरे प्रभाव को रेखांकित करती हैं। इस समारोह का एक अनूठा आकर्षण इन हस्तियों को समर्पित एक विशेष डाक टिकट संग्रह का विमोचन था। इन चार दिग्गजों की प्रतिष्ठित छवियों को प्रदर्शित करने वाले, इस स्मारक डाक टिकट संग्रह ने सिनेमा और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदानों को अमर बना दिया।
बेहद सराहनीय बात यह रही कि इस महोत्सव में इन महान हस्तियों के परिवार के सदस्यों, सहयोगियों और फिल्म उद्योग के दिग्गजों के साथ पैनल चर्चा व बातचीत के सत्र की एक श्रृंखला पेश की गई। इन बातचीतों ने इन दिग्गजों के व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन से जुड़ी अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। प्रसिद्ध अभिनेत्री खुशबू सुंदर और अक्किनेनी नागेश्वर राव के बेटे एवं अभिनेता नागार्जुन अक्किनेनी ने तेलुगु सिनेमा को आकार देने में इस बहुमुखी कलाकार की अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डाला। महान शोमैन के पोते एवं अभिनेता रणबीर कपूर और फिल्म निर्देशक राहुल रवैल ने राज कपूर की विरासत की पड़ताल की तथा भारतीय सिनेमा में उनके प्रेरक कार्यों और कला को सामाजिक प्रभाव के साथ जोड़ने की उनकी क्षमता का विश्लेषण किया। मुझे भारतीय संगीत में रफी के कालातीत योगदान पर विचार करने के लिए प्रसिद्ध पार्श्व कलाकारों अनुराधा पौडवाल एवं सोनू निगम और प्रसिद्ध गायक शाहिद रफी के साथ एक गहनपरिचर्चा में भाग लेने का सौभाग्य मिला। करिश्माई अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, अभिनेता अर्जुन चक्रवर्ती और फिल्मों के विद्वान एन मनु चक्रवर्ती ने तपन सिन्हा की कहानी कहने की उत्कृष्ट शैली और बांग्लाव भारतीय सिनेमा पर उनके प्रभाव के बारे में अपने विचार पेश किए।
आईएफएफआई टीम ने इन दिग्गज कलाकारों की कलात्मक उत्कृष्टता का उत्सव मनाने के लिए डिजिटल रूप से पुनर्स्थापित फिल्मों की एक विशेष लाइनअप भी खूबसूरती से तैयार की थी। चयनित फिल्मों में देवदासु (अक्किनेनी नागेश्वर राव), आवारा (राज कपूर), हम दोनों (मोहम्मद रफी का संगीत), और हारमोनियम (तपन सिन्हा) शामिल थी। इन फिल्मों के प्रदर्शन ने पुरानी यादों को ताजा कर दिया और पीढ़ियों से चली आ रही उनकी शाश्वत अपील का उत्सव मनाया। ‘कारवां ऑफ सॉन्ग्स’ नाम की एक संगीतमय यात्रा में राज कपूर और मोहम्मद रफी के 150 गीतों के साथ-साथ एएनआर और तपन सिन्हा के 75 गाने प्रदर्शित किए गए। इस संगीतमय श्रद्धांजलि ने भारतीय सिनेमा के समृद्ध साउंडस्केप में उनके बेजोड़ योगदानों पर प्रकाश डाला।
इस महोत्सव में ‘सफरनामा’नाम की एक प्रभावशाली प्रदर्शनी में इन चारों दिग्गजों के जीवन एवं करियर से जुड़ी दुर्लभ तस्वीरें, यादगार वस्तुएं और कलाकृतियां प्रदर्शित की गईं। एनएफडीसी और केंद्रीय संचार ब्यूरो ने अतीत एवं वर्तमान के बीच के अंतर को पाटते हुए, इन हस्तियों की व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपलब्धियों को जनता के सामने लाने का अच्छा काम किया। मनोरंजन के क्षेत्र में क्विज़, डिजिटल शोकेस और इंटरैक्टिव डिस्प्ले जैसी विषयगत गतिविधियां भी आयोजित की गईं।
उनके उल्लेखनीय योगदानों को भव्य एवं बेहद सार्थक तरीके से सम्मानित करने और उनके स्थायी प्रभाव को गरिमाएवं श्रद्धा के साथ श्रद्धांजलि देने के सराहनीय प्रयास किए गए हैं। यह समारोहने न केवल उनकी उपलब्धियों का उत्सव मनाया बल्कि भारतीय सिनेमा की उस स्थायी भावना को भी मजबूत किया जिसे इन दिग्गजों ने आकार देने में मदद की। आईएफएफआई ने यह सुनिश्चित किया कि इन सिनेमाई हस्तियों की विरासत भावी कहानीकारों और दूरदर्शी लोगों का मार्ग प्रशस्त करती रहे।
ई टीवी तेलगु के शो में नज़र आएंगे रायपुर के डांसर रितेश, अदीबा और लिलेश
रायपुर। किसी ने ठीक ही कहा है बड़े सपने देखने वाले अपने सपनों की उड़ान किसी से पूछकर नहीं भरते। रायपुर के रितेश, अदीबा और धमतरी के लिलेश 11 दिसंबर से ई टीवी तेलगु में प्रसारित होने वाले साऊथ के सबसे बड़े डांस शो में अपनी कला का जादू बिखेरेंगे। ये तीनों मनीष चंदानी की डांस स्कूल के विद्यार्थी हैं। मनीष चंदानी ने पहले रितेश को डांस प्लस प्रो जैसे दमदार शो के लिए तैयार किया था और रितेश 2024 डांस प्लस प्रो के विनर भी रह चुके हैं।
रितेश के जीवन का एकमात्र उद्देश्य है कि वे अच्छे डांसर बने और अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने खुली आंखों से सपने देखे, जो अब सच होने जा रहे हैं। अदीबा कुरैशी भी एक जुनूनी कलाकार बनने का सपना देखती है और उसका परफॉर्मेंस देखकर साऊथ के शो में आए जज इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अदीबा को फिल्म के लिए ऑफर दिया है। धमतरी जैसे छोटे शहर के लिलेश को अपनी कला पर विश्वास है और प्रेम भी ।
रितेश, अदीबा और लिलेश 11 दिसंबर को रात 9.30 बजे से प्रसारित होने वाले साऊथ के सबसे बड़े डांस शो में नज़र आएंगे। अपने सपनों को सच करने के लिए रितेश, अदीबा और लिलेश लगातार अपने गुरु मनीष चंदानी से प्रशिक्षण ले रहे हैं।
