शिक्षा-कैरियर-लाइफ स्टाइल
छत्तीसगढ़ में दिसम्बर 2024 में होने वाली अग्निवीर भर्ती रैली के लिए एडमिट कार्ड जारी
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मैक्वेरी विश्वविद्यालय : सिडनी में मैक्वेरी पार्क इनोवेशन डिस्ट्रिक्ट का दौरा किया
धर्मेंद्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के साथ बातचीत की
धर्मेंद्र प्रधान ने प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सिडनी में यूटीएस मूर पार्क का दौरा किया
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सहयोग का आधार अनुसंधान सहयोग है
नई दिल्ली | केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मैक्वेरी विश्वविद्यालय, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में मैक्वेरी पार्क इनोवेशन डिस्ट्रिक्ट का दौरा किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अध्यक्ष प्रोफेसर एस. ब्रूस डाउटन और अन्य अधिकारियों ने धर्मेंद्र प्रधान की अगवानी की।
प्रधान ने जानकारी दी कि किस प्रकार से विश्वविद्यालय शोधकर्ताओं और उद्यमियों को अपने विचारों को विकसित करने और आगे बढ़ाने में समर्थन देता है। उन्होंने समग्र शिक्षण अनुभव प्रदान करने के लिए उद्योग जगत के विशेषज्ञों एवं समुदायों के साथ सहयोग करने के लिए विश्वविद्यालय के अनूठे दृष्टिकोण की सराहना की। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय भारतीय शैक्षणिक संस्थानों एवं उद्योगों के साथ साझेदारी कर रहा है। उन्होंने बल देकर कहा कि इस प्रकार के मजबूत उद्योग-अकादमिक संबंध नवाचार करने और छात्रों को सफलता के लिए तैयार करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
बाद में दिन में, धर्मेंद्र प्रधान ने समूह-8 द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि ये छात्र रोबोटिक्स, रसायन, खगोल भौतिकी, अतिचालकता, विनिर्माण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वास्थ्य सेवा, चिकित्सा-तकनीक, जलवायु परिवर्तन, जल प्रबंधन और शहरी नियोजन में अत्याधुनिक अनुसंधान पर काम कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अनुसंधान सहयोग ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सहयोग का आधार है और कहा कि व्यावहारिक बातचीत ने छात्रों को विचार करने के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदु प्रदान किए हैं। श्री प्रधान ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापक एवं गहन अनुसंधान सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले सभी भारतीय छात्रों की सराहना की और उन्हें ऑस्ट्रेलिया और भारत के भविष्य के लिए उत्साहजनक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रधान ने न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय (यूएनएसडब्ल्यू) के परिसर का दौरा किया। उन्होंने यूएनएसडब्ल्यू के 75 वर्ष पूरा होने पर शुभकामनाएं दी और कहा कि भारतीय छात्र यूएनएसडब्ल्यू की स्थापना के तीसरे वर्ष से ही इसके साथ जुड़े हुए हैं। प्रधान ने यूएनएसडब्ल्यू के विभिन्न स्कूलों द्वारा शुरू किए गए स्टार्ट-अप के साथ भी बातचीत की। उन्होंने छात्रों के उत्पादों एवं सेवाओं की जानकारी ली और नवाचार एवं परिवर्तन के लिए उनकी भावना और जुनून की सराहना की। उन्होंने स्टार्ट-अप को भारतीय समाज एवं बाजार के लिए अपने समाधान को तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने यूएनएसडब्ल्यू में भारतीय छात्रों से भी बातचीत की।
केंद्रीय मंत्री ने यूटीएस मूर पार्क का दौरा किया, जो प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सिडनी में स्थित एक खेल परिसर है। उन्होंने कहा कि यह ऑस्ट्रेलिया में अपनी तरह का पहला केंद्र है जहां खेलों में विश्वविद्यालय कार्यक्रमों को विशिष्ट खेल सुविधाओं में एकीकृत किया गया है, जो खेल प्रबंधन, खेल अनुसंधान और संबद्ध स्वास्थ्य में समग्र शिक्षण अनुभव के लिए एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करते हैं। उन्होंने अत्याधुनिक खेल प्रबंधन एवं अनुसंधान कार्यक्रमों के लिए यूटीएस और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच संभावित साझेदारी पर भी चर्चा की।
शिक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में धर्मेंद्र प्रधान 22 से 26 अक्टूबर 2024 तक ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हैं। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच शिक्षा क्षेत्र में आपसी हितों में महत्वपूर्ण सहयोग, भागीदारी और तालमेल को बढ़ावा मिलने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह की शुरुआत में 20-21 अक्टूबर को प्रधान ने सिंगापुर का दौरा किया था और कौशल आधारित शिक्षा एवं अनुसंधान में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सिंगापुर के प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात की थी।
धर्मेंद्र प्रधान ने सिडनी में ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा और कौशल परिषद की दूसरी बैठक में भाग लिया
शिक्षा और कौशल भारत की आर्थिक समृद्धि के निर्माण के लिए प्रेरक शक्ति होंगे - धर्मेंद्र प्रधान
एआईईएससी बैठक ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक महत्वपूर्ण उभरता हुआ मंच - धर्मेंद्र प्रधान
तीसरी एआईईएससी बैठक 2025 में भारत में होगी - धर्मेंद्र प्रधान
नई दिल्ली | केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा और कौशल परिषद (एआईईएससी) की दूसरी बैठक में भाग लिया। बैठक में ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री और सांसद जेसन क्लेयर तथा कौशल और प्रशिक्षण मंत्री श्री एंड्रयू जाइल्स मौजूद थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि एआईईएससी बैठक ज्ञान के आदान-प्रदान को मजबूत करने, शिक्षा और कौशल विकास में साझा प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने, नए अवसर तलाशने और ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के लिए एक उज्ज्वल भविष्य की कल्पना करने का महत्वपूर्ण मंच बन गई है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शिक्षा और कौशल भारत और ऑस्ट्रेलिया के लिए आर्थिक समृद्धि के निर्माण और हमारे लोगों और संस्थानों के बीच स्थायी संबंध बनाने के लिए प्रेरक शक्ति होंगे।
मंत्रियों ने भविष्य के कार्यबल के पूर्वानुमान, शिक्षा क्षेत्र की आवश्यकताओं, शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल अंतर को पाटने और दोनों देशों के उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित चर्चा में भाग लिया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि एआईईएससी शिक्षा के सभी स्तरों: स्कूल, कौशल और उच्च शिक्षा पर ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच द्विपक्षीय साझेदारी को और मजबूत करेगी। उन्होंने बताया कि एआईईएससी की अगली बैठक 2025 में भारत में होगी।
