शिक्षा-कैरियर-लाइफ स्टाइल
प्रदेश के इस जिले में मोबाइल मेडिकल यूनिट के संचालन हेतु की जा रही भर्तियां
रायपुर। भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी, राज्य शाखा रायपुर, छत्तीसगढ़ के तहत, जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर को एक मोबाईल मेडिकल यूनिट (MMU) चलित वाहन के संचालन के लिए छत्तीसगढ़ मूल निवासियों के लिए मानव संसाधन की भर्ती की जाएगी। इस हेतु वॉक-इन-इन्टरव्यू के माध्यम से मानदेय पर अस्थाई नियुक्ति की जाएगी। इच्छुक पात्र उम्मीदवारों को निर्धारित प्रारूप में आवेदन पंजीकृत डाक/स्पीड पोस्ट के माध्यम से 24 मार्च 2025 सोमवार शाम 5:00 बजे तक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर छत्तीसगढ़ के कार्यालय में भेजना अनिवार्य है।
एमबीबीएस चिकित्सा अधिकारी का एक पद उपलब्ध है, जिसके लिए एमबीबीएस डिग्री और सीजी मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण अनिवार्य है। इस पद के लिए अधिकतम एकमुश्त वेतन 80,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया है। वहीं स्टाफ नर्स के लिए एक पद हेतु बी.एस.सी. नर्सिंग, पी.बी.बी.एस.सी नर्सिंग या जनरल नर्सिंग एवं सीनियर मिडवाइफरी प्रशिक्षण आवश्यक है, साथ ही छत्तीसगढ़ नर्सिंग काउंसिल में जीवित पंजीयन होना अनिवार्य है । इस पद के लिए एकमुश्त 25,000 रुपये प्रतिमाह वेतन निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही लैब टेक्नीशियन पद के लिए 10+12वीं में विज्ञान विषय के साथ उत्तीर्णता आवश्यक है, साथ ही पैथोलॉजी टेक्नीशियन का एक वर्षीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम या मेडिकल पैथोलॉजी में डिप्लोमा होना चाहिए। इसके अलावा छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल में जीवित पंजीयन होना आवश्यक है।
इस पद के लिए एकमुश्त वेतन 18,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया है। इच्छुक उम्मीदवारों को आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 24 मार्च 2025 निर्धारित की गई है। प्राप्त आवेदनों की पात्र/अपात्र सूची 7 अप्रैल 2025 को प्रकाशित होगी और जिला की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। इसके बाद 11 अप्रैल 2025 तक दावा-आपत्ति प्रस्तुत की जा सकती है। अंतिम पात्र/अपात्र सूची एवं वरीयता सूची 21 अप्रैल 2025 को प्रकाशित की जाएगी। इसके बाद 24 अप्रैल 2025 गुरुवार को प्रातः 11:00 बजे वॉक-इन-इंटरव्यू आयोजित किया जाएगा, जो सिविल कोर्ट, मनेन्द्रगढ़ के सामने, नवीन कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के सभाकक्ष में होगा। सभी आवेदक जिले की वेबसाइट से आवेदन पत्र डाउनलोड कर सकते हैं।
अभ्यर्थियों को वॉक-इन-इंटरव्यू में भाग लेने के लिए किसी प्रकार का यात्रा भत्ता प्रदान नहीं किया जाएगा। यदि कोई जानकारी असत्य या फर्जी पाई जाती है, तो नियुक्ति रद्द कर दी जाएगी और संबंधित के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी। अधिक जानकारी के लिए जिले की आधिकारिक वेबसाइट https://manendragarh-chirmiri-bharatpur.cg.gov.in/ पर विजिट करें।
भारतीय स्टेट बैंक में इतने पदों पर भर्ती होगी.... वेतन एक लाख से ज्यादा
डेस्क। बेरोजगार घूम रहे युवाओं के लिए सुनहरा मौका मिलने जा रहा है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने मैनेजर रिटेल प्रोडक्ट्स के पदों पर भर्ती निकाली है। इसमें 273 पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन सकते हैं। उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट sbi.co.in पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए न्यूनतम आयु 28 साल और अधिकतम 40 साल वाले ही आवेदन के सकते हैं। इन पदों के लिए 50 हजार से लेकर 1 लाख 5 हजार 280 रुपए प्रतिमाह मिलेगा।
इन पदों के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से एमबीए, पीजीडीएम,पीजीपीएम, एमएमएस की डिग्री के अलावा रिटेल बैंकिंग में एग्जीक्यूटिव/सुपरवाइजर/मैनेजरियल रोल का 5 वर्ष का वर्क एक्सपीरियंस और एफएलसी काउंसलर,एफएलसी डायरेक्टर के लिए बैंक रिटायर्ड ऑफिसर आवेदन कर सकते हैं।
जानिए पदों की संख्या
मैनेजर रिटेल प्रोडक्ट्स 04
एफएलसी काउंसलर्स 263
एलएलसी डायरेक्टर्स 6
कुल पदों की संख्या 273
ऐसे करें आवेदन
ऑफिशियल वेबसाइट sbi.co.in पर जाएं।
न्यू रजिस्ट्रेशन लिंक पर क्लिक करें।
नाम, पासवर्ड के साथ लॉग इन करें।
फॉर्म में पासपोर्ट साइज फोटो, सिग्नेचर और अन्य डॉक्यूमेंट्स अटैच करें।
फीस का भुगतान करके फॉर्म प्रिव्यू और सब्मिट करें।
इसका प्रिंट आउट निकाल कर रखें।
छत्तीसगढ़ में मत्स्य निरीक्षक की भर्ती परीक्षा 23 मार्च को
मत्स्य निरीक्षक भर्ती के लिए परीक्षा 23 मार्च को आयोजित की जाएगी। इसके लिए प्रवेश पत्र जारी हो गए हैं। 70 पदों पर भर्ती के लिए 21 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। इस परीक्षा के लिए सिर्फ रायपुर ड्राइविंग ही परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। पिछले दिनों व्यापमं की ओर से प्रयोगशाला सहायक की भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इसके मॉडल आंसर भी गुरुवार को जारी कर दिए गए हैं।इस पर ऑनलाइन दावा-आपत्ति 20 मार्च की शाम 3 बजे तक की जा सकती है। उधर, मछली पालन विभाग छग के प्रस्ताव पर मत्स्य निरीक्षक की भर्ती परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए पिछले साल जनवरी-फरवरी में वैकेंसी निकली थी। पिछले साल सितंबर में यह परीक्षा होने वाली थी, बाद में इसे स्थगित किया गया था। व्यापमं के अधिकारियों का कहना है कि परीक्षार्थी प्रवेश पत्र के साथ मूल पहचान पत्र भी लेकर जाएं। यह फोटोयुक्त होना चाहिए। इसमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस समेत अन्य शामिल है। इसके बिना अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र में एंट्री नहीं मिलेगी। व्यापमं की अधिकृत नई वेबसाइट से प्रवेश पत्र निकाले जा सकते हैं।