साहस की एक प्रेरक कहानी : 55वें आईएफएफआई में 'अमेरिकन वॉरियर' की चमक
"यह एक फिल्म से कहीं अधिक है - यह मेरी सहनशीलता की कहानी है" - अभिनेता विशी अय्यर
'अमेरिकन वॉरियर' जीवन में प्यार और दूसरे मौके की शक्ति को दर्शाता है - अभिनेत्री टेलर ट्रेडवेल
अमेरिकन वॉरियर अमेरिकी-भारतीयों के संघर्षों और आकांक्षाओं को दर्शाती है: निर्माता ऋषाना
डेस्क | 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव ने वैश्विक सिनेमाई समुदाय का खुले दिल से स्वागत किया, जिसमें बहुप्रतीक्षित फिल्म अमेरिकन वॉरियर पर प्रकाश डाला गया। गुस्तावो मार्टिन द्वारा निर्देशित, संयुक्त राज्य अमेरिका की यह प्रेरक फिल्म एक भारतीय-अमेरिकी प्रवासी की परिवर्तनकारी यात्रा को दर्शाती है।
"अमेरिकन वॉरियर" जय की प्रेरणादायक कहानी को प्रस्तुत करती है, जो एक पूर्व शौकिया एमएमए फाइटर और पूर्व अपराधी है। एक डकैती को नाकाम करने के बाद, जय प्रायश्चित की राह पर चलता है। उसकी बहादुरी उसे अप्रत्याशित रूप से एक स्थानीय नायक बना देती है, जिससे वह जनता की नजरों में आ जाता है और नई चुनौतियों का सामना करता है। यह फिल्म न केवल रूढ़ियों को तोड़ती है, बल्कि आशा का एक संदेश भी देती है, जो दर्शकों और समुदायों के दिलों को गहराई से छूती है। इसके अलावा, यह मुख्य अभिनेता विशी अय्यर के करिश्मे और दृढ़ निश्चय को भी उजागर करती है, जिन्होंने अपने किरदार में प्रामाणिकता और गहराई का संचार किया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में फिल्म के प्रतिनिधियों का परिचय कराया गया, जिसमें मुख्य अभिनेता विशी अय्यर, अभिनेत्री टेलर ट्रेडवेल, और निर्माता क्रिस्टी कूर्स बीस्ले और रशाना शामिल थे। फिल्म को प्रस्तुत करने के अवसर के लिए आभार व्यक्त करते हुए, प्रतिनिधियों ने इसकी कहानी के उद्भव और इसके प्रभाव के बारे में अपने विचार साझा किए। एक आकर्षक ट्रेलर भी प्रदर्शित किया गया, जिसने दर्शकों को कहानी की सच्ची और भावनात्मक गहराई से जोड़ते हुए एक रोमांचक माहौल तैयार किया।
अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, विशी अय्यर ने फिल्म के पीछे अपनी गहरी व्यक्तिगत प्रेरणा का खुलासा किया, जो उनके अपने जीवन के अनुभवों में निहित है। वित्तीय संकट के दौरान करोड़ों डॉलर का व्यवसाय खोने और बहिष्कार का सामना करने के बाद, अय्यर ने आध्यात्मिकता और आत्म-खोज में शरण ली। भगवद गीता की शिक्षाओं, विशेष रूप से अर्जुन की कहानी से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने दृढ़ता और मुक्ति की एक कहानी की अवधारणा बनाई।
फिल्म को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय महोत्सवों में बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है, जहां दर्शकों ने इसकी थीम से गहरी जुड़ाव महसूस किया। कॉन्फ्रेंस के दौरान, टीम ने स्क्रीनिंग के दौरान के भावुक क्षणों को साझा किया, जिसमें दर्शकों की प्रतिक्रियाएं शामिल थीं। कई दर्शकों ने अपनी जिंदगी से फिल्म की कहानी को जोड़ते हुए अपने अनुभव साझा किए, जो इसकी गहराई और प्रभावशीलता को दर्शाता है।
टीम के बीच रचनात्मक सहयोग, जिसमें अनुभवी स्टंट कोऑर्डिनेटर्स और एमएमए पेशेवरों का योगदान शामिल था, को फिल्म की सफलता का एक महत्वपूर्ण कारक बताया गया। "अमेरिकन वॉरियर" एक शक्तिशाली कहानी के रूप में उभरती है, जो परिवर्तन, साहस और सांस्कृतिक पुलों के निर्माण को दर्शाती है। इसकी थीम सभी सीमाओं को पार कर, दर्शकों को आशा और दृढ़ता के सार्वभौमिक संदेश से गहराई से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है।
आईएफएफआई भावी माहिर फिल्म निर्माताओं के लिए एक लॉन्चपैड के रूप में उभरा
नई दिल्ली | भारतीय सिनेमा के भविष्य का उत्सव मनाते हुए - 'क्रिएटिव माइंड्स ऑफ़ टुमॉरो' में युवा प्रतिभा और केवल 48 घंटों में तैयार की गई रचनात्मक कहानियाँ दिखाई गई हैं |
'गुल्लू' - एक अदृश्य मोबाइल फ़ोन के ज़रिए मनुष्य और तकनीक के बीच के नाज़ुक रिश्ते को दिखाने वाली फ़िल्म ने सीएमओटी में बहुत प्रशंसा प्राप्त की
युवाओं का जोश, जोश से भरा माहौल और 48 अथक लेकिन अविस्मरणीय घंटों की उत्कटता - यह नजारा आज 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में आयोजित क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो (सीएमओटी) के समापन समारोह के दौरान मैक्विनेज़ पैलेस में देखने को मिला।
सीएमओटी भारत के सबसे होनहार युवा फिल्म निर्माताओं की पहचान करने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए एक अग्रणी मंच के रूप में उभरा है। यह इस वर्ष एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इस कार्यक्रम को बढा़ कर इसमे 13 फिल्म निर्माण विषयों में 100 युवा प्रतिभाओं को शामिल किया गया। इसमें पिछले संस्करणों में शामिल 75 प्रतिभागियों और 10 कहानियों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस पहल को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इसमें पूरे भारत से लगभग 1,070 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं जो फिल्म-संबंधित 13 क्षेत्रों में उनकी प्रतिभा को दर्शाता है।