इससे पहले, दिन में प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया में विश्वविद्यालयों के गठबंधन - इनोवेटिव रिसर्च यूनिवर्सिटीज़ (आईआरयू) के उच्च स्तरीय प्रशासकों के साथ बातचीत की और इसके सदस्यों के साथ महत्त्वपूर्ण चर्चा में शामिल हुए। यात्रा के दौरान, प्रधान ने शिक्षण के लिए उनके सहयोगात्मक दृष्टिकोण और समाज के लिए प्रभावशाली अनुसंधान को सुविधाजनक बनाने के प्रयासों के बारे में जाना। मंत्री ने शिक्षा एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आईआरयू और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच संभावित सहयोग की अवसरों को भी तलाशा। आईआरयू ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों का एक समूह है जो समाज को आगे बढ़ाने वाली शिक्षा और अनुसंधान में समावेशी उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध है।
शिक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए, प्रधान 22 से 26 अक्टूबर तक ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हैं। इस यात्रा से शिक्षा में पारस्परिक हित के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग, भागीदारी और तालमेल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस सप्ताह की शुरुआत में 20-21 अक्टूबर को, प्रधान ने सिंगापुर का दौरा किया। उन्होंने कौशल-आधारित शिक्षा और अनुसंधान में द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार के लिए प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात की।
CBSE बोर्डः जनवरी में इस तारीख से शुरू होंगी 10वीं और 12वीं के प्रैक्टिकल परीक्षा
डेस्क। सेंट्रल बोर्ड ऑफ एजुकेशन (CBSE) ने कक्षा 10वीं और 12वीं के प्रैक्टिकल एग्जाम के तारीखों की घोषणा कर दी है। जारी सर्कुलर के मुताबिक, सीबीएसई कक्षा 10 और 12 बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए प्रैक्टिकल परीक्षाएं और इंटरनल असेसमेंट (IA) 1 जनवरी से आयोजित किए जाएंगे, और थ्योरी पेपर 15 फरवरी, 2025 से शुरू होंगे।
इन तारीखों का जिक्र सीबीएसई ने हाल ही में जारी एक सर्कुलर में किया गया है, जिसमें बोर्ड परीक्षा के पेपर के लिए नंबरों का सब्जेक्टवाइज डिटेल शेयर किया गया है। बोर्ड परीक्षा के अंकों के बारे में सीबीएसई का सर्कुलर cbse.gov.in पर देखा जा सकता है।
गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र वाले स्कूलों के लिए सीबीएसई की प्रैक्टिकल परीक्षाएं 5 नवंबर से 5 दिसंबर 2024 के बीच होंगी। पिछले सर्कुलर में बोर्ड ने कहा था कि हालांकि परीक्षा नियमावली में जिक्र है कि प्रैक्टिकल एग्जाम 1 जनवरी से होंगी, लेकिन शीतकाल वाले स्कूलों के उस महीने बंद रहने की उम्मीद है।
अब इसके बाद बोर्ड एग्जाम की डेटशीट का इंतजार है। पिछले रुझानों के मानें तो, थ्योरी पेपर के लिए सीबीएसई टाइमटेबल दिसंबर में जारी होने की संभावना है। जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2025 में देश-विदेश के 8,000 स्कूलों में कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में करीब 44 लाख अभ्यर्थी शामिल होंगे।
सीबीएसई ने हाल ही में कहा है कि बोर्ड परीक्षाओं के लिए पात्र होने के लिए छात्रों को कम से कम 75 प्रतिशत उपस्थिति बनाए रखना अनिवार्य है। सीबीएसई ने मामले में कहा, “बोर्ड केवल मेडिकल इमरजेंसी कंडीशन, नेशनल या इंटरनेशनल स्पोर्ट्स आयोजनों में भागीदारी और अन्य गंभीर कारणों जैसे मामलों में 25% की छूट प्रदान करता है, बशर्ते जरूरी डाक्यूमेंट पेश किए जाएं।”
बोर्ड ने एकेडमिक वेबसाइट पर कक्षा 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के सैंपल पेपर जारी कर दिए हैं। छात्र cbseacademic.nic.in से सैंपल पेपर डाउनलोड कर सकते हैं और अभ्यास के लिए उनका उपयोग कर सकते हैं और परीक्षा की मार्किंग स्कीम और पैटर्न और टेस्ट में पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार को समझ सकते हैं।
पढ़िए आज का राशिफल....मिथुन, सिंह और वृश्चिक राशि के जातकों का आज दिन रहेगा खुशनुमा
मेषः आज का दिन आपके लिए महत्वपूर्ण रहने वाला है। आपको किसी काम को लेकर जल्दबाजी नहीं दिखानी है। आप अपनी संतान को यदि कोई जिम्मेदारी देंगे, तो वह उसे पूरी अवश्य करेंगे। आपके पिताजी को आंखों से संबंधित समस्याएं यदि चल रही थी, तो उससे काफी हद तक राहत मिलेगी। परिवार में कोई सदस्य नौकरी को लेकर यदि लंबे समय से परेशान चल रहा था, तो वह समस्या भी दूर हो सकती है। आपको अपने किए गए कामों के लिए कार्यक्षेत्र में कोई पुरस्कार मिल सकता है।
वृषभः आज का दिन आपके लिए उलझनों से भरा रहने वाला है। आपको कोई बड़ा फैसला लेने से बचना होगा। आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी। आपने यदि कुछ कर्ज लिया था, तो उसे भी आप काफी हद तक उतार सकते हैं। आपकी किसी पुराने मित्र से लंबे समय बाद मुलाकात होगी। घूमने-फिरने के दौरान आपको कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकती है।
मिथुनः आज का दिन आपके लिए खुशनुमा रहने वाला है। आपको किसी काम को लेकर यदि टेंशन चल रही थी, तो वह भी दूर हो सकती है। आप अपने घर की रखरखाव के साथ-साथ अपने ऊपर पूरा ध्यान देंगे। आपके रहन-सहन के स्तर में भी आप बदलाव कर सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आपको अपने कामों पर थोड़ा ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि आपके सहयोगी आपके उन कामों को बिगड़ने की कोशिश करेंगे।
कर्कः आज का दिन सामाजिक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के लिए अच्छा रहने वाला है। मान-सम्मान में वृद्धि होने से खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। आपको कामों को लेकर कुछ कठिनाइयां बनी रहेगी। यदि आपका धन कहीं फंसा हुआ था, तो वह भी आपको वापस मिल सकता है। आपको अपनी वाणी और व्यवहार पर नियंत्रण रखना होगा, क्योंकि आपके मित्रों की संख्या में इजाफा होगा।
सिंहः आज का दिन बिजनेस कर रहे लोगों के लिए बेहतर रहने वाला है। आपको साझेदारी में कोई काम करने का पूरा लाभ मिलेगा। कोई सरकारी काम यदि लंबे समय से अटका हुआ था, तो वह भी पूरा हो सकता है। आपकी किसी नए काम के प्रति रुचि जागृत हो सकती है। माता-पिता के आशीर्वाद से आपका कोई रुका हुआ काम पूरा होगा।
कन्याः आज का दिन आपके लिए मान-सम्मान में वृद्धि लेकर आने वाला है। आप किसी अजनबी पर भरोसा थोड़ा सोच समझकर करें, क्योंकि वह आपके उस भरोसे को तोड़ सकता है। कार्यक्षेत्र में आपके अधिकारी आपके कामों में पूरा साथ देंगे। आपको किसी नई नौकरी की प्राप्ति हो सकती है। राजनीति में कार्यरत लोगों को किसी बड़े पद की प्राप्ति होने से खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। कार्यक्षेत्र में आप अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
तुलाः आज का दिन आपके लिए मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है। आपको अपने कामों को लेकर सावधान रहकर आगे बढ़ना होगा और किसी नए काम के प्रति रुचि जागृत हो सकती है। संतान की तरक्की में आ रही बाधाएं दूर होगी। आपको अपने पिताजी से मन की बात कहने का मौका मिलेगा। विद्यार्थी सेहत संबंधित समस्याओं को लेकर परेशान रहेंगे। भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा।
