मनोरंजन
शो छोड़ने वाले हैं Munmun Dutta और Dilip Joshi, शो के प्रोड्यूसर Asit Kumarr Modi ने तोड़ी चुप्पी …
सब टीवी का फेमस शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) में पिछले कुछ सालों में कई किरदारों के कलाकार बदल गए हैं. हाल ही के एपिसोड में जेठालाल का रोल निभाने वाले दिलीप जोशी (Dilip Joshi) और बबीता जी का किरदार निभाने वाली मुनमुन दत्ता (Munmun Dutta) शो से गायब नजर आ रहे हैं. जिसके बाद से उनके शो छोड़ने की खबरे सामने आने लगी थी. वहीं, अब इन अफवाहों पर शो के प्रोड्यूसर असित कुमार मोदी (Asit Kumarr Modi) ने अपनी चुप्पी तोड़ दिया है.
बता दें कि असित कुमार मोदी (Asit Kumarr Modi) ने कुछ समय पहले दिए अपने एक में बताया कि ये खबरें गलत और सिर्फ अफवाह हैं. आजकल सोशल मीडिया पर बहुत निगेटिव बातें फैलती हैं. हमारा शो एक पॉजिटिव और फैमिली शो है, जो लोगों को हंसी और खुशी देता है. इसलिए इस तरह की झूठी बातें फैलाना ठीक नहीं है. शो की टीम में सब लोग शामिल हैं. कभी-कभी कुछ एक्टर्स अपने पर्सनल कारणों से शूटिंग में नहीं आ पाते, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उन्होंने शो छोड़ दिया है.
शो में इन दिनों बंगले में ‘भूतनी’ कहानी के एपिसोड्स में दर्शकों को दिलीप जोशी (जेठालाल) और मुनमुन दत्ता (बबीता) दिखाई नहीं दे रहे हैं. इसी वजह से लोगों को लग रहा है कि शायद उन्होंने शो छोड़ दिया है. जबकि शो की इस कहानी में बाकी कलाकार जैसे बापूजी, पोपटलाल, सोढ़ी, तारक मेहता और अंजलि नजर आ रहे हैं.
बता दें कि साल 2008 में शुरु हुए शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) एक गुजराती लेखक तारक मेहता के कॉलम ‘दुनिया ने उंधा चश्मा’ पर आधारित है. इस शो को असित कुमार मोदी ने प्रोड्यूस किया है. शो का सबसे पॉपुलर किरदार जेठालाल गड़ा (दिलीप जोशी) की कॉमिक टाइमिंग और डायलॉग दर्शकों को खूब पसंद आती है. इन दिनों बंगले में ‘भूतनी’ कहानी आने के बाद से ही इस सो की TRP भी अच्छी हो गई है.
मशहूर एक्टर मुकुल देव का 54 वर्ष की आयु में निधन, कुछ दिनों से थे अस्पताल में भर्ती
डेस्क। मशहूर एक्टर मुकुल देव अब इस दुनिया में नहीं रहे। अभिनेता का 23 मई को 54 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पिछले कुछ दिनों मुकुल देव की तबीयत खराब चल रही थी, जिसके चलते वे आईसीयू में थे।
मुकुल देव के निधन की खबर सामने आते ही सिनेमा और टीवी इंडस्ट्री शोक में डूब गई है। स्टार्स सोशल मीडिया के जरिए अभिनेता को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।। ‘जय हो’, ‘सन ऑफ सरदार’, ‘आर… राजकुमार’ जैसी चर्चित फिल्मों का हिस्सा रहे मुकुल देव ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई थी।
मुकुल देव के निधन से उनके तमाम साथी कलाकारों को गहरा सदमा पहुंचा है. विंदू दारा सिंह ने सोशल मीडिया पर एक इमोशनल वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने लिखा, "RIP ब्रदर मुकुल देव. तुम्हारे साथ बिताया हर लम्हा हमेशा याद रहेगा. #SonOfSardaar2 में तुम्हारा आखिरी गाना होगा, जहां तुम दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान छोड़ जाओगे."
मुकुल देव ने अपने करियर की शुरुआत 1996 में फिल्म Dastak से की थी और इसके बाद उन्होंने सोन ऑफ सरदार, कहता है दिल, कभी सौतन कभी सहेली जैसी कई टीवी शोज और फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभाईं. वो एक प्रतिभाशाली एक्टर थे, जो गंभीर रोल के साथ-साथ कॉमेडी में भी दर्शकों का दिल जीत लेते थे.
अभिनेता मनोज कुमार 87 वर्ष की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
डेस्क। सिनेमा की दुनिया में 'भारत कुमार' नाम से जाने वाले मशहूर अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार ने शुक्रवार को 87 की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इस खबर से सिनेमा की दुनिया को बड़ा झटका लगा है। उनके निधन पर सेलेब्स शोक व्यक्त कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिजनेसमेन आनंद महिंद्रा, अभिनेता अक्षय कुमार, विवेक अग्निहोत्री जैसे तमाम सेलेब्स ने शोक व्यक्त किया।
Deeply saddened by the passing of legendary actor and filmmaker Shri Manoj Kumar Ji. He was an icon of Indian cinema, who was particularly remembered for his patriotic zeal, which was also reflected in his films. Manoj Ji's works ignited a spirit of national pride and will… pic.twitter.com/f8pYqOxol3
— Narendra Modi (@narendramodi) April 4, 2025
मनोज कुमार के निधन पर प्रधानमंत्री ने भी शोक व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने परिवार और प्रशंसकों को संवेदनाएं देते हुए लिखा कि महान अभिनेता और फिल्म निर्माता मनोज कुमार जी के निधन से गहरा दुख हुआ। वहीं बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने भी शोक व्यक्त करते हुए लिखा, ‘मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैंने अपने बचपन का कोई अहम हिस्सा खो दिया है। मेरे परिवार ने कभी भी मनोज कुमार की कोई फिल्म मिस नहीं की। और मुझे याद है कि जब फिल्म पूरब और पश्चिम रिलीज हुई थी, इस फिल्म ने जो देशभक्ति का जज्बा जगाया, वह अभूतपूर्व था।
मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैंने अपने बचपन का कोई अहम हिस्सा खो दिया है।
— anand mahindra (@anandmahindra) April 4, 2025
मेरे परिवार ने कभी भी मनोज कुमार की कोई फिल्म मिस नहीं की। और मुझे याद है कि जब फिल्म पूरब और पश्चिम रिलीज हुई थी, इस फिल्म ने जो देशभक्ति का जज्बा जगाया, वह अभूतपूर्व था।