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 48-घंटे में फिल्म निर्माण की चुनौती थी। इसमें प्रतिभागियों को 20 सदस्यों की पाँच टीमों में विभाजित किया गया। इन टीमों ने “प्रौद्योगिकी के युग में रिश्ते” विषय पर केंद्रित लघु फ़िल्में बनाईं। इसे 21 से 23 नवंबर, 2024 तक पंजिम के 4 किलोमीटर के दायरे में 12 स्थानों पर आयोजित किया गया। इसमें टीम की रचनात्मकता और प्रतिरोधक्षमता की जांच की गई।
इस वर्ष, सीएमओटी में 48 घंटे में फिल्म निर्माण की चुनौती के विजेता हैं:
1. सर्वश्रेष्ठ फिल्म: गुल्लू
सर्वश्रेष्ठ फिल्म (उपविजेता): वी हियर द सेम म्यूजिक
2. सर्वश्रेष्ठ निर्देशक: अर्शाली जोस (गुल्लू)
3. सर्वश्रेष्ठ पटकथा: अधिराज बोस (लवपिक्स सब्सक्रिप्शन)
4. सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: विशाखा नायर (लवपिक्स सब्सक्रिप्शन)
5. सर्वश्रेष्ठ अभिनेता: पुष्पेंद्र कुमार (गुल्लू)
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीतने वाली सुश्री अर्शाली जोस ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, “यह उपलब्धि मेरी पूरी टीम की है। पटकथा हमारी फिल्म का असली नायक थी, और जब मैंने इसे पढ़ा मैं जानती थी कि हमारे पास कुछ खास है। इस असाधारण टीम के साथ काम करना एक अविस्मरणीय अनुभव रहा है।”
इन युवा प्रतिभाओं का पिछले वर्ष के सीएमओटी के पूर्व छात्रों ने मार्गदर्शन किया। इन पूर्व छात्रों- चिदानंद नाइक, अखिल लोटलीकर, सुबर्णा दाश, अक्षिता वोहरा और कृष्णा दुसाने को सीएमओटी चैंपियन के रूप में आमंत्रित किया गया था।
प्रतिभागियों की प्रशंसा करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने कहा, "भारी दबाव में 48 घंटों मे ऐसी अनुकरणीय फिल्मों का निर्माण करना अपने आप में एक उपलब्धि है। यहां हर प्रतिभागी विजेता है।" उन्होंने आगे जोर दिया, "इस वर्ष, हमने आईएफएफआई को हमारे देश के अतीत के और युवाओं द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए भावी दिग्गजों को समर्पित किया है। सीएमओटी, फिल्म बाजार और रेड कार्पेट जैसी पहल महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं को अपने सपनों को साकार करने का अवसर प्रदान करते हैं।"
समारोह में मौजूद अभिनेता अमित साध ने देश भर के युवा फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं को फिल्म उद्योग के अवसर सीधे उपलब्ध कराने के लिए आईएफएफआई की प्रशंसा की। इस कार्यक्रम में सूचना और प्रसारण मंत्रालय में विशेष सचिव नीरजा शेखर ; प्रसारण विभाग के संयुक्त सचिव और एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक पृथुल कुमार; फिल्म विभाग की संयुक्त सचिव वृंदा देसाई और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पूर्व सचिव अपूर्व चंद्रा के अलावा जाने-माने लेखक और ग्रैंड ज्यूरी के सदस्य सम्राट चक्रवर्ती भी शामिल हुए।
इस साल सीएमओटी ने न केवल युवा फिल्म निर्माताओं की जीवंत प्रतिभा का उत्सव मनाया बल्कि इन फिल्म निर्माताओं के लिए लॉन्चपैड के रूप में आईएफएफआई की भूमिका को भी मजबूत किया।
मंच से सिनेमा तक : “पुणे हाईवे” जीवन की भावपूर्ण कहानी प्रस्तुत करती है
“दोस्ती, विश्वासघात और मुक्ति ‘पुणे हाईवे’ हमें अनुभव का महत्व बताने वाले विकल्प सोचने के लिए मजबूर करती है” – अमित साध
“मंच से स्क्रीन तक का सफ़र चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन परिणाम वास्तव में संतोषजनक है” – बग्स भार्गव, निर्देशक और लेखक
“ फ़िल्म इस बात का सबूत है कि सच्चाई से कही गई एक साधारण कहानी किसी भी बाधा को पार कर सकती है” – राहुल दाकुन्हा, निर्देशक और लेखक
डेस्क | फिल्म ‘पुणे हाईवे’ के कलाकार और दल के अन्य सदस्य गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में एक दिलचस्प प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए एकत्र हुए। फिल्म निर्माताओं ने अपनी रचनात्मक प्रक्रियाओं, निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियों और सिनेमा के भविष्य की अपनी कल्पना पर चर्चा की।
राहुल दाकुन्हा और बग्स भार्गव द्वारा निर्देशित और लिखित, पुणे हाईवे एक भावनात्मक थ्रिलर है जो एक रोमांचक कथानक प्रस्तुत करती है जो अप्रत्याशित परिस्थितियों से प्रभावित होकर नाजुक दोस्ती की तह खोलती है। पुरानी यादों, रहस्य और तकलीफदेह ड्रामा के बेहतरीन मिश्रण के साथ, फिल्म गहरे मानवीय संबंधों और उनकी जटिलताओं का सार प्रस्तुत करती है। फिल्म के भयावह दृश्य एक ऐसा सिनेमाई अनुभव प्रस्तुत करते हैं जो इसके समाप्त होने के बाद भी लंबे समय तक दिलो-दिमाग पर छाए रहते हैं।