वृश्चिकः आज का दिन आपके लिए प्रसन्नता से भरा रहने वाला है। आपकी कोई मन की इच्छा पूर्ति हो सकती है। परिवार में किसी मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। आपका यदि कोई नया घर खरीदने का सपना लंबे समय से अटक रहा था, तो वह भी पूरा हो सकता है। आपको कामों में यदि कोई गलतफहमी चल रही है, तो आप उसे दूर करने की कोशिश करें। परिवार में किसी शुभ और मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है।
धनुः आज का दिन आपके लिए अच्छा रहने वाला है। आप किसी बड़ी डील को लेकर यदि लंबे समय से परेशान चल रहे थे, तो उसे आप फाइनल कर सकते हैं। आपके मन में प्रतिस्पर्धा का भाव रहेगा। किसी काम को लेकर यदि आपके मन में संशय बना हुआ है, तो आप उसमें आगे ना बढ़ें। आपका कोई काम आपकी इच्छा के विरुद्ध हो सकता है। कारोबार में आपको कोई बड़ी डील को फाइनल करने का मौका मिलेगा।
मकरः आज का दिन आपके लिए सावधानी बरतने के लिए रहेगा। आपको वाहनों का प्रयोग सावधान रहकर करना होगा। आप किसी काम को लेकर लापरवाही ना बरतें, नहीं तो इससे समस्या हो सकती है। आपको अपने कीमती सामानों पर पूरा ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि उनके चोरी होने का भय बना हुआ है। आप अपने जीवनसाथी के साथ रोमांटिक मूड में नजर आएंगे। प्रेम जीवन जी रहे लोगों की साथी से कुछ खटपट होने की संभावना है।
कुंभः आज का दिन आपके लिए साहस और पराक्रम में वृद्धि रहने वाला है आपको निर्णय लेने की क्षमता का आपको लाभ मिलेगा। जो लोग प्रेम जीवन जी रहे हैं वह साथी को परिवार के सदस्यों से मिलवा सकते हैं। आपकी तरक्की की राह में आ रही बाधाएं दूर होगी। कार्यक्षेत्र में आपको कोई जिम्मेदारी भरा काम मिल सकता है। जिससे आप आसानी से पूरा कर सकेंगे। आपको भाग्य का पूरा साथ मिलेगा।
मीनः आज का दिन आपके लिए खुशियों से भरा रहने वाला है। आप जिस भी काम में हाथ डालेंगे, उसमें आपको सफलता मिलेगी और धन की भी आपके पास कोई कमी नहीं रहेगी। बिजनेस पहले से बेहतर चलेगा, जिससे आपके सभी काम आसानी से पूरे हो जाएंगे, लेकिन फिर भी आप अपने खर्चों पर थोड़ा ध्यान दें ताकि आप अपने भविष्य को लेकर कोई अच्छा इन्वेस्टमेंट कर सके। प्रॉपर्टी डीलिंग का काम कर रहे लोगों को कोई बड़ी डील फाइनल करने का मौका मिलेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए : उन्हें 2047 के भारत का पथप्रदर्शक बताया
कमज़ोर पाँच से शीर्ष पाँच तक का अद्भुत सफ़र
मंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हुए सुधारों ने भारतीय युवाओं को आत्मविश्वास से भर दिया है और विश्व स्तर पर उनका सम्मान बढ़ाया है।
मंत्री महोदय दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में युवा प्रतिभाओं को प्रमाण पत्र वितरित करने और सम्मान देने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने पिछले दस वर्षों में युवाओं और छात्रों के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में जानकारी दी।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, "यह एक अद्भुत यात्रा रही है, क्योंकि भारत 2014 से पहले कमजोर पांच से शीर्ष पांच में आने तक एक लंबा सफर तय कर चुका है।" मंत्री ने कहा कि इस सरकार ने कार्यभार संभालने के बाद 100 दिनों के भीतर 15 लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी है, 12 औद्योगिक नोड विकसित किए जाएंगे, जिनमें 40 लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सरकार की कमान संभालने के कुछ ही महीनों बाद स्व-प्रमाणन की पहल को याद किया। अब युवाओं को दस्तावेजों के प्रमाणीकरण के लिए किसी राजपत्रित अधिकारी के पास नहीं भटकना पड़ता। इससे इस सरकार का युवाओं पर कितना भरोसा है यह पता चलता है ।
आरोप थे कि लिखित परीक्षा में अच्छे अंक पाने के बावजूद सरकारी सेवा के इच्छुक उम्मीदवारों को साक्षात्कार में कम अंक मिल रहे थे। इस मुद्दे पर बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने इसका समाधान निकाला और भारत सरकार की ग्रुप सी सेवा और उससे नीचे की सेवाओं में साक्षात्कार का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है।
स्टार्ट-अप के बारे में बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "हमारी सरकार ने देश में इस अवधारणा को बढ़ावा और गति दी। 2014 से पहले केवल 350-375 स्टार्ट-अप थे, जो अब लगभग 3.75 लाख तक पहुँच चुके हैं। स्टार्ट-अप के मामले में हम अब दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं।" उन्होंने कहा कि अगर भारत 2047 तक विकसित बनना चाहता है, तो उसे वैश्विक मानक स्थापित करने होंगे और देश ने इस दिशा में तेज़ी से काम करना शुरू कर दिया है।
कोल इंडिया की छत्तीसगढ़ स्थित सहायक कंपनी एसईसीएल : चार अमृत फार्मेसियां खोलने वाली पहली कोयला कंपनी बनी
नई दिल्ली | सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, कोल इंडिया की छत्तीसगढ़ स्थित सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) ने देश की 216वीं अमृत (उपचार के लिए सस्ती दवाइयाँ और विश्वसनीय प्रत्यारोपण) फार्मेसी का उद्घाटन किया। बिलासपुर में एसईसीएल की इंदिरा विहार कॉलोनी के स्वास्थ्य केंद्र में यह नई सुविधा एसईसीएल को चार अमृत फार्मेसियों का संचालन करने वाली पहली कोयला कंपनी है।
अमृत फार्मेसियाँ, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2015 में शुरू की गई एक प्रमुख पहल का हिस्सा हैं, जो अत्यधिक रियायती दरों पर जेनेरिक और जीवन रक्षक ब्रांडेड दवाओं, प्रत्यारोपण और शल्य चिकित्सा में उपयोग आने वाली सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती हैं। एसईसीएल की इस पहल से एसईसीएल कर्मचारियों, आम जनता और विशेष रूप से कोयला क्षेत्र के आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों सहित वहां काम करने वाले और बाह्य मरीजों दोनों को लाभ होगा। इन फार्मेसियों के विस्तार से कुछ सबसे वंचित क्षेत्रों में समुदायों के लिए सस्ती दवाओं तक आसान पहुँच सुनिश्चित होगी।
एसईसीएल के सीएमडी डॉ. प्रेम सागर मिश्रा ने समावेशी विकास के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी चौथी अमृत फार्मेसी के उद्घाटन के साथ, हमें न केवल अपने कर्मचारियों के लिए बल्कि बड़े समुदाय विशेषकर कोयला क्षेत्र के आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी स्वास्थ्य सेवा की पहुँच बढ़ाने पर गर्व है।यह पहल समावेशिता को बढ़ावा देने के साथ भी जुड़ी हुई है जो इस साल के विशेष अभियान 4.0 के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है।
फार्मेसी का निर्माण स्वास्थ्य केंद्र के साथ खाली स्थान की सफाई और उपयोग करके किया गया है, जो विशेष अभियान 4.0 के तहत सर्वोत्तम प्रथाओं का एक उदाहरण बनकर उभरा है।