मनोज कुमार एक अभिनेता से हर परिवार… pic.twitter.com/c0NbgKjYE9अभिनेता के निधन पर फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने भी अपने एक्स अकाउंट पर ट्वीट कर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि भारत के पहले सच्चे और समर्पित फिल्म निर्माता, दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता मनोज कुमार आज सबको छोड़कर चले गए। आगे विवेक ने लिखा कि वो एक सच्चे देशभक्त, दूरदर्शी निर्देशक थे, जिन्होंने गीतों को सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं रखा बल्कि उससे जुड़ाव भी महसूस कराया। अभिनेता ने देशभक्ति को बिना किसी शोर शराबे के सिनेमा की दुनिया में ला दिया। इसके साथ ही विवेक ने लिखा कि देशभक्त और उनके जैसे कलाकार कभी नहीं मरते। वे रह जाते हैं स्मृति में, धड़कन में।
I grew up learning from him that there’s no emotion like love and pride for our country. And if we actors won’t take the lead in showing this emotion, who will? Such a fine person, and one of the biggest assets of our fraternity. RIP Manoj Sir. Om Shanti ???? pic.twitter.com/sr8U4Wkqgq
— Akshay Kumar (@akshaykumar) April 4, 2025
अभिनेता अक्षय कुमार ने अपने एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि वह उनसे यह सीखत हुए बड़े हुए कि देश के लिए प्यार और गर्व से बढ़कर और कोई भावना नहीं हैं। साथ ही लिखा कि अगर अभिनेता इन भावनाओं को दिखाने के लिए आगे नहीं आएंगे तो कौन आएगा? सबसे अच्छे इंसान और हमार इंडस्ट्री का सबसे बड़ा धन हमारे बीच नहीं रहा। यह लिखते हुए उन्होंने अपना शोक व्यक्त किया।
छत्तीसगढ़ी व्यंग्यकार रामेश्वर वैष्णव के नव प्रकाशित व्यंग्य संग्रहों ‘उत्ता धुर्रा -उबुक चुबुक’ का विमोचन 25 मार्च को
रायपुर | छत्तीसगढ़ के लब्धप्रतिष्ठ व्यंग्यकार रामेश्वर वैष्णव के नव प्रकाशित व्यंग्य संग्रहों ‘उत्ता धुर्रा और उबुक चुबुक’ का विमोचन समारोह 25 मार्च 2025 को प्रेस क्लब के सभागार में दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक आयोजित है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री सुरेन्द्र दुबे, अध्यक्ष डॉ. सुधीर शर्मा, मुख्य वक्ता डॉ. देवधर महंत, विशिष्ट अतिथि रामेश्वर शर्मा, ए. एन. बंजारा, राजेश्वर खरे, वैभव बेमेतरिहा व संजय कबीर शर्मा होंगे। उक्त जानकारी कार्यक्रम संचालक विजय मिश्रा ‘अमित’ ने दी। आगे उन्होंने बताया छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखित रामेश्वर वैष्णव की छब्बीसवीं तथा सत्ताईसवीं कृति ‘उत्ता धुर्रा तथा उबुक चुबुक’ है। वैभव प्रकाशन की ओर से इन कृतियों का प्रकाशन किया गया है।
Prabhakar Karekar: शास्त्रीय व मराठी नाट्यगीत गायक पंडित प्रभाकर कारेकर का निधन
Prabhakar Karekar: देश के प्रसिद्ध शास्त्रीय व मराठी नाट्यगीत गायक पंडित प्रभाकर कारेकर जी का कल मुंबई में 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कारेकर के परिवार ने एक बयान जारी कर बताया कि गायक पिछले कुछ समय से बीमार थे और उन्होंने शिवाजी पार्क इलाके में स्थित अपने आवास में बुधवार रात अंतिम सांस ली।
गोवा में जन्मे कारेकर ने ‘बोलावा विठ्ठल पहावा विठ्ठल’ और ‘वक्रतुंड महाकाय’ को अपनी सुरीली आवाज में गाया। वह एक उत्कृष्ट गायक और एक बहुत अच्छे शिक्षक थे। वह ‘आकाशवाणी’ और दूरदर्शन के एक ‘ग्रेडेड’ कलाकार थे। कारेकर ने पंडित सुरेश हल्दांकर, पंडित जितेंद्र अभिषेकी और पंडित सीआर व्यास के अधीन प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
उन्हें तानसेन सम्मान, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और गोमंत विभूषण पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया। कारेकर ने ऑर्नेट कोलमैन और सुल्तान खान के साथ फ्यूजन संगीत में भी हाथ आजमाया था। उनके तीन बेटे हैं।
संध्या थिएटर भगदड़ मामलाः आज होगी सुनवाई, अल्लू अर्जुन की जमानत का होगा फैसला
डेस्क। संध्या थिएटर हैदराबाद में अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा-2 के प्रीमियर के दौरान भगदड़ में हुई मौत के मामले में कोर्ट में आज सुनवाई होगी। महिला की मौत के मामले में पुलिस ने कुछ दिन पहले अल्लू अर्जून को गिरफ्तार किया था। लेकिन, हाईकोर्ट ने अल्लू अर्जुन को अंतरिम जमानत दे दी थी।
इसके बाद नामपल्ली कोर्ट द्वारा दी गई 14 दिन की न्यायिक हिरासत शक्रवार को खत्म हो गई। हालांकि, सुपरस्टार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पास की अदालत के सामने पेश होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। लेकिन फिर उनकी जमानत की तारीख टल गई है। ऐसे में आज यानी 30 दिसंबर एक्टर की जमानत की तरीख तय की गई थी।
पूरा मामला 4 दिसंबर का है। जब हैदराबाद के संध्या थिएटर में हुई थी, जहां पुष्पा-2 के प्रीमियर के दौरान फैंस की भारी भीड़ जमा हो गई थी। भगदड़ जैसी स्थिति में 35 साल की एक महिला की मौत हो गई और उसका आठ साल का बेटा घायल हो गया था।
प्रधानमंत्री ने महान गायक मोहम्मद रफी को उनकी 100वीं जयंती पर याद किया
नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महान गायक मोहम्मद रफी साहब को उनकी 100वीं जयंती पर याद किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि मोहम्मद रफी साहब संगीत की प्रतिभाशाली शख्सियत थे, जिनका सांस्कृतिक प्रभाव और प्रभाव पीढ़ियों तक रहा।
"महान मोहम्मद रफ़ी साहब को उनकी 100वीं जयंती पर याद कर रहा हूं। वह एक संगीत प्रतिभा थे, जिनका सांस्कृतिक प्रभाव और पहुंच पीढ़ियों तक फैली हुई है। रफी साहब के गीतों को अलग-अलग भावनाओं और संवेदनाओं को पकड़ने की उनकी क्षमता के लिए सराहा जाता है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा भी व्यापक थी। उनका संगीत लोगों के जीवन में खुशियां भरता रहे!"