मूल रूप से नौ देशों में दिखाए गए एक कमरे के नाटक के रूप में कल्पना की गई, पुणे हाईवे ने सिनेमाई प्रारूप में फिट होने के लिए रचनात्मक विकास किया। राहुल दाकुन्हा, जिन्होंने नाटक और फिल्म लिखी और निर्देशित की, ने बड़े पर्दे के लिए इसके दायरे का विस्तार करने के बारे में जानकारी साझा की।
दाकुन्हा ने बताया, "हमें सिनेमा के लिए नाटक की मूल भावनाओं को बरकरार रखते हुए भय, गुस्से और रोमांच के क्षणों की फिर से कल्पना करनी थी।" "यह दोस्ती के पीछे छिपे वास्तविक मुद्दों का विश्लेषण करने की कहानी है।"
सह-निर्देशक बग्स भार्गव ने फिल्म के निर्माण में किए गए सामूहिक प्रयास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "यह फिल्म प्रेम की मेहनत है, जिसमें कहानी कहने के वर्षों का अनुभव और विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।"
जाने-माने अभिनेता अमित साध ने इस तरह के अनूठे प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने पर अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, "यह भूमिका निभाना मेरे करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण और संतोषजनक अनुभवों में से एक रहा है। यह एक ऐसी कहानी है जो हर उस व्यक्ति से जुड़ी है जिसने कभी दोस्ती को महत्व दिया है।"
मंजरी फडनीस ने फिल्म के सार्वभौमिक विषयों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, "पुणे हाईवे सिर्फ़ एक थ्रिलर नहीं है; यह मानवीय रिश्तों और जीवन को बदल देने वाली घटनाओं का सामना करने पर हमारे द्वारा चुने गए रास्ते की मार्मिक खोज है।
निर्माता सीमा महापात्रा ने कहा, "यह एक ऐसी फिल्म है जो हर किसी को पसंद आएगी - क्योंकि इसके मूल में, रिश्तों और उन विकल्पों की चर्चा है जो हमें किसी अनुभव का महत्व बताते हैं।"
पुणे हाईवे को इसके सार्वभौमिक विषयों के लिए सराहा गया है, जिससे यह विभिन्न संस्कृतियों के दर्शकों के लिए प्रासंगिक बन गया है। सस्पेंस और भावनात्मक गहराई के मिश्रण ने इसे इस साल के आईएफएफआई गोवा में एक बेहतरीन प्रविष्टि के रूप में स्थान दिया है। फिल्म निर्माता फिल्म समारोहों से हटकर फिल्म के बारे में आशावादी हैं, और ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुँचने के लिए इसे वैश्विक प्लेटफार्मों पर रिलीज़ करने की योजना बना रहे हैं। निर्देशकों ने एक सीक्वल का भी संकेत दिया, जिसमें पात्रों के जीवन और कहानी के अनसुलझे रहस्यों को गहराई से दिखाने का वादा किया गया।
सह-निर्माता जहाँआरा भार्गव ने कहा, "हम पुणे हाईवे को दुनिया के साथ साझा करने के लिए उत्साहित हैं। यह एक ऐसी कहानी है जिसे हर किसी को बताना और सुनना चाहिए।"
पुणे हाईवे दुनिया भर के दर्शकों पर एक अमिट छाप छोड़ने का वादा करती है, यह भारतीय सिनेमा में दोस्ती और उनकी जटिल गतिशीलता को फिर से परिभाषित करती है।
“असफलता सिर्फ एक घटना है, कोई व्यक्ति नहीं” : इफ्फी 2024 में दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर
"मैं खुद अपनी असफलताओं से सफल होने की एक कहानी हूँ" - अनुपम खेर
दिग्गज अभिनेता ने 55वें इफ्फी मास्टरक्लास में अपने जीवन दर्शन 'डोंट गिव अप' को मजबूती से सामने रखा
डेस्क | भारतीय सिनेमा के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक, अनुपम खेर ने 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के चौथे दिन गोवा के पणजी स्थित कला अकादमी में आयोजित एक सम्मोहक मास्टर क्लास के साथ छात्रों और प्रतिनिधियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
खेर ने ‘असफलता की शक्ति’ विषय पर सत्र की शुरुआत यह कहकर की, “मुझे लगता है कि मैं खुद अपनी असफलताओं से सफल होने की कहानी हूँ।” पूरा सत्र वास्तव में जीवन के पाठों पर एक मास्टरक्लास था, जिसमें उनके व्यक्तिगत जीवन की कई कहानियाँ थीं, जो उनके ज्ञान से सुशोभित थीं।
अनुपम खेर ने कहा कि उनकी कहानी शिमला से शुरू हुई जहां चौदह सदस्यों के एक संयुक्त परिवार ने एक ही कमरे में अपना जीवन बिताया जिसमें उनके पिता एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उनके शब्दों में, वह गरीब थे, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से खुश थे और उनके दादाजी की कही एक बात, "जब लोग बहुत गरीब होते हैं, तो उनके लिए सबसे सस्ती चीज खुशी होती है" उन्हें याद है।
बेहद अनुभवी अभिनेता, अनुपम खेर उस समय को याद करते हैं जब उन्होंने पहली बार स्कूल के एक नाटक में अभिनय किया था जब वह पांचवीं कक्षा में थे। उन्होंने कहा की जब वह सांत्वना पुरस्कार भी जीतने में असफल रहे तो वह दुखी हो गए थे। उस दिन मेरे पिता ने मुझसे कहा था "असफलता एक घटना है, एक व्यक्ति नहीं"। अपनी अगली प्रस्तुति में, इस उभरते अभिनेता ने विलियम शेक्सपियर के नाटक 'मर्चेंट ऑफ वेनिस' में उन्हें दिए गए संवाद की 2 पंक्तियों में 27 गलतियाँ कीं!