यह फार्मेसी, कोरबा जिले के गेवरा, शहडोल जिले के सोहागपुर, और मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के चिरमिरी के परिचालन क्षेत्रों में स्थित केंद्रीय अस्पतालों में स्थित है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों जैसी सामान्य और गंभीर बीमारियों के लिए दवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला एक ही स्थान पर उपलब्ध हो।
इन फार्मेसियों के माध्यम से अपने कर्मचारियों को सीधे दवाइयां उपलब्ध कराकर, एसईसीएल चिकित्सा संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग में भी योगदान दे रहा है, जिससे चिकित्सा प्रतिपूर्ति लागत को कम करने में मदद मिल रही है, साथ ही यह सुनिश्चित हो रहा है कि मरीजों को गुणवत्तापूर्ण उपचार मिले।
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की बैठक का आयोजन किया
नई दिल्ली | धर्मेंद्र प्रधान ने आरटीई अधिनियम, 2009 के कार्यान्वयन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के समग्र एवं परिवर्तनकारी प्रावधानों में निर्देशित देश में स्कूली शिक्षा को और प्रभावी बनाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की |
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के कार्यान्वयन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, यह मुख्य रूप से स्कूली शिक्षा तक पहुंच पर जोर देता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा व्यवस्था के संशोधन और पुनरुद्धार का भी उल्लेख किया गया, जिसमें इसका विनियमन और शासन शामिल है, ताकि एक ऐसी नई प्रणाली विकसित की जा सके जो स्कूली पाठ्यक्रम में समग्र, समावेशी और बहु-विषयक विकास प्रदान करके 21वीं सदी की शिक्षा के आकांक्षात्मक लक्ष्यों से समरूपता रखती हो।
इस अवसर पर धर्मेंद्र प्रधान ने अपने संबोधन में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच की गारंटी देने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया और आरटीई अधिनियम, 2009 के कार्यान्वयन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के समग्र और परिवर्तनकारी प्रावधानों द्वारा निर्देशित देश में स्कूली शिक्षा को और प्रभावी बनाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने आगामी वर्षों में शैक्षिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नवीन शिक्षण विधियों को एकीकृत करने और शिक्षण के परिणामों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए एक संपूर्ण योजना विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया जो एनईपी 2020 के अनुसार बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को सुनिश्चित करता है। इसके साथ-साथ श्री प्रधान ने शैक्षिक हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पहुंच, सामर्थ्य, समानता और समावेशिता सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए प्रभावी प्रशिक्षण और शिक्षण पद्धति के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता का उल्लेख किया।
डीओएसईएल के सचिव संजय कुमार ने शिक्षा नीतियों की परिवर्तनकारी यात्रा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के माध्यम से विकसित भारत के विज़न को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने परिषद के सदस्यों से शिक्षा क्षेत्र में प्रगति की समीक्षा करने और प्रतिभागियों को अपनी व्यावहारिक प्रतिक्रिया देने का आग्रह किया।
डीओएसईएल के अपर सचिव विपिन कुमार ने आरटीई अधिनियम 2009 के अंतर्गत सरकार की पहलों की वर्तमान स्थिति की जानकारी देते हुए, विशेष रूप से निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों, यूनिफॉर्म, मध्याह्न भोजन योजना और इससे संबंधित कई अन्य हस्तक्षेपों के प्रावधान का उल्लेख किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप, ये पहल समग्र शिक्षा योजना का मूलाधार हैं, जो शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और समानता एवं समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। इन बिंदुओं को एकीकृत करके, समग्र शिक्षा संपूर्ण विकास को बढ़ावा देती है और शिक्षण के परिणामों में सुधार लाती है, यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक बच्चे को प्राथमिक से माध्यमिक शिक्षा में बिना किसी बाधा के आवश्यक सुविधा मिले। चर्चा के दौरान यह भी उल्लेख किया गया कि आरटीई अधिनियम 2009 कक्षा 1 से कक्षा 8 तक की प्रारंभिक शिक्षा पर केन्द्रित है, लेकिन एनईपी-2020 15 वर्ष की स्कूली शिक्षा की समग्र विकासात्मक आवश्यकताओं का ध्यान रखता है।
राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्यों ने एक अधिक सुसंगत और न्यायसंगत शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए अपने बहुमूल्य विचार साझा किए। समिति के सदस्यों ने स्कूल इकोसिस्टम, शिक्षक शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिन्हें एनईपी 2020 में रेखांकित किया गया है। बैठक में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग एवं विभाग के स्वायत्त निकायों के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
इसके साथ-साथ एनसीईआरटी के निदेशक ने बताया कि संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की निर्धारित भाषाओं में 79 प्राइमर विकसित किए गए हैं। ये प्राइमर एनईपी 2020 के अनुसार हैं, जो बच्चों के समग्र विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए उनकी मूल भाषा में शिक्षा को बढ़ावा देता है। यह बैठक भारत में शिक्षा प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस बैठक में यह सुनिश्चित किया गया कि प्रत्येक बच्चे को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिले और शिक्षा में समानता एवं समावेशिता के सिद्धांतों को मजबूत किया जाए।
पीएम इंटर्नशिप स्कीम के लिए 24 घंटे में 1.55 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने किया रजिस्ट्रेशन
नई दिल्ली | पीएम इंटर्नशिप स्कीम को लॉन्च होने के साथ ही अच्छा रिस्पॉन्स मिलना शुरू हो गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, हाल ही में शुरू की गई पीएम इंटर्नशिप स्कीम के लिए महज 24 घंटे में 1,55,109 उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
स्कीम के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शनिवार को शुरू हो गई थी, पोर्टल पर 24 सेक्टर में 90 हजार से ज्यादा इंटर्नशिप के अवसर उपलब्ध हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024 का बजट पेश करते हुए इस स्कीम का ऐलान किया था। स्कीम का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में लगभग 1 करोड़ युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
इस स्कीम का उद्देश्य युवा बेरोजगारी को दूर करना है और इन युवाओं को प्रशिक्षण के साथ तैयार कर प्रतिभा की तलाश करने वाली कंपनियों से जोडऩा है।
जुबिलैंट फूडवर्क्स, मारुति सुजुकी इंडिया, एलएंडटी, मुथूट फाइनेंस और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्रमुख निजी कंपनियां उन 193 कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने प्लेटफॉर्म पर इंटर्नशिप के अवसर पोस्ट किए हैं।