ऐश्वर्या और अभिषेक बच्चन ने आराध्या के स्कूल फंक्शन में 'दीवानगी दीवानगी' पर किया जोरदार डांस
डेस्क। ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन लंबे समय बाद साथ नजर आए। दोनों ने बेटी आराध्या के स्कूल के फंक्शन में साथ डांस किया, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। फैंस लंबे समय से ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन को साथ देखने के लिए तरस रहे थे। उनके अलगाव की खबरें चारों तरफ फैली हुई थीं। अब इस वीडियो ने फैंस का दिन बना दिया है क्योंकि ऐश्वर्या और अभिषेक ने आराध्या के फंक्शन में साथ डांस किया।
इस वक्त हर तरफ Aishwarya Rai और Abhishek Bachchan के 'पैचअप' की चर्चा हो रही है। लंबे वक्त से दोनों के अलगाव की खबरों ने जोर पकड़ा हुआ था, जिन पर कपल ने विराम लगा दिया। दरअसल ऐश्वर्या और अभिषेक हाल ही धीरूभाई अंबानी स्कूल के सालाना फंक्शन में गए, जिसमें बेटी आराध्या ने परफॉर्म किया।
यहां ऐश्वर्या और अभिषेक ने शाहरुख खान के गाने 'दीवानगी दीवानगी' पर खूब डांस किया। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। साथ में शाहरुख भी हैं और उन्होंने भी खूब डांस किया। शाहरुख का छोटा बेटा अबराम भी धीरूभाई अंबानी स्कूल में पढ़ता है।
अभिनेता अल्लू अर्जुन गिरफ्तार... स्क्रीनिंग के दौरान थिएटर में भगदड़ से हुई थी महिला की मौत
डेस्क। एक तरफ बॉक्स ऑफिस पर ‘पुष्पा 2’ ताबड़तोड़ नोट छाप रही है तो दूसरी तरफ ये नए रिकॉर्ड बनाने के साथ साउथ से लेकर बॉलीवुड तक की फिल्मों को धूल चटा रही है. वहीँ इसी बीच हैदराबाद के संध्या थिएटर मामले में पुलिस ने साउथ सुपरस्टार अल्लू अर्जुन को गिरफ्तार कर लिया है।
बता दें 4 दिसंबर को फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान थिएटर में भगदड़ मच गई थी, जिसमें एक 35 साल की महिला की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे. पुलिस ने इस घटना के लिए अल्लू अर्जुन और थिएटर प्रबंधन पर मामला दर्ज किया था. पुलिस ने इस मामले में थिएटर मालिक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था।
इस साल का भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव सार्थक रहा : सुभाष घई
डेस्क | इस साल का भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) पिछले हफ्ते, 28 नवंबर 2024 को संपन्न हुआ। फिल्मों और इससे संबद्ध उद्योग से जुड़ी सभी चीजों के इस भव्य समारोह में, मुख्य आकर्षण भारतीय सिनेमा की चार महान हस्तियों -बहुमुखी अभिनेता अक्किनेनी नागेश्वर राव, महान शोमैन राज कपूर, शाश्वत आवाज मोहम्मद रफी और प्रतिभाशाली कहानीकार तपन सिन्हा – के कार्यों का एक ऐतिहासिक उत्सव था। इन महान दिग्गजों ने अपनी असाधारण प्रतिभा एवं दृष्टिकोण से फिल्म उद्योग को गौरवान्वित किया और एक ऐसा अमिट जादू बिखेरा जिसने फिल्म निर्माताओं, संगीतकारों और दर्शकों की कई पीढ़ियों को समान रूप से प्रेरित किया है। उनकी विरासतें युगों-युगों तक गूंजती रहेंगी।
भारतीय सिनेमा के दिग्गज कलाकार राज कपूर एक अभिनेता, निर्देशक, स्टूडियो मालिक और निर्माता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते थे। उनकी फिल्में अक्सर सामाजिक मुद्दों को हास्य एवं संवेदना के साथ चित्रित करती थीं, जिससे वे आम आदमी की आवाज बन गए। अपनी मार्मिक कथाओं और गहरी सामाजिक अंतर्दृष्टि के लिए जाने जाने वाले तपन सिन्हा बंगाल के एक निपुण फिल्मकार थे, जिनका काम अक्सर आम लोगों के संघर्षों को उजागर करता था। कलात्मकता को सामाजिक टिप्पणी के साथ मिश्रित करने की उनकी क्षमता ने उनकी फिल्मों को कालजयी बना दिया है। अक्किनेनी नागेश्वर राव, जिन्हें एएनआर के नाम से जाना जाता है, तेलुगु सिनेमा की एक महान हस्ती थे। उन्हें उनकी उल्लेखनीय अनुकूलनशीलता एवंसशक्त अभिनय के लिए जाना जाता है। छह दशकों से अधिक के अपने शानदार करियर में उन्होंने अनगिनत अविस्मरणीय भूमिकाएं निभाईं। सबसे लोकप्रिय भारतीय पार्श्व गायकों में से एक, मोहम्मद रफी अपनी असाधारण आवाज और अभिव्यंजक गायन शैली के लिए प्रसिद्ध रहे। उनके सदाबहार गीतों ने विभिन्न पीढ़ियों और भाषाओं के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है।
एक फिल्म महोत्सव सही अर्थों में तभी सार्थक बन जाता है, जब वह अपने इतिहास पर गौर करता है और इसकी शुरुआत को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। आईएफएफआई के 55वें संस्करण ने न केवल इन हस्तियों की सिनेमाई उपलब्धियों का उत्सव मनाया, बल्कि फिल्म प्रेमियों की नई पीढ़ी को उनकी विरासत से परिचित कराने के लिए एक मंच के रूप में भी काम किया। उनकी उल्लेखनीय विरासतों के शताब्दी वर्ष को मनाते हुए, इस फिल्म महोत्सव ने सावधानीपूर्वक आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों, स्क्रीनिंग और प्रदर्शनों के माध्यम से उनके अद्वितीय योगदानों को सामने रखा।
रंगारंग उद्घाटन समारोह के मंच से, शताब्दी मनाने वाले इस महोत्सव ने पहले दिन से ही अपना रंग बिखेरना शुरू कर दिया। एक शक्तिशाली ऑडियो-विज़ुअल प्रस्तुति में एएनआर, राज कपूर, मोहम्मद रफी और तपन सिन्हा की यात्रा का वर्णन किया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उस यादगार शाम को काव्यात्मक स्पर्श देते हुए, अभिनेता बोमन ईरानी ने प्रत्येक सम्मानित व्यक्ति को समर्पित भावपूर्ण कविताएं सुनाईं, जो भारतीय सिनेमा पर उनके गहरे प्रभाव को रेखांकित करती हैं। इस समारोह का एक अनूठा आकर्षण इन हस्तियों को समर्पित एक विशेष डाक टिकट संग्रह का विमोचन था। इन चार दिग्गजों की प्रतिष्ठित छवियों को प्रदर्शित करने वाले, इस स्मारक डाक टिकट संग्रह ने सिनेमा और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदानों को अमर बना दिया।