आज से होलाष्टक की शुरू.... जानें इन आठ दिनों में क्या-क्या काम हैं वर्जित
डेस्क। सनातन परंपरा में कुछ दिन ऐसे होते हैं जिनमें किसी भी तरह के शुभ कार्य को वर्जित किया गया है। ऐसे ही कुछ वर्जित दिनों की शुरुआत आज यानी 7 मार्च से हो रही है। इन वर्जित दिनों का नाम है होलिकाष्टक। होलाष्टक के दिनों में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी करना वर्जित माना गया है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका स्वयं जल गईं और भक्त प्रह्लाद बच गए। होलाष्टक के समय में विवाह, मुंडन, नामकरण समेत 16 संस्कार वर्जित माने गए हैं। इस दौरान कोई भी यज्ञ, हवन आदि नहीं करना चाहिए। होलाष्टक के समय में नौकरी परिवर्तन से भी बचना चाहिए और नया व्यापार आरंभ नहीं करना चाहिए।
इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025 को किया जाएगा, वहीं धूलेड़ी यानी रंगों की होली 14 मार्च को खेली जाएगी। होली के आठ दिन पहले से होलाष्टक की शुरुआत होती है, जो इस वर्ष 7 मार्च 2025, शुक्रवार से शुरू हो रही है। इस दौरान कोई भी शुभ मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रभु नारायण के भक्त प्रह्लाद को जलाने से पहले आठ दिन तक उन्हें बहुत यातनाएं दीं। इसलिए इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि होलाष्टक के दौरान यानी होली से आठ दिन पहले तक सभी ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है, और उस दिन तक होलाष्टक रहते हैं। “होलाष्टक” शब्द का अर्थ है ‘होली के आठ दिन’।
परीक्षा में बड़ी सफलता के लिए युद्ध मन के विरुद्ध करना होगा: डॉ. वर्षा वरवंडकर
उत्तर पुस्तिका में सही लिखावट आपकी सफतला का बनेगी आधारः प्राचार्य मनीष गोवर्धन
भारत की उच्च शिक्षा : परंपरा से परिवर्तन तक
नई दिल्ली | “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं। हम अपने शैक्षणिक संस्थानों को समर्थन देना जारी रखेंगे और विकास एवं नवाचार के अवसर प्रदान करेंगे। इससे हमारे युवाओं को काफी मदद मिलेगी।”
भारत में शिक्षा इसकी उस प्राचीन दार्शनिक परंपरा में गहराई से अंतर्निहित है, जहां विद्या को महज ज्ञान के संचय के रूप में नहीं बल्कि समग्र आत्म-सशक्तीकरण के साधन के रूप में देखा जाता था। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में कहा गया है कि “ज्ञान की संपदा वास्तव में सभी प्रकार की संपदाओं में सर्वोच्च है।” वर्षों से, भारत ने ज्ञान की इस अमूल्य संपदा को समृद्ध करने और इसे अपने युवाओं तक पहुंचाने का प्रयास किया है। विशेष रूप से, पिछले दशक में, भारत ने वैश्विक रैंकिंग में अपने प्रतिनिधित्व में 318 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है - जोकि जी20 देशों के बीच सबसे अधिक वृद्धि है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इस सकारात्मक छलांग पर प्रकाश डालना अहम है।
10 फरवरी को, नीति आयोग ने ‘राज्यों और राजकीय सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का विस्तार’ शीर्षक रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट राजकीय सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (एसपीयू) पर केन्द्रित है, जो विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा को अधिक सुलभ बनाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे हैं। वर्तमान में, एसपीयू 3.25 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को सेवा प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में 2035 तक नामांकन को दोगुना करने का लक्ष्य रखे जाने के साथ, एसपीयू अधिकांश विद्यार्थियों को शिक्षित करना जारी रखेंगे।
वर्ष 1947 में भारत की आज़ादी के समय, देश की शिक्षा प्रणाली विभिन्न प्रकार की चुनौतियों से ग्रसित थी। भारत में केवल 17 विश्वविद्यालय और 636 कॉलेज थे, जो लगभग 2.38 लाख विद्यार्थियों को सेवा प्रदान करते थे। साक्षरता दर चिंताजनक रूप से कम 14 प्रतिशत थी। अब, हमारे पास 495 राजकीय सार्वजनिक विश्वविद्यालय और उनके साथ 46,000 से अधिक संबद्ध संस्थान हैं जो वास्तव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के कुल नामांकन में 81 प्रतिशत की हिस्सेदारी करते हैं, जोकि पूरे भारत में उच्च शिक्षा को सुलभ बनाता है।
वर्ष 1857 में कलकत्ता, बंबई और मद्रास में शुरुआती विश्वविद्यालयों की स्थापना के बाद से, भारत की उच्च शिक्षा के इकोसिस्टम में काफी विस्तार हुआ है। वर्ष 1950-51 में देश में सिर्फ 30 विश्वविद्यालय और 578 कॉलेज थे। हालांकि, एआईएसएचई रिपोर्ट 2021-2022 के अनुसार, परिदृश्य बदल गया है और अब 1,168 विश्वविद्यालय, 45,473 कॉलेज एवं 12,002 स्टैंड-अलोन संस्थान अस्तित्व में हैं। पिछले दो दशकों में अकेले कॉलेजों की संख्या ही चौगुनी से अधिक हो गई है, जोकि इस क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि को रेखांकित करती है।