इंटर्नशिप 24 सेक्टरों और 20 से अधिक क्षेत्रों में उपलब्ध है, जिनमें परिचालन प्रबंधन, उत्पादन, रखरखाव और बिक्री शामिल हैं। इस पहल को तेल, गैस, ऊर्जा, यात्रा और आतिथ्य, ऑटोमोटिव और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों से भी मदद मिली है।
यह पोर्टल आधार-आधारित रजिस्ट्रेशन और बायोडाटा जनरेशन जैसे टूल्स के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में इंटर्नशिप करने के इच्छुकों की पहुंच बनाता है।
इस स्कीम का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष में 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 737 जिलों में 1.2 लाख से अधिक इंटर्नशिप कराना है।
इसके अलावा, शीर्ष कंपनियां ऐसे पदों की पेशकश भी कर रही हैं जो रोजगार को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
स्कीम का प्रबंधन कर रहे कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के अनुसार, यह युवाओं के कौशल को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की एक परिवर्तनकारी पहल है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़ेगी।
स्कीम के लिए चुने गए युवाओं को एक वर्ष के लिए भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में इंटर्नशिप करने का अवसर मिलेगा और साथ ही 5,000 रुपये प्रतिमाह भत्ता और 6,000 रुपये एकमुश्त अनुदान भी मिलेगा।
स्कीम के लिए आवेदन करने के लिए अभ्यर्थियों को हाई स्कूल या हायर सेकेंडरी स्कूल उत्तीर्ण होना चाहिए और इसके साथ आईटीआई से प्रमाण पत्र होना चाहिए या पॉलिटेक्निक संस्थान से डिप्लोमा होना चाहिए । इसके अलावा, बीए, बीएससी, बीकॉम, बीसीए, बीबीए, बी फार्मा आदि डिग्री के साथ स्नातक होना चाहिए।
अभ्यर्थी पीएमइंटर्नशिप डॉट एमसीएम डॉट जीओवी डॉट इन के माध्यम से पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय में होगी 500 से अधिक पदों पर भर्ती.. जानिए कब करना है आवेदन
डेस्क। दिल्ली यूनिवर्सिटी Delhi University में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर भर्तियां निकली हैं, जिसके लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गए हैं। योग्य और इच्छुक उम्मीदवार डीयू (DU) के ऑफिशियल वेबसाइट du.ac.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इस भर्ती अभियान के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय में 575 फैकल्टी पदों को भरा जाएगा। इसके लिए पंजीयन प्रक्रिया 14 अक्टूबर से शुरू होगी और 24 अक्टूबर तक चलेगी। बतादें कि प्रोफेसर के 145, असिस्टेंट प्रोफेसर के 116 और एसोसिएट प्रोफेसर के 313 पदों पर भर्ती होगी।
चयन प्रक्रिया
प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के इन पदों पर भर्तियां इंटरव्यू के माध्यम से की जाएंगी। इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को सभी ओरिजिनल सर्टिफिकेट्स के साथ वैलिड फोटो पहचान-पत्र (आधार/वोटर आईडी/ड्राइविंग लाइसेंस/पासपोर्ट) के साथ रिपोर्ट करना होगा. इसके अलावा ऑनलाइन आवेदन पत्र में बताई गई योग्यता, अनुभव और कैटेगरी के प्रमाण-पत्रों की सेल्फ अटेस्टेड फोटोकॉपी की एक-एक कॉपी भी उम्मीदवारों को अपने साथ लानी होंगी।
आवेदन शुल्क
सभी पदों के लिए आवेदन शुल्क सामान्य कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए 2000 रुपये, ओबीसी/ईडब्ल्यूएस कैटेगरी और महिला उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क 1500 रुपये, एससी/एसटी कैटेगरी के लिए 1000 रुपये और PwBD कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क 500 रुपये है. शुल्क का भुगतान सिर्फ ऑनलाइन, क्रेडिट/डेबिट कार्ड/नेट बैंकिंग के माध्यम से किया जाएगा। उम्मीदवार ध्यान दें कि एक बार भुगतान किया गया शुल्क किसी भी परिस्थिति में वापस नहीं किया जाएगा. जो भी उम्मीदवार एक से अधिक पदों/विभागों के लिए आवेदन कर रहे हैं, उन्हें अलग-अलग आवेदन करना होगा और उसके लिए अलग-अलग शुल्क का भुगतान करना होगा.
सैलरी
डीयू में प्रोफेसर को पे-बैंड 4 के तहत 37400-67000 यानी 1,44,200 रुपये से लेकर 2,18,200 रुपये के बीच सैलरी मिलती है, जबकि एसोसिएट प्रोफेसर को भी पे-बैंड 4 के तहत ही 37400 से 67000 रुपये के बीच सैलरी मिलती है, लेकिन उनका ग्रेड-पे कम होता है. इसके अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर पे-बैंड 3 के तहत 15600-39100 के बीच सैलरी मिलती है।
मेथी का पानी पिने के ढेर सारे फायदे.... थायराइड, डायबिटीज और पाचन की दिक्कतों को करता है दूर
डेस्क। पीले मेथी के दाने सेहत को एक नहीं बल्कि कई फायदे देते हैं। इसमें फाइबर से लेकर खनिज और विटामिन भी भरपूर मात्रा होता है। जो थायराइड से लेकर पीसीओडी और पीसीओएस की दिक्कत तक को कम करने में असर दिखाते हैं।
पीसीओएस , पीसीओडी , थायराइड, डायबिटीज और पाचन से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए मेथी का पानी बनाकर पिया जा सकता है। मेथी का पानी सुबह खाली पेट पी सकते हैं। रात के समय 4 से 5 ग्राम मेथी के पानी को एक गिलास पानी में भिगोकर रखें और अगली सुबह इसे पी लें। आप चाहे तो मेथी समेत ही इस पानी को पी सकते हैं या फिर इसे छानकर भी पिया जा सकता है।
इस मेथी के पानी में नींबू का रस डालने पर न्यूट्रिएंट्स का बेहतर एब्जोर्पशन होता है और दालचीनी का पाउडर डालने पर पीसीओएस में मदद मिलती है. इसके अलावा हल्का इलायची का पाउडर डालकर भी पिया जा सकता है जिससे पाचन सही रहता है और सुबह एसिडिटी की दिक्कत नहीं होती है।
मेथी में एक्टिव कंपाउंड्स सेपोनिन्स और एल्कालॉइड होते हैं और साथ ही यह फाइबर से भरपूर होते हैं जो एकसाथ काम करते हैं और ब्लड शुगर लेवल्स को रेग्यूलेट करते हैं, हार्मोंस बैलेंस करते हैं और पाचन बेहतर करते हैं।
न्यूट्रिशनिस्ट के बताए फायदों के अलावा मेथी के दानों का पानी पीने पर हाई कॉलेस्ट्रोल लेवल्स भी कम हो सकते हैं. इसके एंटी-इंफ्लमेटरी गुण इंफ्लेमेशन को कम करते हैं. इसके अलावा वजन कम करने में भी मेथी के पानी का असर नजर आ सकता है।
युवा संगम (पांचवां चरण) में भाग लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण शुरू
पंजीकरण 21 अक्टूबर 2024 तक स्वीकार किए जाएंगे
युवा संगम के विभिन्न चरणों में 114 यात्राओं में देश भर के 4790 से अधिक युवाओं ने भाग लिया
नई दिल्ली | शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत (ईबीएसबी) के तहत युवा संगम के पांचवें चरण के लिए पंजीकरण पोर्टल लॉन्च किया गया। युवा संगम भारत सरकार द्वारा देश के विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के युवाओं को लोगों के बीच संपर्क मजबूत करने के लिए एक पहल है। 18-30 वर्ष की आयु के इच्छुक युवा, मुख्य रूप से छात्र, एनएसएस/एनवाईकेएस स्वयंसेवक, कार्यरत/स्व-रोजगार वाले व्यक्ति आदि वर्ष 2023 में शुरू की गई इस अनूठी पहल के आगामी चरण में भाग लेने के लिए युवा संगम पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं। पंजीकरण 21 अक्टूबर 2024 तक स्वीकार किए जाएंगे।