बेहद सराहनीय बात यह रही कि इस महोत्सव में इन महान हस्तियों के परिवार के सदस्यों, सहयोगियों और फिल्म उद्योग के दिग्गजों के साथ पैनल चर्चा व बातचीत के सत्र की एक श्रृंखला पेश की गई। इन बातचीतों ने इन दिग्गजों के व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन से जुड़ी अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। प्रसिद्ध अभिनेत्री खुशबू सुंदर और अक्किनेनी नागेश्वर राव के बेटे एवं अभिनेता नागार्जुन अक्किनेनी ने तेलुगु सिनेमा को आकार देने में इस बहुमुखी कलाकार की अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डाला। महान शोमैन के पोते एवं अभिनेता रणबीर कपूर और फिल्म निर्देशक राहुल रवैल ने राज कपूर की विरासत की पड़ताल की तथा भारतीय सिनेमा में उनके प्रेरक कार्यों और कला को सामाजिक प्रभाव के साथ जोड़ने की उनकी क्षमता का विश्लेषण किया। मुझे भारतीय संगीत में रफी के कालातीत योगदान पर विचार करने के लिए प्रसिद्ध पार्श्व कलाकारों अनुराधा पौडवाल एवं सोनू निगम और प्रसिद्ध गायक शाहिद रफी के साथ एक गहनपरिचर्चा में भाग लेने का सौभाग्य मिला। करिश्माई अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, अभिनेता अर्जुन चक्रवर्ती और फिल्मों के विद्वान एन मनु चक्रवर्ती ने तपन सिन्हा की कहानी कहने की उत्कृष्ट शैली और बांग्लाव भारतीय सिनेमा पर उनके प्रभाव के बारे में अपने विचार पेश किए।
आईएफएफआई टीम ने इन दिग्गज कलाकारों की कलात्मक उत्कृष्टता का उत्सव मनाने के लिए डिजिटल रूप से पुनर्स्थापित फिल्मों की एक विशेष लाइनअप भी खूबसूरती से तैयार की थी। चयनित फिल्मों में देवदासु (अक्किनेनी नागेश्वर राव), आवारा (राज कपूर), हम दोनों (मोहम्मद रफी का संगीत), और हारमोनियम (तपन सिन्हा) शामिल थी। इन फिल्मों के प्रदर्शन ने पुरानी यादों को ताजा कर दिया और पीढ़ियों से चली आ रही उनकी शाश्वत अपील का उत्सव मनाया। ‘कारवां ऑफ सॉन्ग्स’ नाम की एक संगीतमय यात्रा में राज कपूर और मोहम्मद रफी के 150 गीतों के साथ-साथ एएनआर और तपन सिन्हा के 75 गाने प्रदर्शित किए गए। इस संगीतमय श्रद्धांजलि ने भारतीय सिनेमा के समृद्ध साउंडस्केप में उनके बेजोड़ योगदानों पर प्रकाश डाला।
इस महोत्सव में ‘सफरनामा’नाम की एक प्रभावशाली प्रदर्शनी में इन चारों दिग्गजों के जीवन एवं करियर से जुड़ी दुर्लभ तस्वीरें, यादगार वस्तुएं और कलाकृतियां प्रदर्शित की गईं। एनएफडीसी और केंद्रीय संचार ब्यूरो ने अतीत एवं वर्तमान के बीच के अंतर को पाटते हुए, इन हस्तियों की व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपलब्धियों को जनता के सामने लाने का अच्छा काम किया। मनोरंजन के क्षेत्र में क्विज़, डिजिटल शोकेस और इंटरैक्टिव डिस्प्ले जैसी विषयगत गतिविधियां भी आयोजित की गईं।
उनके उल्लेखनीय योगदानों को भव्य एवं बेहद सार्थक तरीके से सम्मानित करने और उनके स्थायी प्रभाव को गरिमाएवं श्रद्धा के साथ श्रद्धांजलि देने के सराहनीय प्रयास किए गए हैं। यह समारोहने न केवल उनकी उपलब्धियों का उत्सव मनाया बल्कि भारतीय सिनेमा की उस स्थायी भावना को भी मजबूत किया जिसे इन दिग्गजों ने आकार देने में मदद की। आईएफएफआई ने यह सुनिश्चित किया कि इन सिनेमाई हस्तियों की विरासत भावी कहानीकारों और दूरदर्शी लोगों का मार्ग प्रशस्त करती रहे।
ई टीवी तेलगु के शो में नज़र आएंगे रायपुर के डांसर रितेश, अदीबा और लिलेश
रायपुर। किसी ने ठीक ही कहा है बड़े सपने देखने वाले अपने सपनों की उड़ान किसी से पूछकर नहीं भरते। रायपुर के रितेश, अदीबा और धमतरी के लिलेश 11 दिसंबर से ई टीवी तेलगु में प्रसारित होने वाले साऊथ के सबसे बड़े डांस शो में अपनी कला का जादू बिखेरेंगे। ये तीनों मनीष चंदानी की डांस स्कूल के विद्यार्थी हैं। मनीष चंदानी ने पहले रितेश को डांस प्लस प्रो जैसे दमदार शो के लिए तैयार किया था और रितेश 2024 डांस प्लस प्रो के विनर भी रह चुके हैं।
रितेश के जीवन का एकमात्र उद्देश्य है कि वे अच्छे डांसर बने और अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने खुली आंखों से सपने देखे, जो अब सच होने जा रहे हैं। अदीबा कुरैशी भी एक जुनूनी कलाकार बनने का सपना देखती है और उसका परफॉर्मेंस देखकर साऊथ के शो में आए जज इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अदीबा को फिल्म के लिए ऑफर दिया है। धमतरी जैसे छोटे शहर के लिलेश को अपनी कला पर विश्वास है और प्रेम भी ।
रितेश, अदीबा और लिलेश 11 दिसंबर को रात 9.30 बजे से प्रसारित होने वाले साऊथ के सबसे बड़े डांस शो में नज़र आएंगे। अपने सपनों को सच करने के लिए रितेश, अदीबा और लिलेश लगातार अपने गुरु मनीष चंदानी से प्रशिक्षण ले रहे हैं।
साहस की एक प्रेरक कहानी : 55वें आईएफएफआई में 'अमेरिकन वॉरियर' की चमक
"यह एक फिल्म से कहीं अधिक है - यह मेरी सहनशीलता की कहानी है" - अभिनेता विशी अय्यर
'अमेरिकन वॉरियर' जीवन में प्यार और दूसरे मौके की शक्ति को दर्शाता है - अभिनेत्री टेलर ट्रेडवेल
अमेरिकन वॉरियर अमेरिकी-भारतीयों के संघर्षों और आकांक्षाओं को दर्शाती है: निर्माता ऋषाना
डेस्क | 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव ने वैश्विक सिनेमाई समुदाय का खुले दिल से स्वागत किया, जिसमें बहुप्रतीक्षित फिल्म अमेरिकन वॉरियर पर प्रकाश डाला गया। गुस्तावो मार्टिन द्वारा निर्देशित, संयुक्त राज्य अमेरिका की यह प्रेरक फिल्म एक भारतीय-अमेरिकी प्रवासी की परिवर्तनकारी यात्रा को दर्शाती है।
"अमेरिकन वॉरियर" जय की प्रेरणादायक कहानी को प्रस्तुत करती है, जो एक पूर्व शौकिया एमएमए फाइटर और पूर्व अपराधी है। एक डकैती को नाकाम करने के बाद, जय प्रायश्चित की राह पर चलता है। उसकी बहादुरी उसे अप्रत्याशित रूप से एक स्थानीय नायक बना देती है, जिससे वह जनता की नजरों में आ जाता है और नई चुनौतियों का सामना करता है। यह फिल्म न केवल रूढ़ियों को तोड़ती है, बल्कि आशा का एक संदेश भी देती है, जो दर्शकों और समुदायों के दिलों को गहराई से छूती है। इसके अलावा, यह मुख्य अभिनेता विशी अय्यर के करिश्मे और दृढ़ निश्चय को भी उजागर करती है, जिन्होंने अपने किरदार में प्रामाणिकता और गहराई का संचार किया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में फिल्म के प्रतिनिधियों का परिचय कराया गया, जिसमें मुख्य अभिनेता विशी अय्यर, अभिनेत्री टेलर ट्रेडवेल, और निर्माता क्रिस्टी कूर्स बीस्ले और रशाना शामिल थे। फिल्म को प्रस्तुत करने के अवसर के लिए आभार व्यक्त करते हुए, प्रतिनिधियों ने इसकी कहानी के उद्भव और इसके प्रभाव के बारे में अपने विचार साझा किए। एक आकर्षक ट्रेलर भी प्रदर्शित किया गया, जिसने दर्शकों को कहानी की सच्ची और भावनात्मक गहराई से जोड़ते हुए एक रोमांचक माहौल तैयार किया।
अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, विशी अय्यर ने फिल्म के पीछे अपनी गहरी व्यक्तिगत प्रेरणा का खुलासा किया, जो उनके अपने जीवन के अनुभवों में निहित है। वित्तीय संकट के दौरान करोड़ों डॉलर का व्यवसाय खोने और बहिष्कार का सामना करने के बाद, अय्यर ने आध्यात्मिकता और आत्म-खोज में शरण ली। भगवद गीता की शिक्षाओं, विशेष रूप से अर्जुन की कहानी से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने दृढ़ता और मुक्ति की एक कहानी की अवधारणा बनाई।
फिल्म को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय महोत्सवों में बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है, जहां दर्शकों ने इसकी थीम से गहरी जुड़ाव महसूस किया। कॉन्फ्रेंस के दौरान, टीम ने स्क्रीनिंग के दौरान के भावुक क्षणों को साझा किया, जिसमें दर्शकों की प्रतिक्रियाएं शामिल थीं। कई दर्शकों ने अपनी जिंदगी से फिल्म की कहानी को जोड़ते हुए अपने अनुभव साझा किए, जो इसकी गहराई और प्रभावशीलता को दर्शाता है।
टीम के बीच रचनात्मक सहयोग, जिसमें अनुभवी स्टंट कोऑर्डिनेटर्स और एमएमए पेशेवरों का योगदान शामिल था, को फिल्म की सफलता का एक महत्वपूर्ण कारक बताया गया। "अमेरिकन वॉरियर" एक शक्तिशाली कहानी के रूप में उभरती है, जो परिवर्तन, साहस और सांस्कृतिक पुलों के निर्माण को दर्शाती है। इसकी थीम सभी सीमाओं को पार कर, दर्शकों को आशा और दृढ़ता के सार्वभौमिक संदेश से गहराई से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है।
आईएफएफआई भावी माहिर फिल्म निर्माताओं के लिए एक लॉन्चपैड के रूप में उभरा
नई दिल्ली | भारतीय सिनेमा के भविष्य का उत्सव मनाते हुए - 'क्रिएटिव माइंड्स ऑफ़ टुमॉरो' में युवा प्रतिभा और केवल 48 घंटों में तैयार की गई रचनात्मक कहानियाँ दिखाई गई हैं |
'गुल्लू' - एक अदृश्य मोबाइल फ़ोन के ज़रिए मनुष्य और तकनीक के बीच के नाज़ुक रिश्ते को दिखाने वाली फ़िल्म ने सीएमओटी में बहुत प्रशंसा प्राप्त की
युवाओं का जोश, जोश से भरा माहौल और 48 अथक लेकिन अविस्मरणीय घंटों की उत्कटता - यह नजारा आज 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में आयोजित क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो (सीएमओटी) के समापन समारोह के दौरान मैक्विनेज़ पैलेस में देखने को मिला।
सीएमओटी भारत के सबसे होनहार युवा फिल्म निर्माताओं की पहचान करने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए एक अग्रणी मंच के रूप में उभरा है। यह इस वर्ष एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इस कार्यक्रम को बढा़ कर इसमे 13 फिल्म निर्माण विषयों में 100 युवा प्रतिभाओं को शामिल किया गया। इसमें पिछले संस्करणों में शामिल 75 प्रतिभागियों और 10 कहानियों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस पहल को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इसमें पूरे भारत से लगभग 1,070 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं जो फिल्म-संबंधित 13 क्षेत्रों में उनकी प्रतिभा को दर्शाता है।
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 48-घंटे में फिल्म निर्माण की चुनौती थी। इसमें प्रतिभागियों को 20 सदस्यों की पाँच टीमों में विभाजित किया गया। इन टीमों ने “प्रौद्योगिकी के युग में रिश्ते” विषय पर केंद्रित लघु फ़िल्में बनाईं। इसे 21 से 23 नवंबर, 2024 तक पंजिम के 4 किलोमीटर के दायरे में 12 स्थानों पर आयोजित किया गया। इसमें टीम की रचनात्मकता और प्रतिरोधक्षमता की जांच की गई।
इस वर्ष, सीएमओटी में 48 घंटे में फिल्म निर्माण की चुनौती के विजेता हैं:
1. सर्वश्रेष्ठ फिल्म: गुल्लू
सर्वश्रेष्ठ फिल्म (उपविजेता): वी हियर द सेम म्यूजिक
2. सर्वश्रेष्ठ निर्देशक: अर्शाली जोस (गुल्लू)
3. सर्वश्रेष्ठ पटकथा: अधिराज बोस (लवपिक्स सब्सक्रिप्शन)
4. सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: विशाखा नायर (लवपिक्स सब्सक्रिप्शन)
5. सर्वश्रेष्ठ अभिनेता: पुष्पेंद्र कुमार (गुल्लू)
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीतने वाली सुश्री अर्शाली जोस ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, “यह उपलब्धि मेरी पूरी टीम की है। पटकथा हमारी फिल्म का असली नायक थी, और जब मैंने इसे पढ़ा मैं जानती थी कि हमारे पास कुछ खास है। इस असाधारण टीम के साथ काम करना एक अविस्मरणीय अनुभव रहा है।”
इन युवा प्रतिभाओं का पिछले वर्ष के सीएमओटी के पूर्व छात्रों ने मार्गदर्शन किया। इन पूर्व छात्रों- चिदानंद नाइक, अखिल लोटलीकर, सुबर्णा दाश, अक्षिता वोहरा और कृष्णा दुसाने को सीएमओटी चैंपियन के रूप में आमंत्रित किया गया था।
प्रतिभागियों की प्रशंसा करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने कहा, "भारी दबाव में 48 घंटों मे ऐसी अनुकरणीय फिल्मों का निर्माण करना अपने आप में एक उपलब्धि है। यहां हर प्रतिभागी विजेता है।" उन्होंने आगे जोर दिया, "इस वर्ष, हमने आईएफएफआई को हमारे देश के अतीत के और युवाओं द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए भावी दिग्गजों को समर्पित किया है। सीएमओटी, फिल्म बाजार और रेड कार्पेट जैसी पहल महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं को अपने सपनों को साकार करने का अवसर प्रदान करते हैं।"
समारोह में मौजूद अभिनेता अमित साध ने देश भर के युवा फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं को फिल्म उद्योग के अवसर सीधे उपलब्ध कराने के लिए आईएफएफआई की प्रशंसा की। इस कार्यक्रम में सूचना और प्रसारण मंत्रालय में विशेष सचिव नीरजा शेखर ; प्रसारण विभाग के संयुक्त सचिव और एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक पृथुल कुमार; फिल्म विभाग की संयुक्त सचिव वृंदा देसाई और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पूर्व सचिव अपूर्व चंद्रा के अलावा जाने-माने लेखक और ग्रैंड ज्यूरी के सदस्य सम्राट चक्रवर्ती भी शामिल हुए।
इस साल सीएमओटी ने न केवल युवा फिल्म निर्माताओं की जीवंत प्रतिभा का उत्सव मनाया बल्कि इन फिल्म निर्माताओं के लिए लॉन्चपैड के रूप में आईएफएफआई की भूमिका को भी मजबूत किया।
मंच से सिनेमा तक : “पुणे हाईवे” जीवन की भावपूर्ण कहानी प्रस्तुत करती है