वर्ष 1950-51 और 2021-22 के बीच, भारत का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) उल्लेखनीय रूप से 71 गुना बढ़ गया, जोकि पिछले दशकों में विद्यार्थियों के नामांकन को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। जीईआर के आंकड़े इस वृद्धि को दर्शाते हैं। वर्ष 1950-51 में जीईआर 0.4 था, जो 2021-22 में बढ़कर 28.4 तक जा पहुंचा। यह प्रभावशाली प्रगति राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य 2035 तक 50 प्रतिशत का जीईआर हासिल करना है।
भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) में लगभग 16 लाख शिक्षक हैं, जिनमें से अधिकांश (68 प्रतिशत) व्याख्याता/सहायक प्रोफेसर हैं। रीडर/एसोसिएट प्रोफेसर कुल संकाय का लगभग 10 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसके बाद प्रोफेसर एवं समकक्ष 9.5 प्रतिशत, डेमन्स्ट्रेटर/ट्यूटर 6 प्रतिशत, अस्थायी शिक्षक 5.7 प्रतिशत और विजिटिंग शिक्षक 0.8 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में प्रोफेसरों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई है।
वैश्विक स्तर पर अनुसंधान संबंधी प्रकाशनों में भारत के योगदान में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2017 में 3.5 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 5.2 प्रतिशत हो गई है। यह वृद्धि एनआईआरएफ 2024 रैंकिंग में परिलक्षित होती है, जहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) अनुसंधान संबंधी आउटपुट के मामले में अग्रणी हैं, जो 16 संस्थानों के माध्यम से कुल प्रकाशनों में 24 प्रतिशत से अधिक का योगदान देते हैं। इसके बाद निजी डीम्ड विश्वविद्यालयों का स्थान है, जो कुल प्रकाशनों में लगभग 23.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी करते हैं और 22 संस्थानों ने अपने अनुसंधान संबंधी आउटपुट में सुधार दर्शाया है।
भारत ने अपने उच्च शिक्षा क्षेत्र में भी एक मजबूत निवेश किया है और 2021 में अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.57 प्रतिशत हिस्सा तृतीयक स्तर की शिक्षा को समर्पित करते हुए कई यूरोपीय देशों को पीछे छोड़ दिया तथा संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूनाइटेड किंगडम के करीब आ गया। यह निरंतर निवेश भारत के शिक्षा से जुड़े इकोसिस्टम के विस्तार और मजबूती का समर्थन करता है, जिससे अनुसंधान एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुलभता के मामलों में प्रगति सुनिश्चित होती है।
नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि, राजकीय सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (एसपीयू) के विस्तार और वंचित समूहों के बेहतर प्रतिनिधित्व के साथ भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावशाली विकास हुआ है। देश ने लैंगिक समानता, संकाय विकास और वैश्विक स्तर पर अनुसंधान संबंधी योगदान के मामले में प्रगति की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के साथ, भारत का लक्ष्य 2035 तक 50 प्रतिशत का जीईआर हासिल करना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की न्यायसंगत सुलभता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शिक्षा के बुनियादी ढांचे, संकाय एवं अनुसंधान को और अधिक मजबूत करने पर ध्यान केन्द्रित करना है।
ग्रामीण डाक सेवक के 21 हजार से अधिक पदों पर आवेदन प्रारंभ.. 10वीं पास कर सकते हैं अप्लाई,
डेस्क। भारतीय डाक विभाग में ग्रामीण डाक सेवक के 21,413 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। देश के 23 राज्यों के लिए यह विज्ञापन जारी किया है। छत्तीसगढ़ राज्य के लिए 638 पदों पर भर्ती के लिए अधिसूचना जारी किया है। जो उम्मीदवार 10वीं पास है वे इस रोजगार में आवेदन के पात्र है और वह 3 मार्च 2025 से पहले ऑनलाइन आवेदन फॉर्म साइट https://indiapostgdsonline.gov.in/ पर जाकर प्रस्तुत कर सकते है।
पदों की जानकारी –
पद का नाम – ग्रामीण डाक सेवक ( BPM और ABPM ) ब्रांच पोस्ट मास्टर और असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर
कुल पदों की संख्या – 21,413
छत्तीसगढ़ के लिए – 638 पद
शैक्षणिक योग्यता –
किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण।
उम्मीदवारों को स्थानीय भाषा का ज्ञान होना चाहिए।
साइकिल चलाना आना चाहिए।
वेतनमान –
चयनित उम्मीदवारों को 10,000/- से 29,000/- रूपये प्रतिमाह वेतन प्रदान किया जायेगा।
आयु सीमा-
न्यूनतम आयु – 18 वर्ष
अधिकतम आयु – 40 वर्ष
आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट प्रदान किया जायेगा।
आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया –
योग्य और इक्षुक उम्मीदवार विभाग के आधिकारिक वेबसाइट https://indiapostgdsonline.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरना होगा। इसमें सबसे पहले पंजीयन करना होगा उसे बाद अपने पंजीयन क्रमांक से पुनः लॉगिन करके पूरा ऑनलाइन फॉर्म को भर सकते है। फीस पेमेंट करके अपना पूरा फॉर्म को भर सकते है।
ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रारंभिक तिथि- 10/02/2025
अंतिम तिथि – 03/03/2025
त्रुटि सुधार –6 मार्च से 08 मार्च 2025 तक
BSNL का धमाकेदार सस्ता प्लान: 10 महीने तक सिम रहेगा एक्टिव, डेटा-कॉल-SMS सबकुछ मिलेगा
डेस्क। मोबाइल रिचार्ज प्लान्स काफी महंगे हो गए हैं। जियो, एयरटेल और Vi की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद, दो एक्टिव नंबर्स को मैनेज करना कई लोगों के लिए तनाव का एक बड़ा कारण बन गया है। हालांकि, सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL ने अपने कस्टमर्स को काफी राहत देते हुए कई अफोर्डेबल प्लान्स पेश ऑफर करता है जो कम कीमत पर एक्सटेंडेड वैलिडिटी ऑफर करते हैं।