विस्तृत जानकारी यहां उपलब्ध है: https://ebsb.aicte-india.org/
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/1KULP.jpeg
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2015 को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के बीच एक सतत और संरचित सांस्कृतिक संबंध का विचार प्रस्तुत किया था। इस विचार को मूर्त रूप देने के लिए 31 अक्टूबर 2016 को एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम शुरू किया गया। एक भारत श्रेष्ठ भारत की उत्पत्ति और विकास के साथ-साथ कार्यक्रम के तहत आयोजित गतिविधियों, विशेष पहलों और अभियानों की जानकारी ई-बुक (https://ekbharat.gov.in/JourneySoFarCampaign/index.html) में उपलब्ध है।
एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत शुरू किया गया युवा संगम पंच प्राण के दो तत्वों - एकता में शक्ति और विरासत में गौरव को आगे बढ़ाता है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के साथ संरेखित करता है, जिसमें अनुभवात्मक शिक्षा और भारत की समृद्ध विविधता के ज्ञान को प्रत्यक्ष रूप से आत्मसात करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह विविधता के उत्सव के साथ चल रहा एक शैक्षिक सह सांस्कृतिक आदान-प्रदान है, जिसमें प्रतिभागियों को जीवन के विविध पहलुओं, प्राकृतिक भू-आकृतियों, विकास स्थलों, इंजीनियरिंग और वास्तुकला के चमत्कारों, हाल की उपलब्धियों और मेजबान राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में स्थानीय युवाओं के साथ बातचीत करने और गहराई से जुड़ने का अवसर मिलता है।
युवा संगम के पांचवें चरण के लिए भारत भर में 20 प्रतिष्ठित संस्थानों की पहचान की गई है। इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिभागी, क्रमशः राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के नोडल उच्च शिक्षा संस्थानों के नेतृत्व में, अपने-अपने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा करेंगे।
राज्यों की सूची
महाराष्ट्र और ओडिशा
हरियाणा और मध्य प्रदेश
झारखंड और उत्तराखंड
जम्मू एवं कश्मीर तथा तमिलनाडु
आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश
बिहार और कर्नाटक
गुजरात और केरल
तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश
असम और छत्तीसगढ़
राजस्थान और पश्चिम बंगाल
युवा संगम यात्राओं के दौरान, पाँच व्यापक क्षेत्रों- 5 पी अर्थात पर्यटन, परम्परा, प्रगति, परस्पर संपर्क (लोगों से लोगों का संपर्क) और प्रौद्योगिकी के तहत बहुआयामी अनुभव, 5-7 दिनों (यात्रा के दिनों को छोड़कर) की अवधि में आने वाले प्रतिनिधिमंडल को प्रदान किया जाएगा। युवा संगम के पिछले चरणों में भारी उत्साह देखा गया है और अंतिम चरण में पंजीकरण 44,000 को पार कर गया था। अब तक, भारत भर के 4,795 युवाओं ने युवा संगम के विभिन्न चरणों (2022 में पायलट चरण सहित) में 114 यात्राओं में भाग लिया है।
युवा संगम, जो ‘सम्पूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण का उदाहरण है, सहभागी मंत्रालयों/विभागों/एजेंसियों और राज्य सरकारों के सहयोग से सहयोगात्मक रूप से आयोजित किया जाता है। इसमें गृह मंत्रालय, संस्कृति, पर्यटन, युवा कार्यक्रम एवं खेल, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास विभाग (डीओएनईआर) और रेलवे शामिल हैं। कार्यक्रम को लागू करने के लिए प्रत्येक सहभागी हितधारक की अलग-अलग भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ हैं। प्रतिनिधियों का चयन और युवा संगम दौरों का अंतिम क्रियान्वयन नोडल उच्च शिक्षा संस्थानों (सूची अनुलग्नक में दी गई है) द्वारा किया जाता है; जो इस पहल को आगे बढ़ाते हैं।
शिक्षा मंत्रालय ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर मानसिक स्वास्थ्य और साइबर सुरक्षा पर कार्यशाला आयोजित की
नई दिल्ली | शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर युवाओं की सहभागिता के लिए मानसिक स्वास्थ्य और साइबर सुरक्षा पर एक राष्ट्रीय ऑनलाइन कार्यशाला आयोजित की। इस कार्यशाला में मानसिक स्वास्थ्य पर दो सत्र शामिल थे, जिसमें एम्स दिल्ली के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर (एमडी) डॉ. राजेश सागर ने व्याख्यान दिया और साइबर सुरक्षा पर भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र, गृह मंत्रालय की डीसीपी डॉ. रश्मि शर्मा यादव ने व्याख्यान दिया। इस कार्यशाला का यूट्यूब पर सीधा प्रसारण किया गया, जिससे देश भर में 20 लाख से अधिक छात्र और शिक्षक जुड़े।
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अपर सचिव विपिन कुमार ने छात्रों के बीच मानसिक स्वास्थ्य और इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने आज के डिजिटल युग में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों के संभावित प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए शीघ्र कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की संयुक्त सचिव अर्चना शर्मा अवस्थी ने छात्रों के कल्याण को प्राथमिकता देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों एवं शिक्षकों दोनों के लिए मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डाला तथा सभी से अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और खुद को साइबर अपराध का शिकार होने से बचाने के लिए विशेषज्ञों द्वारा दी गई सलाह को ध्यान से सुनने और उसका पालन करने का आह्वान किया।
डॉ. राजेश सागर ने तनाव, चिंता और अवसाद जैसे प्रचलित मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लगभग 50 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य विकार 14 वर्ष की आयु से पहले ही उभर आते हैं, और शीघ्र हस्तक्षेप की वकालत की। डॉ. सागर ने शैक्षणिक दबाव, माता-पिता के बीच संघर्ष और बुलिंग सहित सामान्य तनावों की पहचान की, और एक खुशहाल बचपन को बढ़ावा देने के लिए गहरी सांस लेने और संज्ञानात्मक पुनर्गठन जैसी प्रभावी रणनीतियों को साझा किया।
डॉ. रश्मि शर्मा यादव ने अपनी प्रस्तुति में बच्चों के लिए साइबर स्वच्छता और सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने साइबरबुलिंग, ग्रूमिंग और धोखाधड़ी वाले ऑनलाइन गेमिंग एप्लिकेशन के खिलाफ निवारक उपायों के बारे में बताया। उन्होंने छात्रों को हेल्पलाइन 1930 और @cyberdost के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिम्मेदारी के साथ इंटरनेट के उपयोग, माता-पिता की जागरूकता और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया। दोनों विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि छात्रों को अपने माता-पिता और शिक्षकों जैसे बड़ों के साथ अपनी किसी भी समस्या को साझा करना चाहिए।