यह बात उस समय की है जब नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के गोल्ड मेडलिस्ट युवा अभिनेता अनुपम खेर पहली बार मुंबई आए थे। खेर ने कहा, "चूंकि मैं पहले से ही एनएसडी गोल्ड मेडलिस्ट था, इसलिए मुझे पहले मौके पर ही इस सपनों के शहर में अपनी जीत का विश्वास था।" लेकिन कुछ ही महीनों में उन्हें रहने के लिए बांद्रा पूर्व रेलवे स्टेशन पर शिफ्ट होना पड़ा जहां वह 27 दिनों तक रहे।
लेकिन कई उतार-चढ़ाव के बाद खेर की फिल्म 'सारांश'को पुरस्कृत किया गया। खेर ने याद किया कि 1984 में उन्होंने पहली बार दिल्ली में इफ्फी का दौरा किया था। इस मास्टरक्लास के साथ इफ्फी में उनकी पहली यात्रा को 40 साल हो गए हैं।
अनुपम खेर के लिए जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा है। लेकिन हर बुरे दौर में, चाहे वह 'हम आपके हैं कौन' की शूटिंग के दौरान उन्हें चेहरे पर लकवा हो गया हो या वह समय जब वह 2004 में लगभग दिवालिया हो गए थे, हर बार उन्होंने अपने पिता और दादा से मिली सीख पर ही काम किया।
खेर की उतार-चढ़ाव भरी जीवन यात्रा को सुनकर सभी दर्शक अवाक रह गये। लेकिन अपने आकर्षक व्यक्तित्व, संवाद और अभिनय से इस 68 वर्षीय अनुभवी अभिनेता ने 'नेवर गिव अप' जैसे अपने जीवन दर्शन के टॉनिक से सभी दर्शकों को सहजता से मंत्रमुग्ध कर दिया!
बाधाओं को पार करना : 55वें आईएफएफआई ने फिल्मों में सुगमता के लिए नए मानक स्थापित किए
नई दिल्ली | सबका मनोरंजन: 55वें आईएफएफआई का उद्देश्य फिल्म समारोहों में समावेशिता को नए सिरे से परिभाषित करना है |
55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) ने "सबका मनोरंजन" थीम को जारी रखते हुए एक समावेशी सिनेमा के अनुभव का निर्माण किया है। आईएफएफआई ने सबके लिए उपलब्ध फिल्म महोत्सव की अपनी परंपरा को जारी रखा है और यह सुनिश्चित किया है कि यह महोत्सव हर साल सभी सिने प्रेमियों का स्वागत करता रहे। समावेशन भागीदार, दिव्यांगों के लिए राज्य आयोग, गोवा और सुगम्यता भागीदार स्वयं जैसे प्रमुख सहयोगियों के समर्थन से, आईएफएफआई सिनेमा में समावेशिता के लिए एक मानक स्थापित करता है।
समावेशी उद्घाटन और समापन समारोह: आईएफएफआई के इतिहास में पहली बार उद्घाटन और समापन समारोह में उसी समय सांकेतिक भाषा व्याख्या की सुविधा होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सुनने में असमर्थ व्यक्तियों सहित सभी उपस्थित लोग महोत्सव के दृश्यों और संगीत का पूरा आनंद ले सकें।
सुगम्य भारत फिल्म खंड: आईएफएफआई 2024 का एक प्रमुख आकर्षण है। इस खंड में ऑडियो विवरण और भारतीय सांकेतिक भाषा के साथ चुनिंदा भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्में दिखाई जाएंगी, जिससे दृष्टि बाधित और सुनने में असमर्थ दर्शक स्वयं को फिल्म की कहानी से जोड़ सकेंगे। 55वें आईएफएफआई में ऐप के माध्यम से ऑडियो विवरण के साथ भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्में भी दिखाई जाएंगी, जो समावेशी स्क्रीनिंग के अनुभव को और बढ़ाएगी। यह खंड 22 नवंबर को 12वीं फेल की फिल्म दिखाने के साथ शुरू होगा, जिसमें ऑडियो विवरण और सांकेतिक भाषा की व्याख्या होगी। सुगम्य सिनेमा का नया अध्याय प्रतिष्ठित कलाकार मेथिल देविका द्वारा भारतीय सांकेतिक भाषा में शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन के साथ शुरू होगा, जो समावेशिता के प्रति महोत्सव की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
55वां भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव : संस्कृतियों का जुड़ाव, सिनेमा की दिग्गज हस्तियों का सम्मान, भविष्य को आकार
डेस्क | 55वां भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) 20 से 28 नवंबर, 2024 के दौरान गोवा के मनोरम तट पर सिनेमाई उत्सव की एक नई छटा बिखेरने को तैयार है। इस वर्ष का यह महोत्सव महज फिल्मों की एक प्रदर्शनी से कहीं बढ़कर होने वाला है। विविध वैश्विक संस्कृतियों का संगम एवं उभरती प्रतिभाओं के लिए एक लॉन्चपैड होने के साथ-साथ यह आयोजन भारत की सिनेमाई विरासत के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि भी होगा। आईएफएफआई 2024 न केवल अपने विकास की दृष्टि से बल्कि एक विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के रूप में एक ऐसा साहसिक कदम होगा, जो वैश्विक मंच पर भारत की जीवंत संस्कृति और सिनेमा की कला का उत्सव मनाएगा।
इस वर्ष, विविध संस्कृतियों को जोड़ने और अंतरराष्ट्रीय समझ को बढ़ावा देने के प्रति फिल्म महोत्सव की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए आईएफएफआई ने ऑस्ट्रेलिया को “आकर्षण का केन्द्रबिन्दु वाले देश” (कंट्री ऑफ फोकस) के रूप में रेखांकित किया है। आईएफएफआई का यह खंड भारतीय दर्शकों को ऑस्ट्रेलियाई सिनेमा की उस तह में उतरने के लिए आमंत्रित करता है, जहां गंभीर नाटकों से लेकर साहसिक कॉमेडी और विचारोत्तेजक वृत्तचित्रों तक की चुनिंदा फिल्मों की थाह ली जायेगी। इस केन्द्रित दृष्टिकोण के माध्यम से, दर्शकों को ऑस्ट्रेलिया की अनूठी और विकसित सिनेमाई भाषा का एक ऐसा अनुभव हासिल होगा जो आईएफएफआई को अंतर- सांस्कृतिक प्रशंसा एवं संवाद का एक शक्तिशाली मंच बनाएगा। ऐसा करने के क्रम में, आईएफएफआई 2024 एक ऐसे भावविभोर कर देने वाले अनुभव को संभव बनाने हेतु फिल्मों के पारंपरिक प्रदर्शन से परे जाएगा जो इस महोत्सव को दुनिया की विविध कहानियों, लोगों एवं संस्कृतियों के बीच एक सेतु के रूप में स्थापित करेगा।