अगर आप प्राइवेट टेलीकॉम प्रोवाइडर्स के महंगे मंथली प्लान्स से थक चुके हैं, तो हम आपको BSNL के जबरदस्त प्लान के बारे में बताने जा रहे हैं। कंपनी एक एक ऐसा प्लान ऑफर करती है, जिससे 10 महीनों तक सिम को एक्टिव रखा जा सकता है। इसका मतलब है कि आप मंथली रिचार्ज की दिक्कत से निजात पा सकते हैं और इस प्रक्रिया में पैसे भी बचा सकते हैं।
वैसे BSNL के पास कई प्लान्स उपलब्ध हैं। जो लंबी वैलिडिटी पीरियड्स वाले कई ऑप्शन्स ऑफर करने के लिए टेलीकॉम सेक्टर में अलग से दिखाई देते हैं। BSNL के पास एक खास प्लान है, जिसमें 300 दिनों की वैलिडिटी मिलती है। यानी सिर्फ एक रिचार्ज के साथ, आप लगभग एक साल की टेंशन फ्री सर्विस का आनंद ले सकते हैं। इस प्लान से आपका BSNL कनेक्शन पूरे 10 महीनों तक एक्टिव रहेगा।
BSNL के बजट-फ्रेंडली प्लान्स की अपील के बीते कुछ महीनों में अपने नंबर पोर्ट कराने वाले यूजर्स में काफी वृद्धि भी हुई है। जिस प्लान के बारे में हम बात कर रहे हैं ये प्ला 797 रुपये का है। इसमें 300 दिनों तक की वैलिडिटी मिलती है। ये उन लोगों के लिए एक आइडियल ऑप्शन है जो अपने सिम कार्ड को बिना ज्यादा खर्च किए एक्टिव रखना चाहते हैं।
दरअसल, 797 रुपये के BSNL प्लान के साथ, आप 300 दिनों की वैलिडिटी मिलती है। लेकिन, आउटगोइंग कॉलिंग फीचर केवल पहले 60 दिनों के लिए उपलब्ध होगा। इस शुरुआती अवधि के दौरान, आप किसी भी नेटवर्क पर अनलिमिटेड कॉल कर सकते हैं। इसके अलावा आपको पहले 60 दिनों के लिए रोज 2GB हाई-स्पीड डेटा मिलता है। यानी टोटल 120GB डेटा इस प्लान में ग्राहकों को मिलता है। आपको इस टाइमफ्रेम के दौरान रोजाना 100 फ्री SMS भी मिलते हैं।
ध्यान रहे पहले 60 दिनों के बाद, आप कॉलिंग, डेटा और SMS सर्विस खो देंगे। अगर आपको बाद में कॉल करने की ज़रूरत है, तो आपको एक अलग प्लान चुनना होगा। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि ये ऑफरिंग उन यूजर्स के लिए खासतौर पर फायदेमंद है जो BSNL को सेकेंडरी सिम के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और रिचार्ज ऑप्शन्स पर ज्यादा खर्च नहीं करना पसंद करते हैं।
Board Exam 2025: जानिए, बच्चों की परीक्षा के दौरान अभिभावकों की क्या भूमिका होनी चाहिए
रायपुर। ‘परीक्षा’ चाहे जैसी भी हो वह तो बच्चों ही नहीं बड़ों के मन में भी भय पैदा कर देती है। अभी बोर्ड परीक्षाओं का दौर है, ऐसे में बच्चों के मस्तिष्क में पैदा हुए भय की आप कल्पना नहीं सकते। इस अज्ञात भय के कारण बच्चे जब पढ़ने हैं तो तो वह एकाग्र चित्त होकर पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसे में अभिभावकों की भूमिका अहम हो जाती है।
संत ज्ञानेश्वर विद्यालय के प्राचार्य मनीष गोवर्धन ने बताया कि जब बच्चों में परीक्षा का भय हो तो अभिभावकों का कर्तव्य होता है कि वे अपने बच्चों को भयमुक्त वातावरण प्रदान करें। उन्हें इस बात का अनुभव कराएं की परीक्षा में उन्हीं विषयों से प्रश्न पूछे जाएंगे जिनका उन्होंने वर्ष भर अध्ययन किया है, परीक्षा कोई भय का नाम नहीं है।
उन्होंने बताया कि अभिभावक निरंतर परीक्षा अवधि में अपने बच्चों के साथ मानसिक रूप से जुड़े रहे। घर का वातावरण शांतिपूर्ण बनाए रखें, इस दौरान यदि परिवार में कोई अप्रत्याशित घटना होती है, तो प्रयास यही करें कि बच्चों को पता ना चले ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित ना हो।
परीक्षा और उसके परिणाम को लेकर बच्चों पर किसी भी प्रकार का मानसिक दबाव न डालें, यदि बच्चे रात में जागरण कर पढ़ाई करते हैं तो उनके साथ कुछ अवधि तक जागने का प्रयास करें, उन्हें यह समझाएं की परीक्षा खुद को परखने का मौका होता है। उनके खानपान का विशेष ध्यान रखें। साथ ही उन्हें समझाएं कि ईमानदारी और लगन से यदि अध्ययन किया जाए तो सफलता अवश्य कदम चूमेगी।
परीक्षा पे चर्चा 2025: पीएम 10 फरवरी को सुबह 11 बजे देश भर के छात्रों से करेंगे बातचीत
नईदिल्ली। बहुप्रतीक्षित परीक्षा पे चर्चा 2025 (पीपीसी 2025) का आयोजन 10 फरवरी, 2025 को सुबह 11 बजे होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ बातचीत करेंगे और परीक्षा की तैयारी, तनाव प्रबंधन और व्यक्तिगत विकास पर मार्गदर्शन देंगे।
इस वर्ष, प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से 36 छात्रों का चयन किया गया है, जो राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बोर्ड सरकारी स्कूलों, केंद्रीय विद्यालय, सैनिक स्कूल, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, सीबीएसई और नवोदय विद्यालय से हैं। इनमें से कुछ छात्र प्रेरणा स्कूल कार्यक्रम के पूर्व छात्र हैं, कला उत्सव और वीर गाथा के विजेता हैं। इन छात्रों को सीधे प्रधानमंत्री से जुड़ने के लिए चुना गया है - जो इस संस्करण को भारत की विविधता और समावेशिता का सच्चा प्रतिरुप बनाता है।
एक नया आयाम जोड़ते हुए, पीपीसी 2025 आठ एपिसोड में एक नए रोमांचक प्रारूप में सामने आएगा। प्रधानमंत्री के साथ पहली बातचीत सीधे दूरदर्शन, स्वयं, स्वयंप्रभा, पीएमओ यूट्यूब चैनल और शिक्षा मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सोशल मीडिया चैनलों पर प्रसारित की जाएगी, जिससे देश भर के दर्शकों का इस समृद्ध अनुभव में भाग लेना सुनिश्चित होगा।