इस कार्यशाला में देश भर के नवोदय विद्यालय समिति, केंद्रीय विद्यालय संगठन, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, सीबीएसई और राज्य सरकार के स्कूलों की कक्षा छह से बारहवीं तक के छात्रों ने भाग लिया और इसे सांकेतिक भाषा में भी प्रस्तुत किया गया जिससे सभी प्रतिभागियों की सुलभता सुनिश्चित हुई। इस पहल को उपस्थित लोगों से जबरदस्त सराहना मिली, जो एक सुरक्षित और स्वस्थ शैक्षिक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस सरकारी विभाग में जल्द होगी इंजीनियरों की भर्ती..वित्त से मिली मंजूरी
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग में सब इंजीनियरों के 102 पदों पर भर्ती को वित्त विभाग ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसमें 86 सिविल और 16 विद्युत-यांत्रिकी के उप अभियंता के पद शामिल हैं। इससे पहले लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में 128 अभियंताओं के पद निकाले गए थे। मुख्यमंत्री ने तेजी से विभिन्न विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती के निर्देश दिए हैं और रिक्त पदों पर भर्ती की त्वरित रूप से स्वीकृति दी जा रही है। मुख्यमंत्री की विशेष पहल से अब शासकीय सेवा के 6 हजार से अधिक पदों में नियुक्तियों की प्रक्रिया आरंभ हो गई है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2024 : कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना
नई दिल्ली | विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत सबसे पहले 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ (डब्लयूएफएमएच) द्वारा की गई थी। वैश्विक स्तर पर इस आयोजन का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए किये जा रहे प्रयासों में एकजुटता लाना है। पिछले कुछ वर्षों में, सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में स्थायी बदलाव लाने वाली पहलों में सहयोग के लिए यह दिन एक महत्वपूर्ण बन गया है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का महत्व, व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों में मानसिक स्वास्थ्य के गहन प्रभाव की बढ़ती मान्यता से रेखांकित होता है।
2024 की थीम है- कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य , मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थल के महत्वपूर्ण सम्बंध को उजागर करती है। अनुमान है कि वैश्विक आबादी का 60% हिस्सा किसी न किसी रूप में रोजगार से जुड़ा है। इसलिए कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को महत्व देना अनिवार्य हो गया है। खराब कामकाजी परिस्थितियों के कारण मानसिक स्वास्थ्य सम्बंधी महत्वपूर्ण जोखिम सामने आ सकते हैं, जबकि सुरक्षित और समावेशी कार्य वातावरण मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है। कार्यस्थल मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दें, नुकसान से बचाएं और उन लोगों का सहयोग करें जिन्हें मदद की ज़रूरत है, यह सुनिश्चित करने के लिए थीम सामूहिक कार्रवाई करने के महत्व पर जोर देती है।
कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य: प्रमुख कारक और विचार
मानसिक स्वास्थ्य और काम का आपस में गहरा सम्बंध है: कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, उनके उद्देश्य सुनिश्चित करने के साथ ही स्थिरता और नौकरी की संतुष्टि प्रदान करने के लिए एक सकारात्मक और सहयोगपूर्ण कार्य वातावरण महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर, प्रतिकूल कार्य परिस्थितियाँ मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं और इससे उत्पादकता और मनोबल में कमी आ सकती है। एक समावेशी और सम्मानजनक कार्यस्थल कर्मचारियों को अधिक प्रेरित करता है। इसके विपरीत, तनाव, भेदभाव, दुर्व्यवहार और सूक्ष्म प्रबंधन के कारण प्रतिकूल वातावरण बन सकता है, जो प्रेरणा और नौकरी से संतुष्टि को कम करता है।
कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम: कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य के लिए खराब कामकाजी परिस्थितियों, भेदभाव और सीमित स्वायत्तता जैसे कई तरह के जोखिमों का सामना करना पड़ता है। कम वेतन वाली या असुरक्षित नौकरियों में अक्सर अपर्याप्त सुरक्षा होती है, जिससे इस प्रकार की नौकरियां करने वाले कर्मचारी के लिए मनो-सामाजिक जोखिमों की समस्या बढ़ जाती है, जिससे उनका समग्र कल्याण और अधिक प्रभावित हो सकता है।
कर्मचारियों पर प्रभाव: पर्याप्त सहयोग के बिना, मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहे व्यक्तियों में आत्मविश्वास की कमी, काम में मन न लगना और उनके बार-बार अनुपस्थित होने की स्थिति हो सकती है। इसका प्रभाव कार्यस्थल से परे भी देखा जा सकता है, जिससे रोजगार पाने या उसे किए जान की क्षमता प्रभावित हो सकती है। ये चुनौतियाँ परिवार के सदस्यों और देखभाल करने वालों को भी प्रभावित करती हैं और इससे उनके जीवन में तनाव और बढ़ जाता है।
कार्य और समाज पर व्यापक प्रभाव: कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याएं केवल व्यक्तिगत कर्मचारियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका व्यापक सामाजिक प्रभाव है। खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण कार्य उत्पादकता में कमी, कर्मचारियों की अनुपस्थिति और कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। वैश्विक स्तर पर, अवसाद और चिंता प्रत्येक वर्ष लगभग 12 बिलियन कार्यदिवसों के नुकसान का कारण बनते हैं, इससे अनुपचारित मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के आर्थिक और सामाजिक परिणामों का पता चलता है।
रोजगार में समस्याएं और बाधाएं: मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या एक महत्वपूर्ण बाधा है जो व्यक्तियों को मदद मांगने और रोजगार बनाए रखने से रोकता है। मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे लोगों के साथ कार्यस्थल पर भेदभाव उनकी सफलता की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। मानसिक स्वास्थ्य की खराब स्थिति वाले कर्मचारियों के साथ जागरूकता कार्यक्रम, प्रशिक्षण और जुड़ाव अधिक समावेशी, सहायक कार्य वातावरण में योगदान दे सकते हैं जो इन बाधाओं को दूर करते हैं।
कर्मचारियों को सफल होने में सहायता करना: खराब मानसिक स्वास्थ्य स्थिति वाले कर्मचारी कार्यस्थल पर सफल हो सकें, यह सुनिश्चित करने में नियोक्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नियमित सहायक बैठकें, निर्धारित अवकाश और कार्यों को धीरे-धीरे फिर से शुरू करना और कर्मचारियों की स्थितियों का प्रबंधन करने जैसे उचित समायोजन उन्हें उत्पादक बने रहने में मदद करता है। इलाज की सुविधाओं की पेशकश भी एक महत्वपूर्ण अंतर ला सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य सहयोग के लिए प्रबंधकों को प्रशिक्षित करना: नियोक्ताओं को कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य तनावों की पहचान करने और उन्हें दूर करने के लिए प्रबंधकों के प्रशिक्षण में निवेश करना चाहिए। प्रशिक्षित प्रबंधक सकारात्मक और सहायक कार्य वातावरण को बढ़ावा देने के लिए बेहतर ढंग से तैयार होते हैं, जो तनाव कम करने और कर्मचारियों के बीच मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