आईएफएफआई 2024 का नवीनतम पुरस्कार, “भारतीय फीचर फिल्म का सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक” पुरस्कार, भारतीय फिल्मकारों की अगली पीढ़ी पर प्रकाश डालेगा। यह पुरस्कार केवल एक मान्यता भर नहीं होगा। यह एक युवा निर्देशक के करियर में एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षण होगा, जो भारतीय सिनेमा में नए दृष्टिकोण के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। इस श्रेणी को पहली बार के निर्देशकों को समर्पित करके, आईएफएफआई रचनात्मक प्रतिभाओं को निखारने और उन्हें निरंतर प्रतिस्पर्धी होते फिल्म उद्योग में जगह बनाने में मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता का संकेत देता है।
जहां विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव स्थापित प्रतिभाओं पर ही ध्यान केन्द्रित करते हैं, वहीं आईएफएफआई द्वारा नवोदित फिल्म निर्माताओं को मान्यता देना विकास को बढ़ावा देने और भारतीय सिनेमा के भविष्य को अपनाने के प्रति इसके समर्पण को दर्शाता है। इस वर्ष का यह महोत्सव भारतीय सिनेमा की चार महान विभूतियों – राज कपूर, तपन सिन्हा, अक्किनेनी नागेश्वर राव (एएनआर) और मोहम्मद रफी – को भी श्रद्धांजलि देगा। इन दिग्गज हस्तियों ने भारत की सिनेमाई विरासत को आकार दिया और कई पीढ़ियों के दर्शकों के दिलों पर राज किया।
भारतीय और अंतरराष्ट्रीय, दोनों प्रकार के फिल्म निर्माताओं के संदर्भ में यह फिल्म बाजार वैश्विक दर्शकों के लिए एक प्रवेश द्वार और भविष्य की परियोजनाओं के लिए नेटवर्क एवं सुरक्षित समर्थन का एक दुर्लभ अवसर प्रस्तुत करता है। आईएफएफआई का भारतीय पैनोरमा खंड इस महोत्सव की एक ऐसी पहचान बन गया है, जो दर्शकों को समकालीन भारतीय सिनेमा के विविध चयन की पेशकश करता है। 25 फीचर फिल्मों और 20 गैर-फीचर फिल्मों को उनकी सिनेमाई उत्कृष्टता, विषयगत महत्व और सौंदर्यशील रचनात्मकता के लिए चुनकर भारतीय पैनोरमा कहानी कहने की भारतीय शैली की जीवंतता एवं विविधता को प्रदर्शित करता है। अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए, यह खंड भारत के सामाजिक- सांस्कृतिक परिदृश्य के बारे में एक प्रामाणिक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो क्षेत्रीय कथाओं से लेकर कला के क्षेत्र में अग्रगामी प्रयोगों तक पर प्रकाश डालता है। यह खंड भारतीय सिनेमा को उसकी पूरी गहराई और विविधता में प्रस्तुत करने के आईएफएफआई के मिशन को पुष्ट करता है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर फिल्म संबंधी परिचर्चा का एक अमूल्य हिस्सा बन जाता है।
भारत की समृद्ध परंपराओं और विविधता में एकता को रेखांकित करने वाला अभियान ‘भारत पर्व’ आईएफएफआई में अपनी सिनेमाई अभिव्यक्ति पाता है, जहां फिल्में, कार्यक्रम और प्रोग्रामिंग भारत की बहुमुखी पहचान को दर्शाते हैं। भारतीय संस्कृति का यह उत्सव अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों को भारत की कहानी के बारे में एक व्यापक अनुभव व गहरी समझ प्रदान करता है और सिनेमा के शक्तिशाली लेंस के माध्यम से इसकी विरासत की एक झलक प्रदान करता है। भारतीय फिल्म निर्माताओं को उठाकर वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाले एक आधार के रूप में कार्य करने वाले, आईएफएफआई 2024 का आयोजन भारतीय सिनेमा के एक परिवर्तनकारी दौर में हो रहा है। उभरती प्रतिभा, वैश्विक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर इस महोत्सव का जोर कला के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने की भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप है। फिल्म उद्योग से जुड़ी पहलों, नई प्रतिभाओं की पहचान और सिनेमाई विरासत के उत्सव से संबंधित आईएफएफआई का अनूठा संयोजन इसे भारतीय सिनेमा के विकास और वैश्विक मंच पर इसके स्वागत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाता है। आईएफएफआई का इस वर्ष का संस्करण फिल्म उद्योग पर एक अमिट प्रभाव छोड़ने का संकल्प व्यक्त करता है और आईएफएफआई को एक ऐसे महोत्सव के रूप में परिभाषित करता है, जो न केवल भारत की सिनेमाई संस्कृति को दर्शाता है बल्कि सक्रिय रूप से इसके भविष्य को आकार भी देता है। अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं के लिए, आईएफएफआई 2024 भारत के जीवंत सिनेमाई परिदृश्य से जुड़ने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। इन संवादों के माध्यम से, आईएफएफआई एक ऐसा अनूठा सहयोगात्मक वातावरण बनाता है जो भारतीय और वैश्विक सिनेमा को समृद्ध करता है। 55वां आईएफएफआई एक ऐसा महोत्सव है, जो भविष्य की प्रतिभाओं को गले लगाते हुए और भारतीय सिनेमा की दिग्गज हस्तियों को श्रद्धांजलि देते हुए दूरदर्शी रचनात्मकता के साथ परंपरा का सहज विलय करता है। ‘भारत पर्व’ की भावना से लेकर उभरती प्रतिभाओं के लिए एक नए पुरस्कार की शुरुआत करने तक, आईएफएफआई 2024 सिनेमा के विकसित स्वरुप का प्रतीक है और यह संपर्क के एक उपकरण के रूप में कहानी कहने की शक्ति का उत्सव मनाता है। चूंकि यह महोत्सव अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं, उद्योग जगत के प्रमुखों और दर्शकों को एक साथ आकर्षित करता है, यह भारत को वैश्विक सिनेमा में एक प्रमुख अंग के रूप में स्थापित करता है और स्थायी प्रभाव एवं दृष्टिकोण वाले एक महोत्सव के रूप में आईएफएफआई की हैसियत की पुष्टि करता है।
हास्य अभिनेता अतुल परचुरे का 57 वर्ष की आयु में निधन, कैंसर से लड़ रहे थे जंग