पीपीसी के जन आंदोलन बनने के साथ, हमारे बच्चों की शारीरिक और मानसिक भलाई को महत्वपूर्ण सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से संबोधित किया जा रहा है। तदनुसार, 8 वें संस्करण, यानी पीपीसी 2025 में विभिन्न क्षेत्रों की प्रसिद्ध हस्तियाँ शामिल होंगी जो पीपीसी के 7 आगामी एपिसोड में छात्रों को जीवन और सीखने के प्रमुख पहलुओं पर मार्गदर्शन करते हुए अपने अनुभव और ज्ञान साझा करेंगी। इन सत्रों में भाग लेने वाले छात्रों को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, विभिन्न शैक्षिक संगठनों और राष्ट्रीय स्तर की स्कूल प्रतियोगिताओं से चयन की प्रक्रिया के माध्यम से भी चुना गया था। विभिन्न मुद्दों पर केंद्रित ये एपिसोड इस प्रकार हैं:
महाकुंभ यात्राः त्रिवेणी संगम में किया पवित्र स्नान और बनारस में दिखी फक्कड़ अमीरी
- पांच दिनों में की 2400 किलोमीटर की धार्मिक यात्रा
- मैहर, त्रिवेणी संगम , काशी विश्वनाथ के साथ हनुमान गढ़ी के भी दर्शन
- महाराष्ट्र मंडल की आजीवन सभासद डा. अभया जोगळेकर ने शेयर की अपनी ट्रेवल डायरी
डेस्क। महाराष्ट्र मंडल की आजीवन सभासद डा. अभया जोगळेकर अपने साथियों के साथ 5 दिनों में 24 सौ किमी की धार्मिक यात्रा की। इस धार्मिक यात्रा का पहला पड़ाव मैहर और मुख्य पड़ाव प्रयागराज में लगा महाकुंभ रहा। इस दौरान उन्होंने अपनी इस अभूतपूर्व यात्रा को कागज के पन्नों पर संजोया। अपनी ट्रैवल डायरी में उन्होंने लिखा कि प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। 44 किलोमीटर में फैले टेंट सिटी को 25 सेक्टर में बांटा गया है। प्रशासन ने संगम तट पर 41 घाट तैयार किए हैं, जिनमें से 10 पक्के और 31 अस्थायी घाट हैं। रोज टीवी और अखबार में कुम्भ को लेकर कई रोचक जानकारियां पढ़ते वक्त यह नहीं सोचा था कि मैं भी कुंभ जाउंगी।
उन्होंने बताया कि 24 दिसंबर को प्रीति शर्मा मैडम ने पूछा कि कुंभ चले क्या? एक-एक करके लोग जुड़ते गए और अचानक सब सेट हो गया। शर्मा मैडम, उनकी बहन शीलू, मधुलिका मैडम, मैं और मेरी बिटिया मिन्टी हम पांच ने २० जनवरी को कुंभ के लिए प्रस्थान किया। मन में बहुत उत्साह था। वहां अखाड़े देखना है, साधु क्या करते है, कैसे रहते है , कुम्भ का व्यवस्थापन भी देखना था। शासन की ओर से 45 दिनों के इस कुम्भ के लिए 45 करोड़ श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था भी देखनी थी
पहले दिन लम्बी यात्रा
रायपुर से 20 जनवरी सुबह 6.00 बजे हमने यात्रा शुरू की, हमने वहां जाने के लिए जबलपुर वाला रास्ता चुना। रायपुर से सिमगा, कवर्धा होते हुए जब चिल्फी पहुंचे। जहां चाय पीने के लिए गाड़ी रोकी। वहां कुंभ जाने निकला एक परिवार मिला। उन्होंने हमें मैहर दर्शन की सलाह दी। चिल्फी से निकलकर हमने मंडला में मां नर्मदा के दर्शन किए। करीब शाम 5 बजे मैहर पहुंचे। वहां शारदा माता के दर्शन किए और रीवा होते हुए प्रयागराज की ओर बढे, रात में बेटे का फोन आया कि रात में ड्राइविंग मत करो पर हम अकेले नहीं थे पूरे रास्ते गाड़ियों का रेला जो था।
दूसरा दिनः दोपहर को पहुंचे प्रयागराज
21 जनवरी को दोपहर 1 बजे के करीब हम प्रयागराज पहुंचे। सरस्वती घाट पहुंचकर पता चला संगम के लिए सुबह 6 बजे पहली नाव चलेगी। रात को कही जाने का ठिकाना नहीं था तो गाड़ी में ही सोये। दिन भर के प्रवास से थक गए थे। सुबह 4 बजे सेक्टर 25 खोजने निकले, अच्छा हुआ अल सुबह खोजने निकले वरना सुबह की भीड़ में कैसे खोज पाते। आखिरकार अडवांटा टेंट एरिया मिल ही गया, सुबह चेकइन करने के बाद संगम की ओर निकले, पुनः सरस्वती घाट पहुंचकर नाव से महाकुंभ में त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया। वहाँ से संगम का पानी और रेत लेकर वापस घाट पहुंचे। नाश्ता करके वापस टेंट आ गये। दोपहर 1.30 बजे से शानदार भोजन की व्यवस्था थी। शाम को कुम्भ मेले के लिए निकले किन्नर अखाड़ा में किन्नरों का वैभव देखा और फिर जूना अखाड़ा घूमकर वापस टेंट में रात्रि विश्राम किया। अल सुबह पुनः गंगा के तट पर घूमकर टेंट एरिया का पूर्ण अवलोकन किया। टेंट में रहने खाने की उत्तम इंतजाम थे।
तीसरा दिनः सुबह 6 बजे किया गंगा दर्शन
22 जनवरी सुबह ६ बजे गंगा दर्शन और हैवी ब्रेकफास्ट करने के बाद ,ट्रिप एडवाइजर मंजीत की सलाह पर मिर्जापुर होते हुए (विंध्यवासिनी मां के दर्शन कर) दोपहर 3.00 बजे काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे , भीड़ देख दर्शन का इरादा टाल दिया और गंगा दर्शन के लिए विवेकानंद क्रूज, (जिसका रिजर्वेशन पहले से कर लिया था) लेने रविदास घाट पहुंचे। शाम 4.30 से 6.30 बजे तक गंगा घाट और गंगाआरती का आनन्द लेकर, मैं और बिटिया बाकि से अलग पुनः नाव से ब्रह्मा घाट कीओर गए ताकि दादा ससुर का मकान (गोविंद स्मृति ), राम मंदिर जहां मेरे सास ससुर की शादी हुई थी वो भी देखा। घर के सामने रहने वाला मण्डलीकर परिवार से सौजन्य भेट की, वे लोग बहुत ही आत्मीयता से मिले। बिटिया बहुत उत्साहित थी बनारस की गलियां और अपने पुरखों की स्मृतियों को देख कर। रात होटल पहुंच कर भोजन कर विश्राम करना ही उचित समझा।
चौथा दिनः पहुंचे अयोध्या नगरी
23 जनवरी-सुबह 5.00 बजे दुग्धाभिषेक और बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन किए। शाम 4.00 बजे सरयू नदी के किनारे अयोध्या नगरी पहुंच गए। 23 की शाम को रामलला के प्रथम दर्शन किए।
अंतिम दिनः रामलला की मंगला आरती