“दोस्ती, विश्वासघात और मुक्ति ‘पुणे हाईवे’ हमें अनुभव का महत्व बताने वाले विकल्प सोचने के लिए मजबूर करती है” – अमित साध
“मंच से स्क्रीन तक का सफ़र चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन परिणाम वास्तव में संतोषजनक है” – बग्स भार्गव, निर्देशक और लेखक
“ फ़िल्म इस बात का सबूत है कि सच्चाई से कही गई एक साधारण कहानी किसी भी बाधा को पार कर सकती है” – राहुल दाकुन्हा, निर्देशक और लेखक
डेस्क | फिल्म ‘पुणे हाईवे’ के कलाकार और दल के अन्य सदस्य गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में एक दिलचस्प प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए एकत्र हुए। फिल्म निर्माताओं ने अपनी रचनात्मक प्रक्रियाओं, निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियों और सिनेमा के भविष्य की अपनी कल्पना पर चर्चा की।
राहुल दाकुन्हा और बग्स भार्गव द्वारा निर्देशित और लिखित, पुणे हाईवे एक भावनात्मक थ्रिलर है जो एक रोमांचक कथानक प्रस्तुत करती है जो अप्रत्याशित परिस्थितियों से प्रभावित होकर नाजुक दोस्ती की तह खोलती है। पुरानी यादों, रहस्य और तकलीफदेह ड्रामा के बेहतरीन मिश्रण के साथ, फिल्म गहरे मानवीय संबंधों और उनकी जटिलताओं का सार प्रस्तुत करती है। फिल्म के भयावह दृश्य एक ऐसा सिनेमाई अनुभव प्रस्तुत करते हैं जो इसके समाप्त होने के बाद भी लंबे समय तक दिलो-दिमाग पर छाए रहते हैं।
मूल रूप से नौ देशों में दिखाए गए एक कमरे के नाटक के रूप में कल्पना की गई, पुणे हाईवे ने सिनेमाई प्रारूप में फिट होने के लिए रचनात्मक विकास किया। राहुल दाकुन्हा, जिन्होंने नाटक और फिल्म लिखी और निर्देशित की, ने बड़े पर्दे के लिए इसके दायरे का विस्तार करने के बारे में जानकारी साझा की।
दाकुन्हा ने बताया, "हमें सिनेमा के लिए नाटक की मूल भावनाओं को बरकरार रखते हुए भय, गुस्से और रोमांच के क्षणों की फिर से कल्पना करनी थी।" "यह दोस्ती के पीछे छिपे वास्तविक मुद्दों का विश्लेषण करने की कहानी है।"
सह-निर्देशक बग्स भार्गव ने फिल्म के निर्माण में किए गए सामूहिक प्रयास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "यह फिल्म प्रेम की मेहनत है, जिसमें कहानी कहने के वर्षों का अनुभव और विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।"
जाने-माने अभिनेता अमित साध ने इस तरह के अनूठे प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने पर अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, "यह भूमिका निभाना मेरे करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण और संतोषजनक अनुभवों में से एक रहा है। यह एक ऐसी कहानी है जो हर उस व्यक्ति से जुड़ी है जिसने कभी दोस्ती को महत्व दिया है।"
मंजरी फडनीस ने फिल्म के सार्वभौमिक विषयों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, "पुणे हाईवे सिर्फ़ एक थ्रिलर नहीं है; यह मानवीय रिश्तों और जीवन को बदल देने वाली घटनाओं का सामना करने पर हमारे द्वारा चुने गए रास्ते की मार्मिक खोज है।
निर्माता सीमा महापात्रा ने कहा, "यह एक ऐसी फिल्म है जो हर किसी को पसंद आएगी - क्योंकि इसके मूल में, रिश्तों और उन विकल्पों की चर्चा है जो हमें किसी अनुभव का महत्व बताते हैं।"
पुणे हाईवे को इसके सार्वभौमिक विषयों के लिए सराहा गया है, जिससे यह विभिन्न संस्कृतियों के दर्शकों के लिए प्रासंगिक बन गया है। सस्पेंस और भावनात्मक गहराई के मिश्रण ने इसे इस साल के आईएफएफआई गोवा में एक बेहतरीन प्रविष्टि के रूप में स्थान दिया है। फिल्म निर्माता फिल्म समारोहों से हटकर फिल्म के बारे में आशावादी हैं, और ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुँचने के लिए इसे वैश्विक प्लेटफार्मों पर रिलीज़ करने की योजना बना रहे हैं। निर्देशकों ने एक सीक्वल का भी संकेत दिया, जिसमें पात्रों के जीवन और कहानी के अनसुलझे रहस्यों को गहराई से दिखाने का वादा किया गया।
सह-निर्माता जहाँआरा भार्गव ने कहा, "हम पुणे हाईवे को दुनिया के साथ साझा करने के लिए उत्साहित हैं। यह एक ऐसी कहानी है जिसे हर किसी को बताना और सुनना चाहिए।"
पुणे हाईवे दुनिया भर के दर्शकों पर एक अमिट छाप छोड़ने का वादा करती है, यह भारतीय सिनेमा में दोस्ती और उनकी जटिल गतिशीलता को फिर से परिभाषित करती है।
“असफलता सिर्फ एक घटना है, कोई व्यक्ति नहीं” : इफ्फी 2024 में दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर
"मैं खुद अपनी असफलताओं से सफल होने की एक कहानी हूँ" - अनुपम खेर
दिग्गज अभिनेता ने 55वें इफ्फी मास्टरक्लास में अपने जीवन दर्शन 'डोंट गिव अप' को मजबूती से सामने रखा
डेस्क | भारतीय सिनेमा के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक, अनुपम खेर ने 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के चौथे दिन गोवा के पणजी स्थित कला अकादमी में आयोजित एक सम्मोहक मास्टर क्लास के साथ छात्रों और प्रतिनिधियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
खेर ने ‘असफलता की शक्ति’ विषय पर सत्र की शुरुआत यह कहकर की, “मुझे लगता है कि मैं खुद अपनी असफलताओं से सफल होने की कहानी हूँ।” पूरा सत्र वास्तव में जीवन के पाठों पर एक मास्टरक्लास था, जिसमें उनके व्यक्तिगत जीवन की कई कहानियाँ थीं, जो उनके ज्ञान से सुशोभित थीं।
अनुपम खेर ने कहा कि उनकी कहानी शिमला से शुरू हुई जहां चौदह सदस्यों के एक संयुक्त परिवार ने एक ही कमरे में अपना जीवन बिताया जिसमें उनके पिता एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उनके शब्दों में, वह गरीब थे, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से खुश थे और उनके दादाजी की कही एक बात, "जब लोग बहुत गरीब होते हैं, तो उनके लिए सबसे सस्ती चीज खुशी होती है" उन्हें याद है।
बेहद अनुभवी अभिनेता, अनुपम खेर उस समय को याद करते हैं जब उन्होंने पहली बार स्कूल के एक नाटक में अभिनय किया था जब वह पांचवीं कक्षा में थे। उन्होंने कहा की जब वह सांत्वना पुरस्कार भी जीतने में असफल रहे तो वह दुखी हो गए थे। उस दिन मेरे पिता ने मुझसे कहा था "असफलता एक घटना है, एक व्यक्ति नहीं"। अपनी अगली प्रस्तुति में, इस उभरते अभिनेता ने विलियम शेक्सपियर के नाटक 'मर्चेंट ऑफ वेनिस' में उन्हें दिए गए संवाद की 2 पंक्तियों में 27 गलतियाँ कीं!