डेस्क। जाने-माने अभिनेता अतुल परचुरे (57) की आयु में निधन हो गया है। वे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जंग लड़ रहे थे। 14 अक्टूबर को उनका निधन हो गया। अतुल को ‘द कपिल शर्मा शो’ में उनकी मौजूदगी के लिए खास तौर पर जाना जाता था।
अतुल ने टेलीविजन और फिल्मों, दोनों में अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने आरके लक्ष्मण की दुनिया, जागो मोहन प्यारे, यम हैं हम, बड़ी दूर से आए हैं और द कपिल शर्मा शो जैसे कई पॉपुलर कॉमेडी शोज में अहम भूमिका निभाया था। इसके अलावा, उन्होंने मराठी और हिंदी फिल्मों में भी काम किया, जहां उनके ह्यूमर और किरदारों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। अपने एक इंटरव्यू में अतुल ने यह भी बताया था कि कैसे उनके परिवार ने उन्हें कभी मरीज जैसा महसूस नहीं होने दिया. उनके परिवार का समर्थन और प्यार उन्हें इस कठिन लड़ाई में मजबूती देता रहा।
बालीवुड के दो सुपर स्टार्स का जलवा... चार दिन में वेट्टैयन की कमाई 100 करोड़ के पार
डेस्क। करीब 33 साल बाद एक बार फिर बालीवुड के दो सुपर स्टार एक साथ बड़े परदे पर नजर आए। जी हां हम बात कर रहे हैं अमिताभ बच्चन और साउथ सुपर स्टार रजनीकांत की। दोनों ही सितारों ने हिंदी और साउथ इंडस्ट्री पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। उन्होंने साथ में कई फिल्मों में भी काम किया है। अब 33 साल बाद तमिल फिल्म वेट्टैयन (Vettaiyan) में अमिताभ और रजनीकांत की जोड़ी नजर आई। टीजे गनानावेल के निर्देशन में बनी वेट्टैयन एक्शन थ्रिलर है, जिसमें रजनीकांत लीड रोल में है।
10 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई इस मूवी ने जमकर कारोबार किया है। रविवार को भी कमाई शानदार रही है। वेट्टैयन ने पहले दिन यानी गुरुवार को 31.7 करोड़ से खाता खोला था। दूसरे दिन कमाई में गिरावट आई, लेकिन कलेक्शन बेहतर रहा। मूवी ने दूसरे दिन 24 करोड़ और तीसरे दिन (शनिवार) को 26.75 करोड़ का कारोबार किया। रविवार को भी कलेक्शन अच्छा रहा है।अभी तक के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक वेट्टैयन 100 करोड़ क्लब में शामिल हो गई है, वो भी सिर्फ चार दिन में।
फिल्म में रजनीकांत ने अथियन नाम के एक सीनियर पुलिस ऑफिसर की भूमिका निभाई है, जो एक मुठभेड़ के दौरान गलती से एक निर्दोष व्यक्ति को गोली मार देता है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने मानव अधिकार के जज की भूमिका निभाई है। फिल्म में अमिताभ और रजनीकांत के अलावा राणा दग्गुबाती, फहाद फासिल और रीतिका सिंह अहम भूमिका में हैं।
फिल्म अभिनेता गोविंदा को गोली लगी... घर पर रिवॉल्वर साफ करते समय चली गोली
डेस्क। हिन्दी सिनेमा जगत के सफल और जाने माने अभिनेता गोविंदा आहूजा को लेकर एक बड़ी खबर आई है। वह गोली लगने से घायल हो गए हैं। गोविंदा मंगलवार सुबह 5 बजे मुंबई स्थित अपने घर पर अपनी बंदूक साफ कर रहे थे, तभी अनजाने में गोली चल गई। गोली उनके पैर में लगी है। उनको नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
Actor and Shiv Sena leader Govinda has been taken to the nearest hospital after he was accidentally shot in the leg by his own revolver this morning, says a senior Mumbai Police official
— ANI (@ANI) October 1, 2024
More details awaited.
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दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होंगे मिथुन चक्रवर्ती.... 70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी में मिलेगा सम्मान
डेस्क। हिंदी सिनेगा जगत के दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें 8 अक्टूबर 2024 को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाएगा। मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अभिनेता को यह सम्मान दिए जाने की घोषणा की। यह पुरस्कार उन कलाकारों को दिया जाता है जिन्होंने भारतीय सिनेमा के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है।
गौरतलब है कि अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती का फिल्म इंडस्ट्री में सफर बेहद प्रेरणादायक है। उन्होंने “डिस्को डांसर”, “अग्निपथ” जैसी सुपरहिट फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से फिल्मी जगत में अपनी खास पहचान बनाई। मिथुन के अभिनय की विविधता और डांसिंग स्टाइल ने उन्हें देश-विदेश में लोकप्रिय बनाया। उनकी फिल्मों ने कई दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी है।
मिथुन चक्रवर्ती को इससे पहले भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उनके बेहतरीन अभिनय के लिए उन्हें तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं। इसके अलावा, वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे हैं और उनके व्यक्तित्व की यह विशेषता उन्हें एक आदर्श व्यक्तित्व बनाती है। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया जाना उनकी लंबी और सफल सिनेमाई यात्रा का प्रतीक है।
भारत के लोक सेवा प्रसारक : दूरदर्शन के 65 वर्ष पूरे होने का उत्सव
वर्षगांठ के अवसर पर डीडी नेशनल पर 15 सितंबर, 2024 को विशेष कार्यक्रम “दिल से दूरदर्शन, DD @65” का सुबह 10 बजे प्रसारण और रात 8 बजे पुन: प्रसारण
नई दिल्ली | भारत का लोक सेवा प्रसारक दूरदर्शन इस वर्ष बेहद गर्व के साथ अपनी 65वीं वर्षगांठ मना रहा है। 15 सितंबर 1959 को अपनी स्थापना के बाद से ही दूरदर्शन भारतीय मीडिया का आधार रहा है, जो राष्ट्र की आवाज़ के रूप में सेवा प्रदान करते हुए एकता, संस्कृति और शिक्षा को बढ़ावा देता रहा है।