24 जनवरी की सुबह 4.30 बजे रामलला की मंगलारती में शामिल होने के लिए रात 2 बजे उठना, नहाना और घने धुंध में टैक्सी लेकर 4 बजे मंदिर पहुंचना भी एक अनुभव था। आधे घंटे तक रामलला के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। सुबह 5 बजे मंगल आरती की समाप्ति के बाद पहुंच गए हनुमान गढ़ी। सुबह 6.00 बजे की पहली आरती मिल गई, हनुमानजी का आशीर्वाद लेकर, तंदूरी चाय का स्वाद लिया, मिटटी के कुल्हड़ की चाय से सारी थकावट दूर हो गई। सुबह 6.30 की श्रृंगार आरती का पास शीलू को मिला था। 7 बजे मंदिर से बाहर आने के बाद पुनः हम सब हनुमान गाढ़ी गए। सबके दर्शन और फोटोग्राफी होने के बाद होटल आ गए। निर्धारित तीर्थाटन पूरा कर सुबह 10 बजे रायपुर के लिए प्रस्थान किया। रात में सफर, चिल्फी का 20 किलोमीटर लम्बा जाम मिला। आखिरकार सकुशल घर पहुंच गए।
पांच दिनों में 2400 किलोमीटर की धार्मिक यात्रा
20 से 24 जनवरी तक इन पांच दिनों में 2400 किलोमीटर की धार्मिक यात्रा ( मैहर की शारदा देवी , त्रिवेणी संगम, विंध्यवासिनी देवी, काशी विश्वनाथ, काल भैरव, संकट मोचक हनुमान, राम मंदिर, हनुमान गढ़ी) इनोवा क्रिस्टा से करके हम पांच महिलाएं, जिसमें चार 60 प्लस की सीनियर सिटीजन थे और मेरी बिटिया मिन्टी के साथ पूर्ण की।
देखी बनारस की फक्कड़ अमीरी
नागा साधु, किन्नर, सवा लाख रूद्राक्ष वाले साधु महाराज, विभिन्न मंडप, गंगा आरती, आलू की सब्जी, पूरी, कचोरी, सुलतनपुर के ताजे मटर, अवमलाइयो, मलाई पूरी, मलाई सैंडविच, चाट, पकोड़े हमेशा दिल और दिमाग में रहेंगे। एक बार आप भी उत्तरप्रदेश घूम आये और गंगा जमुना तहजीब का मजा लें। बनारस की बात ही कुछ और है, जो यहां नहीं गया उसने बहुत मिस किया है। गलियां घूमने का मन हो और फक्कड़ अमीरी देखनी हो तो बनारस जरूर जाये।
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन
रायपुर | छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल, रायपुर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत एनसीईआरटी परख नई दिल्ली के निर्देशानुसार पाँच दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड और प्रश्न पत्र टेम्पलेट के मानकीकरण पर शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करना है। यह प्रशिक्षण आगामी शिक्षा सत्र में राज्य के सभी हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूलों के प्राचार्यों व शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए मास्टर ट्रेनर्स तैयार करेगा।
कार्यशाला के प्रथम दो दिवस 03 और 04 फरवरी 2025 को होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड पर प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। वहीं 5 से 7 फरवरी तक प्रश्न पत्र टेम्पलेट मानकीकरण पर गहन चर्चा और प्रशिक्षण होगा। इस कार्यशाला में एनसीईआरटी परख के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर इंद्राणी भादुरी और तीन अन्य विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मंडल सचिव श्रीमती पुष्पा साहू ने कहा कि होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड विद्यार्थियों के शैक्षणिक मूल्यांकन का एक आधुनिक और समग्र दृष्टिकोण है, जो उनके सर्वांगीण विकास पर केंद्रित होगा। प्रोफेसर इंद्राणी भादुरी ने डिजिटल अधिगम और माध्यमिक स्तर पर समतुल्यता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने समाज व समुदाय आधारित प्रोजेक्ट्स की महत्ता पर भी प्रकाश डाला।
इस अवसर पर मंडल के उपसचिव जे.के. अग्रवाल, डॉ. प्रदीप कुमार साहू, सहायक प्राध्यापक प्रीति शुक्ला, मनीषि सिंह, शिवा सोमवंशी, चंद्रप्रभा राहगडाले, अंशुमन कसेर, सिरीज पाल सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
बसन्त पंचमी आज : ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित
डेस्क | मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, वीणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान हो कर प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। साथ ही वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। शास्त्रों के अनुसार वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली भी प्रसन्न होती हैं।
वसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें।
पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।
इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
इस दिन सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं। साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें।
आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं।
आखिर में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें।
फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें।
मां सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान माना जाता है इसलिए लोगों को इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए और पीले फूलों से देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। बसंत पंचमी (जिसे वसंत पंचमी भी कहा जाता है) जीवन में नई चीजें शुरू करने का एक शुभ दिन है। बहुत से लोग इस दिन "गृहप्रवेश" के दिन नए घर में प्रवेश करते हैं, कोई नया व्यवसाय शुरू करते हैं या महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू करते हैं। इस त्योहार को अक्सर समृद्धि और सौभाग्य से जोड़ा जाता है। बसंत पंचमी के साथ, यह माना जाता है कि वसंत ऋतु की शुरुआत होती है, जो फसलों और कटाई के लिए एक अच्छा समय है। कड़ाके की ठंड के बाद, इस त्योहार को वसंत का पहला दिन, फसल काटने का समय माना जाता है। चूंकि भारत मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान देश है, इसलिए यह समझ में आता है कि यह त्योहार भारतीयों के दिलों में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती प्रकट हुई थीं इसलिए इस दिन बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