यह बात उस समय की है जब नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के गोल्ड मेडलिस्ट युवा अभिनेता अनुपम खेर पहली बार मुंबई आए थे। खेर ने कहा, "चूंकि मैं पहले से ही एनएसडी गोल्ड मेडलिस्ट था, इसलिए मुझे पहले मौके पर ही इस सपनों के शहर में अपनी जीत का विश्वास था।" लेकिन कुछ ही महीनों में उन्हें रहने के लिए बांद्रा पूर्व रेलवे स्टेशन पर शिफ्ट होना पड़ा जहां वह 27 दिनों तक रहे।
लेकिन कई उतार-चढ़ाव के बाद खेर की फिल्म 'सारांश'को पुरस्कृत किया गया। खेर ने याद किया कि 1984 में उन्होंने पहली बार दिल्ली में इफ्फी का दौरा किया था। इस मास्टरक्लास के साथ इफ्फी में उनकी पहली यात्रा को 40 साल हो गए हैं।
अनुपम खेर के लिए जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा है। लेकिन हर बुरे दौर में, चाहे वह 'हम आपके हैं कौन' की शूटिंग के दौरान उन्हें चेहरे पर लकवा हो गया हो या वह समय जब वह 2004 में लगभग दिवालिया हो गए थे, हर बार उन्होंने अपने पिता और दादा से मिली सीख पर ही काम किया।
खेर की उतार-चढ़ाव भरी जीवन यात्रा को सुनकर सभी दर्शक अवाक रह गये। लेकिन अपने आकर्षक व्यक्तित्व, संवाद और अभिनय से इस 68 वर्षीय अनुभवी अभिनेता ने 'नेवर गिव अप' जैसे अपने जीवन दर्शन के टॉनिक से सभी दर्शकों को सहजता से मंत्रमुग्ध कर दिया!
बाधाओं को पार करना : 55वें आईएफएफआई ने फिल्मों में सुगमता के लिए नए मानक स्थापित किए
नई दिल्ली | सबका मनोरंजन: 55वें आईएफएफआई का उद्देश्य फिल्म समारोहों में समावेशिता को नए सिरे से परिभाषित करना है |
55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) ने "सबका मनोरंजन" थीम को जारी रखते हुए एक समावेशी सिनेमा के अनुभव का निर्माण किया है। आईएफएफआई ने सबके लिए उपलब्ध फिल्म महोत्सव की अपनी परंपरा को जारी रखा है और यह सुनिश्चित किया है कि यह महोत्सव हर साल सभी सिने प्रेमियों का स्वागत करता रहे। समावेशन भागीदार, दिव्यांगों के लिए राज्य आयोग, गोवा और सुगम्यता भागीदार स्वयं जैसे प्रमुख सहयोगियों के समर्थन से, आईएफएफआई सिनेमा में समावेशिता के लिए एक मानक स्थापित करता है।
समावेशी उद्घाटन और समापन समारोह: आईएफएफआई के इतिहास में पहली बार उद्घाटन और समापन समारोह में उसी समय सांकेतिक भाषा व्याख्या की सुविधा होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सुनने में असमर्थ व्यक्तियों सहित सभी उपस्थित लोग महोत्सव के दृश्यों और संगीत का पूरा आनंद ले सकें।
सुगम्य भारत फिल्म खंड: आईएफएफआई 2024 का एक प्रमुख आकर्षण है। इस खंड में ऑडियो विवरण और भारतीय सांकेतिक भाषा के साथ चुनिंदा भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्में दिखाई जाएंगी, जिससे दृष्टि बाधित और सुनने में असमर्थ दर्शक स्वयं को फिल्म की कहानी से जोड़ सकेंगे। 55वें आईएफएफआई में ऐप के माध्यम से ऑडियो विवरण के साथ भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्में भी दिखाई जाएंगी, जो समावेशी स्क्रीनिंग के अनुभव को और बढ़ाएगी। यह खंड 22 नवंबर को 12वीं फेल की फिल्म दिखाने के साथ शुरू होगा, जिसमें ऑडियो विवरण और सांकेतिक भाषा की व्याख्या होगी। सुगम्य सिनेमा का नया अध्याय प्रतिष्ठित कलाकार मेथिल देविका द्वारा भारतीय सांकेतिक भाषा में शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन के साथ शुरू होगा, जो समावेशिता के प्रति महोत्सव की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
55वां भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव : संस्कृतियों का जुड़ाव, सिनेमा की दिग्गज हस्तियों का सम्मान, भविष्य को आकार
डेस्क | 55वां भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) 20 से 28 नवंबर, 2024 के दौरान गोवा के मनोरम तट पर सिनेमाई उत्सव की एक नई छटा बिखेरने को तैयार है। इस वर्ष का यह महोत्सव महज फिल्मों की एक प्रदर्शनी से कहीं बढ़कर होने वाला है। विविध वैश्विक संस्कृतियों का संगम एवं उभरती प्रतिभाओं के लिए एक लॉन्चपैड होने के साथ-साथ यह आयोजन भारत की सिनेमाई विरासत के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि भी होगा। आईएफएफआई 2024 न केवल अपने विकास की दृष्टि से बल्कि एक विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के रूप में एक ऐसा साहसिक कदम होगा, जो वैश्विक मंच पर भारत की जीवंत संस्कृति और सिनेमा की कला का उत्सव मनाएगा।
इस वर्ष, विविध संस्कृतियों को जोड़ने और अंतरराष्ट्रीय समझ को बढ़ावा देने के प्रति फिल्म महोत्सव की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए आईएफएफआई ने ऑस्ट्रेलिया को “आकर्षण का केन्द्रबिन्दु वाले देश” (कंट्री ऑफ फोकस) के रूप में रेखांकित किया है। आईएफएफआई का यह खंड भारतीय दर्शकों को ऑस्ट्रेलियाई सिनेमा की उस तह में उतरने के लिए आमंत्रित करता है, जहां गंभीर नाटकों से लेकर साहसिक कॉमेडी और विचारोत्तेजक वृत्तचित्रों तक की चुनिंदा फिल्मों की थाह ली जायेगी। इस केन्द्रित दृष्टिकोण के माध्यम से, दर्शकों को ऑस्ट्रेलिया की अनूठी और विकसित सिनेमाई भाषा का एक ऐसा अनुभव हासिल होगा जो आईएफएफआई को अंतर- सांस्कृतिक प्रशंसा एवं संवाद का एक शक्तिशाली मंच बनाएगा। ऐसा करने के क्रम में, आईएफएफआई 2024 एक ऐसे भावविभोर कर देने वाले अनुभव को संभव बनाने हेतु फिल्मों के पारंपरिक प्रदर्शन से परे जाएगा जो इस महोत्सव को दुनिया की विविध कहानियों, लोगों एवं संस्कृतियों के बीच एक सेतु के रूप में स्थापित करेगा।