दिल्ली में एक प्रायोगिक प्रसारण के साथ अपनी सादगीपूर्ण शुरुआत से लेकर दूरदर्शन आज दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण संगठनों में से एक बन चुका है। बीते दशकों में, यह लोक सेवा प्रसारण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दृढ़ता से कायम रखते हुए प्रौद्योगिकी और दर्शकों की सहभागिता में आए महत्वपूर्ण परिवर्तनों का साक्षी रहा है। श्वेत-श्याम टेलीविज़न के दिनों से लेकर डिजिटल और उपग्रह प्रसारण के वर्तमान युग तक, दूरदर्शन अपने विविध दर्शकों की बदलती रुचियों और पसंद की कसौटी पर खरा उतरने के लिए लगातार खुद को विकसित करता आया है। श्वेत-श्याम प्रसारण के युग से लेकर अपने नेटवर्क में 35 चैनलों तक, अपने 6 राष्ट्रीय चैनलों, 28 क्षेत्रीय चैनलों और 1 अंतर्राष्ट्रीय चैनल के माध्यम से हर क्षेत्र को उसकी अपनी भाषा में अनुभव प्रदान करते हुए; दूरदर्शन अग्रणी लोक सेवा प्रसारक की प्रतिबद्धता के साथ अपनी यात्रा जारी रखे हुए है।
बीते 65 वर्षों में, दूरदर्शन ने भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पौराणिक महाकाव्यों "रामायण" और "महाभारत" से लेकर लोकप्रिय "चित्रहार", "सुरभि" और "हम लोग" सरीखे कुछ बेहद प्रतिष्ठित टेलीविजन कार्यक्रमों का मंच रहा है, जिन्होंने कई पीढ़ियों को परिभाषित किया है। दूरदर्शन ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए स्थान प्रदान किया है, ग्रामीण और शहरी भारत को एक साथ करीब लाया है, और इसने विभिन्न शैक्षिक और सूचनाप्रद कार्यक्रमों के माध्यम से महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाई है।
डीडी नेशनल इस उपलब्धि का उत्सव मनाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम “दिल से दूरदर्शन, DD @65” को प्रसारित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह प्रसिद्ध मास्टर जयवीर बंसल और अनिल सिंह, वेंट्रिलोक्विस्ट द्वारा आयोजित एक भव्य कार्यक्रम है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय जादूगर व मेंटलिस्ट और गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स धारक श्री प्रमोद कुमार जैसे प्रतिष्ठित कलाकार प्रस्तुति देंगे। उन्हें अनेक राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनके अलावा देश की सबसे कुशल रेत कलाकारों में से एक और आईडीसी, आईआईटी बॉम्बे की पूर्व छात्रा मनीषा स्वर्णकार (रेत कलाकार) हैं। वह बीते 13 वर्षों से रेत कला का प्रदर्शन कर रही हैं और भारत की पहली महिला रेत कलाकार हैं।
पद्मश्री से सम्मानित और बॉलीवुड सेंसेशन श्री कैलाश खेर “दिल से दूरदर्शन, DD @65” कार्यक्रम के स्टार कलाकार होंगे। वह दशकों से अपनी दमदार प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते आए हैं। उनकी संगीत शैली भारतीय लोक संगीत और सूफी संगीत से काफी प्रभावित है। दूरदर्शन शो रील के लिए वॉयसओवर दिग्गज अभिनेता मनोज बाजपेयी ने किया है।
दूरदर्शन की 65वीं वर्षगांठ पर डीडी नेशनल अपने दर्शकों को बेहतरीन प्रस्तुतियों से मंत्रमुग्ध करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस कार्यक्रम का प्रसारण 15 सितंबर को सुबह 10 बजे होगा और रात 8 बजे इसका दोबारा प्रसारण किया जाएगा। इस कार्यक्रम में दूरदर्शन की समृद्ध विरासत का कीर्तिगान किया जाएगा।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर दूरदर्शन भारत के प्रत्येक नागरिक को विश्वसनीय, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण सामग्री प्रदान करने के अपने मिशन के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है। यह प्रसारक समाचार, मनोरंजन और सूचना का एक प्रासंगिक और विश्वसनीय स्रोत बना रहना सुनिश्चित करने के लिए सभी मंचों पर - टेलीविज़न से लेकर मोबाइल फ़ोन तक - दर्शकों तक पहुंच कायम करने के लिए तकनीकी प्रगति को अपनाना जारी रखे हुए है।
जैसे कि दूरदर्शन अपने 66वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, यह नवाचार, समावेश और प्रेरणा की अपनी यात्रा को जारी रखने के लिए तैयार है। अपने समृद्ध इतिहास और लोक सेवा के प्रति समर्पण के साथ, दूरदर्शन भारत की विविधता, विरासत और प्रगति के प्रकाशस्तम्भ के रूप में सेवा प्रदान करता रहेगा।
मलाइका अरोड़ा के पिता ने छत से कूदकर की आत्महत्या, जांच में जुटी पुलिस
नईदिल्ली। अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा ने बुधवार सुबह आत्महत्या कर ली। रिपोर्ट्स के अनुसार, अनिल अरोड़ा ने अपने बांद्रा स्थित घर की छत से छलांग लगा दी, जिससे उनकी मौत हो गई। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
Maharashtra | Father of actress-model Malaika Arora died by suicide by jumping off a terrace. Police team is present at the spot: Mumbai Police
— ANI (@ANI) September 11, 2024
इस घटनाक्रम के बाद एक वायरल वीडियो में मलाइका अरोड़ा के घर के बाहर भीड़ और एंबुलेंस की मौजूदगी देखी जा सकती है। वीडियो में उनके पूर्व पति, अभिनेता अरबाज खान को भी देखा जा सकता है, जो मलाइका के परिवार को समर्थन देने के लिए वहां पहुंचे। पुलिस मौके पर मौजूद है और आत्महत्या के कारणों की जांच कर रही है।
मलाइका अरोड़ा, जो उस समय पुणे में थीं, इस दुखद समाचार के बाद मुंबई लौट आईं हैं। परिवार ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, और पुलिस जांच में जुट गई है।