राज्यपाल डेका की अध्यक्षता में आयोजित होगा : कृषि विश्वविद्यालय का दशम् दीक्षांत समारोह कल
चार हजार से अधिक विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की जाएंगी
दीक्षांत समारोह के पूर्व दिवस पर कार्यक्रम की रिहर्सल की गई
रायपुर | इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर का दशम् दीक्षांत समारोह कल 1 फरवरी, 2025 को आयोजित किया जाएगा। कृषि महाविद्यालय रायपुर स्थित कृषि मंडपम में प्रातः 11 बजे से आयोजित इस दीक्षांत समारोह में लगभग 4 हजार 191 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की जाएगी। दीक्षांत समारोह राज्यपाल एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रमेन डेका की अध्यक्षता में आयोजित किया जाएगा।
इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एण्ड बायोटेक्नोलॉजी, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. वांगा शिवा रेड्डी दीक्षांत उद्बोधन देंगे। कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल विद्यार्थियों को दीक्षोपदेश देंगे। दीक्षांत समारोह के दौरान मेधावी विद्यार्थियों को 16 स्वर्ण, 18 रजत एवं 4 कांस्य पदक प्रदान किये जाएंगे। इस दौरान भव्य दीक्षांत शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। आज यहां कृषि महाविद्यालय रायपुर के क्लस्टर क्लासरूम से दीक्षांत समारोह आयोजन स्थल कृषि मंडपम् तक दीक्षांत समारोह के पल-प्रतिपल कार्यक्रम के अनुसार रिहर्सल की गई, जिसमें विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, अधिष्ठातागण, संचालकगण एवं गोल्ड, सिल्वर एवं ब्रोंज मेडल पाने वाले विद्यार्थी शामिल हुए। इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलगीत, राज्यगीत तथा राष्ट्रगान का वादन किया गया।
दीक्षांत समारोह में शैक्षणिक वर्ष 2022-23 एवं 2023-2024 तक कृषि विश्वविद्यालय के उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को पदक एवं उपाधियाँ वितरित की जाएँगी। दीक्षांत समारोह में बी.एस.सी. कृषि पाठ्यक्रम के 2 हजार 841, बी.एस.सी. उद्यानिकी पाठ्यक्रम के 17, बी.टेक. कृषि अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम के 303 तथा खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के 20 पंजीकृत विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की जाएगी। स्नातकोत्तर स्तर पर 742 एवं पी.एचडी. स्तर पर 268 के पंजीकृत विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की जाएगी। इस अवसर पर विभिन्न पाठ्यक्रमों के मेधावी विद्यार्थियों को 16 स्वर्ण, 18 रजत तथा 4 कांस्य पदक भी प्रदान किये जाएंगे। इसके साथ ही दीक्षांत समारोह में 818 विद्यार्थियों को स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पी.एच.डी. आनर्स प्रमाण पत्र भी प्रदान किये जाएंगे।
दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए अकादमिक परिधान निर्धारित किया गया है। छात्र कोसे रंग अथवा ऑफ वाईट रंग का कुर्ता तथा सफेद पायजामा पहनेंगे, वहीं छात्राएं कोसे रंग या ऑफ वाईट रंग की साड़ी पहनेंगी। दीक्षांत समारोह के अतिथि कोसे रंग का जैकेट पहनेंगे। दीक्षांत समारोह में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, प्रबध मण्डल, विद्या परिषद तथा प्रशासनिक परिषद के सदस्यों सहित विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित समस्त महाविद्यालयों के अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्ष भी शामिल होंगे।
परीक्षा पे चर्चा के 8वें आयोजन के लिए रिकॉर्ड 3.5 करोड़ से अधिक आवेदन के साथ पंजीकरण संपन्न
नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रमुख पहल परीक्षा पे चर्चा (पीपीसी) के लिए छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के रिकॉर्ड तीन करोड़ पचास लाख से अधिक की संख्या में भाग लेने के लिए आवेदन के साथ पंजीकरण पूरी हो गई है। यह संवादपरक कार्यक्रम परीक्षा से संबंधित तनाव को सीखने और उत्सव के माहौल में बदलने का राष्ट्रव्यापी आंदोलन है। 8वें परीक्षा पे चर्चा 2025 में भारत और विदेशों में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने बड़ी संख्या में पंजीकरण कराकर कीर्तिमान स्थापित किया है। परीक्षा पे चर्चा में शामिल होने के लिए उल्लेखनीय प्रतिपुष्टि एक सच्चे जन आंदोलन के रूप में कार्यक्रम की बढ़ती लोकप्रियता को रेखांकित करती है।
परीक्षा पे चर्चा 2025 के लिए ऑनलाइन पंजीकरण 14 दिसंबर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक MyGov.in पोर्टल पर संचालित किया गया। कार्यक्रम की अपार लोकप्रियता छात्रों को मानसिक सबलता प्रदान करने और परीक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की इसकी सफलता दर्शाती है।
शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग प्रतिवर्ष यह संवादमूलक कार्यक्रम आयोजित करता है। शिक्षा के क्षेत्र में यह एक बहुप्रतीक्षित उत्सव बन गया है। 2024 में परीक्षा पे चर्चा का 7वां आयोजन नई दिल्ली में प्रगति मैदान के भारत मंडपम में टाउन हॉल प्रारूप में किया गया था और इसकी व्यापक सराहना हुई थी।
पीपीसी की भावना के अनुरूप, 12 जनवरी 2025 (राष्ट्रीय युवा दिवस) को स्कूल स्तर की गतिविधियों की श्रृंखला आरंभ हुई है जो 23 जनवरी 2025 (नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती) तक चलेगी। इन गतिविधियों का उद्देश्य छात्रों का समग्र विकास और उन्हें परीक्षा को उत्सव के रूप में मनाने के लिए प्रेरित करना है।