आईएफएफआई 2024 का नवीनतम पुरस्कार, “भारतीय फीचर फिल्म का सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक” पुरस्कार, भारतीय फिल्मकारों की अगली पीढ़ी पर प्रकाश डालेगा। यह पुरस्कार केवल एक मान्यता भर नहीं होगा। यह एक युवा निर्देशक के करियर में एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षण होगा, जो भारतीय सिनेमा में नए दृष्टिकोण के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। इस श्रेणी को पहली बार के निर्देशकों को समर्पित करके, आईएफएफआई रचनात्मक प्रतिभाओं को निखारने और उन्हें निरंतर प्रतिस्पर्धी होते फिल्म उद्योग में जगह बनाने में मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता का संकेत देता है।
जहां विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव स्थापित प्रतिभाओं पर ही ध्यान केन्द्रित करते हैं, वहीं आईएफएफआई द्वारा नवोदित फिल्म निर्माताओं को मान्यता देना विकास को बढ़ावा देने और भारतीय सिनेमा के भविष्य को अपनाने के प्रति इसके समर्पण को दर्शाता है। इस वर्ष का यह महोत्सव भारतीय सिनेमा की चार महान विभूतियों – राज कपूर, तपन सिन्हा, अक्किनेनी नागेश्वर राव (एएनआर) और मोहम्मद रफी – को भी श्रद्धांजलि देगा। इन दिग्गज हस्तियों ने भारत की सिनेमाई विरासत को आकार दिया और कई पीढ़ियों के दर्शकों के दिलों पर राज किया।
भारतीय और अंतरराष्ट्रीय, दोनों प्रकार के फिल्म निर्माताओं के संदर्भ में यह फिल्म बाजार वैश्विक दर्शकों के लिए एक प्रवेश द्वार और भविष्य की परियोजनाओं के लिए नेटवर्क एवं सुरक्षित समर्थन का एक दुर्लभ अवसर प्रस्तुत करता है। आईएफएफआई का भारतीय पैनोरमा खंड इस महोत्सव की एक ऐसी पहचान बन गया है, जो दर्शकों को समकालीन भारतीय सिनेमा के विविध चयन की पेशकश करता है। 25 फीचर फिल्मों और 20 गैर-फीचर फिल्मों को उनकी सिनेमाई उत्कृष्टता, विषयगत महत्व और सौंदर्यशील रचनात्मकता के लिए चुनकर भारतीय पैनोरमा कहानी कहने की भारतीय शैली की जीवंतता एवं विविधता को प्रदर्शित करता है। अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए, यह खंड भारत के सामाजिक- सांस्कृतिक परिदृश्य के बारे में एक प्रामाणिक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो क्षेत्रीय कथाओं से लेकर कला के क्षेत्र में अग्रगामी प्रयोगों तक पर प्रकाश डालता है। यह खंड भारतीय सिनेमा को उसकी पूरी गहराई और विविधता में प्रस्तुत करने के आईएफएफआई के मिशन को पुष्ट करता है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर फिल्म संबंधी परिचर्चा का एक अमूल्य हिस्सा बन जाता है।
भारत की समृद्ध परंपराओं और विविधता में एकता को रेखांकित करने वाला अभियान ‘भारत पर्व’ आईएफएफआई में अपनी सिनेमाई अभिव्यक्ति पाता है, जहां फिल्में, कार्यक्रम और प्रोग्रामिंग भारत की बहुमुखी पहचान को दर्शाते हैं। भारतीय संस्कृति का यह उत्सव अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों को भारत की कहानी के बारे में एक व्यापक अनुभव व गहरी समझ प्रदान करता है और सिनेमा के शक्तिशाली लेंस के माध्यम से इसकी विरासत की एक झलक प्रदान करता है। भारतीय फिल्म निर्माताओं को उठाकर वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाले एक आधार के रूप में कार्य करने वाले, आईएफएफआई 2024 का आयोजन भारतीय सिनेमा के एक परिवर्तनकारी दौर में हो रहा है। उभरती प्रतिभा, वैश्विक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर इस महोत्सव का जोर कला के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने की भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप है। फिल्म उद्योग से जुड़ी पहलों, नई प्रतिभाओं की पहचान और सिनेमाई विरासत के उत्सव से संबंधित आईएफएफआई का अनूठा संयोजन इसे भारतीय सिनेमा के विकास और वैश्विक मंच पर इसके स्वागत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाता है। आईएफएफआई का इस वर्ष का संस्करण फिल्म उद्योग पर एक अमिट प्रभाव छोड़ने का संकल्प व्यक्त करता है और आईएफएफआई को एक ऐसे महोत्सव के रूप में परिभाषित करता है, जो न केवल भारत की सिनेमाई संस्कृति को दर्शाता है बल्कि सक्रिय रूप से इसके भविष्य को आकार भी देता है। अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं के लिए, आईएफएफआई 2024 भारत के जीवंत सिनेमाई परिदृश्य से जुड़ने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। इन संवादों के माध्यम से, आईएफएफआई एक ऐसा अनूठा सहयोगात्मक वातावरण बनाता है जो भारतीय और वैश्विक सिनेमा को समृद्ध करता है। 55वां आईएफएफआई एक ऐसा महोत्सव है, जो भविष्य की प्रतिभाओं को गले लगाते हुए और भारतीय सिनेमा की दिग्गज हस्तियों को श्रद्धांजलि देते हुए दूरदर्शी रचनात्मकता के साथ परंपरा का सहज विलय करता है। ‘भारत पर्व’ की भावना से लेकर उभरती प्रतिभाओं के लिए एक नए पुरस्कार की शुरुआत करने तक, आईएफएफआई 2024 सिनेमा के विकसित स्वरुप का प्रतीक है और यह संपर्क के एक उपकरण के रूप में कहानी कहने की शक्ति का उत्सव मनाता है। चूंकि यह महोत्सव अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं, उद्योग जगत के प्रमुखों और दर्शकों को एक साथ आकर्षित करता है, यह भारत को वैश्विक सिनेमा में एक प्रमुख अंग के रूप में स्थापित करता है और स्थायी प्रभाव एवं दृष्टिकोण वाले एक महोत्सव के रूप में आईएफएफआई की हैसियत की पुष्टि करता है।