इनमें निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं:
स्वदेशी खेल सत्र, मैराथन दौड़, मीम (नकल उतारना) प्रतियोगिताएं, नुक्कड़ नाटक, योग और ध्यान सत्र, पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताएं, प्रेरणादायक फिल्मों का प्रदर्शन व मानसिक स्वास्थ्य कार्यशालाएं और परामर्श सत्र |
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) और नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) के छात्रों की प्रस्तुतियां
इन गतिविधियों द्वारा परीक्षा पे चर्चा 2025 सीखने में अनुकूलन, सकारात्मकता और प्रसन्नता के संदेश को बल देता है और सुनिश्चित करता है कि शिक्षा को दबाव वाले काम की बजाय जीवन-यात्रा के एक हिस्से के रूप में मनाया जाए।
NTA का फैसला.... 15 जनवरी को होने वाली यूजीसी नेट परीक्षा स्थगित
रायपुर। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने 15 जनवरी को होने वाली यूजीसी-नेट पोंगल और मकर संक्रांति त्योहारों के चलते स्थगित कर दी है। वहीं 16 जनवरी को होने वाली परीक्षा पूर्व घोषित शेड्यूल से ही होगी। बता दें कि पीएचडी कार्यक्रमों में दाखिले, जूनियर रिसर्च फैलोशिप देने और असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए यह परीक्षा कंप्यूटर आधारित टेस्ट मोड में 85 विषयों के लिए 3 जनवरी से 16 जनवरी तक आयोजित की जा रही है।
15 जनवरी को जनसंचार और पत्रकारिता, संस्कृत, कानून, महिला अध्ययन, अपराध विज्ञान, लोक साहित्य, इलेक्ट्रॉनिक विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान सहित 17 विषयों के लिए परीक्षा निर्धारित थी। परीक्षा के लिए नई तारीख जल्द घोषित होगी। इस संबंध में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से सूचना जारी की गई है।
16 जनवरी को परीक्षा पूर्व निर्धारित समय के अनुसार ही होगी। देशभर में यूजीसी नेट की परीक्षाएं 3 जनवरी से शुरू हुई है। 85 विषयों के लिए यह परीक्षा हो रही है। 16 जनवरी तक इसका आयोजन किया जाना था। 15 जनवरी को कुल 17 विषयों की परीक्षा थी।इसमें संस्कृत, जनसंचार एवं पत्रकारिता, परफॉर्मिंग आर्ट- डांस, ड्रामा व थियेटर, इलेक्ट्रॉनिक साइंस, वूमन स्टडीज, ला, नेपाली, इंडियन नॉलेज सिस्टम, मलयालम, उर्दू, ट्राइबल एंड रीजनल लैंग्वेज, इनवायरमेंटल साइंसेस समेत अन्य विषय शामिल है।
बतादें, कि यूजीसी नेट के लिए देश के 284 शहरों में सेंटर बनाए जाएंगे। छत्तीसगढ़ में यह परीक्षा रायपुर, भिलाई नगर, दुर्ग, बिलासपुर, अंबिकापुर और जगदलपुर में आयोजित की जा रही है। परीक्षा दो पालियों में हो रही है, पहली 9 से 12 और दूसरी 3 से 6 बजे तक हो रही है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी यूजीसी नेट की अधिकृत वेबसाइट पर जारी की गई है।
गरियाबंद जिले के 36 स्कूलों के प्राचार्यों को नोटिस
टीडी हायर सेकेंडरी स्कूल फिंगेश्वर के प्राचार्य हटाए गए
खराब परिणाम के मामले में कलेक्टर ने की कार्रवाई
फिंगेश्वर के बीईओ और बीआरसीसी को भी नोटिस
रायपुर | गरियाबंद जिले के हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के अर्द्धवार्षिक परीक्षा परिणामों की समीक्षा करते हुए कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने कड़ी कार्रवाई की है। जिला पंचायत सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में परीक्षा परिणामों की समीक्षा की गई। इस दौरान खराब प्रदर्शन वाले स्कूलों के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कलेक्टर ने टीडी हायर सेकेंडरी स्कूल फिंगेश्वर के प्राचार्य को तत्काल हटाने और 36 स्कूलों के प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर के निर्देश पर फिंगेश्वर के बीईओ और बीआरसीसी को मॉनिटरिंग में लापरवाही के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि बोर्ड परीक्षा में शत-प्रतिशत परिणाम सुनिश्चित करने के लिए सभी प्राचार्यों और शिक्षकों को गंभीरता से प्रयास करना होगा। गौरव गरियाबंद अभियान का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और कक्षा 10वीं व 12वीं के विद्यार्थियों को सफलता दिलाना है।
समीक्षा बैठक में डी ग्रेड प्राप्त 36 स्कूलों के प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इनमें फिंगेश्वर, छिंदौला, नागाबुड़ा, बकली, कौंदकेरा, सिवनी और राजिम सहित अन्य स्कूल शामिल हैं। अर्द्धवार्षिक परीक्षा में ए ग्रेड प्राप्त स्कूलों के प्राचार्यों को प्रशस्ति पत्र देने के लिए निर्देशित किया गया। इनमें शासकीय कन्या विद्यालय देवभोग, शासकीय हाई स्कूल बजाड़ी, सेजेस फिंगेश्वर और अन्य स्कूल शामिल हैं।
कलेक्टर ने सभी शिक्षकों को नियमित रूप से विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देने और कमजोर विद्यार्थियों के लिए विशेष कक्षाएं लगाने का निर्देश दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि खराब परिणाम वाले शिक्षकों और संस्था प्रमुखों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने बताया कि मार्च के पहले सप्ताह में बोर्ड परीक्षा प्रारंभ होगी। परीक्षा परिणाम सुधारने के लिए शिक्षकों को प्रश्न बैंक के आधार पर विद्यार्थियों को तैयारी कराने के निर्देश दिए गए हैं। इस बैठक में संयुक्त कलेक्टर राकेश कुमार गोलछा, जिला शिक्षा अधिकारी ए.के. सारस्वत, डीएमसी के.एस. नायक, गौरव गरियाबंद अभियान के नोडल अधिकारी और अन्य अधिकारी उपस्थित थे