सरकारी कार्रवाई और सहयोग: सरकारों, नियोक्ताओं और प्रतिनिधि संगठनों को सार्थक बदलाव लाने के लिए, मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को रोकने और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने वाली नीतियां बनाने में सहयोग करना चाहिए। इन प्रयासों का उद्देश्य ऐसे कार्यस्थल का निर्माण होना चाहिए जहां मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता मिले और कर्मचारियों के लिए सुरक्षात्मक उपाय किए जाएं।
अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना: कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सरकारें और नियोक्ता तो जिम्मेदार हैं ही, लोग भी अपने स्वयं के कल्याण के लिए कदम उठा सकते हैं। तनाव प्रबंधन तकनीक सीखना और मानसिक स्वास्थ्य में होने वाले बदलावों के प्रति सचेत रहना आवश्यक है। जरूरत पड़ने पर किसी विश्वसनीय व्यक्ति या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करके आवश्यक सहायता प्राप्त की जा सकती है।
जल जीवन मिशन : 15 करोड़ ग्रामीण परिवारों के लिए नल से जल
जल जीवन मिशन के अंतर्गत 78.58% ग्रामीण घरों तक नल से जल
डेस्क | जल जीवन मिशन (जेजेएम) का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा 15 अगस्त, 2019 को किया गया था। इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से जल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है। जल जीवन मिशन की शुरुआत के समय केवल 3.23 करोड़ (17%) ग्रामीण परिवारों के पास नल से जल का कनेक्शन था।
इस मिशन का प्रमुख लक्ष्य साल 2024 तक लगभग 16 करोड़ अतिरिक्त घरों को नल का जल उपलब्ध कराकर इस अंतर को पाटना है। इसके अलावा मिशन में मौजूदा जल आपूर्ति प्रणालियों की कार्यक्षमता सुनिश्चित करना और 19 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को इस योजना के तहत सीधे लाभ पहुंचाना भी शामिल है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण-शहरी अंतर को कम करना तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है।
जल जीवन मिशन का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों की माताओं एवं बहनों को अपने घर के लिए पानी लाने की सदियों पुरानी मेहनत वाली प्रथा से मुक्ति दिलाना । उनके स्वास्थ्य, शिक्षा तथा सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है।
यह मिशन ‘जीवन को आसान’ बना रहा है और ग्रामीण परिवारों के लिए गौरव एवं सम्मान बढ़ा रहा है। जल जीवन मिशन अनिवार्य तत्वों के रूप में पानी के स्रोत स्थिरता उपायों को भी लागू करता है, जैसे कि घरों या कार्यालयों में गैर-शौचालय स्रोतों से निकले अपशिष्ट जल का प्रबंधन, जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन के माध्यम से पुनर्भरण एवं जल का पुन: उपयोग आदि।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत 6 अक्टूबर, 2024 तक, 11.95 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को सफलतापूर्वक नल से जल के कनेक्शन प्रदान किए हैं, जिससे इस सुविधा से लाभांवित परिवारों की कुल संख्या 15.19 करोड़ से अधिक पहुंच गई है, जो भारत के सभी ग्रामीण परिवारों का 78.58% है।
इस मिशन ने सफलता के रूप में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। ग्रामीण लोगों को उनके घरों में ही स्वच्छ पेयजल प्रदान करके उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला जा रहा है।
पानी की गुणवत्ता प्रभावित हिस्सों, सूखाग्रस्त इलाकों, रेगिस्तानी क्षेत्रों और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) वाले गांवों में घरेलू नल से जल का कनेक्शन के प्रावधान को प्राथमिकता देना।
एफएचटीसी को प्रति व्यक्ति हर दिन 55 लीटर जल (एलपीसीडी) की न्यूनतम सेवा स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए चल रही व पूर्ण हो चुकी योजनाओं की पुरानी परिस्थिति में भी नई सुविधाओं की व्यवस्था करना।
फ्लेक्सी फंड पर वित्त मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, प्राकृतिक आपदाओं या विपत्तियों के कारण अप्रत्याशित चुनौतियों का समाधान करना।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि आईआईएम के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत होगी, मुख्य रूप से महिलाओं के लिए लिए, जो अन्यथा पानी इकट्ठा करने में खर्च होता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि भारत में सभी घरों के लिए सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सुनिश्चित करने से डायरिया रोग की वजह से होने वाली लगभग 400,000 मौतों को रोका जा सकता है । इससे लगभग 14 मिलियन दिव्यांगता समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) की बचत हो सकती है।
नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल क्रेमर के शोध से पता चलता है कि सुरक्षित जल कवरेज होने के कारण पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में लगभग 30% की कमी आ सकती है, जिससे संभावित रूप से प्रतिवर्ष 136,000 लोगों की जान बच सकती है।
भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलोर ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के साथ साझेदारी में अनुमान लगाया है कि जल जीवन मिशन अपने पूंजीगत व्यय चरण के दौरान 59.9 लाख व्यक्ति-वर्ष प्रत्यक्ष रोजगार और 2.2 करोड़ व्यक्ति-वर्ष अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न करेगा। इसके अलावा, परिचालन एवं रखरखाव चरण से 13.3 लाख व्यक्ति-वर्ष का प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित हो सकते हैं।
प्रवर्तकता और मिशन वात्सल्य कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों का किया जाएगा चिन्हांकन
चिकित्सा, शिक्षा और पोषण के लिए प्रतिमाह 4 हजार रुपये की वित्तीय सहायता
रायपुर | एकीकृत बाल संरक्षण योजना, मिशन वात्सल्य महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत प्रवर्तकता कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष से कम आयु के देख-रेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को चिकित्सकीय, पोषण, व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु परिवारों को अनुपूरक सहायता के रूप में धन राशि प्रदान किया जाना है, जिससे बच्चे के जीवन स्तर की गुणवत्ता में सुधार हो सके और बालक का सर्वाेत्तम हित सुनिश्चित किया जा सके।
महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली हुई जानकारी के अनुसार किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 यथा संशोधित 2021 का एक प्रमुख मार्गदर्शी सिद्धांत यह है कि किसी बच्चे को अंतिम उपाय के रूप में संस्थागत देखरेख में रखा जावे। परिवार तथा पारिवारिक वातावरण बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सर्वाधिक अनुकूल होता है। अतः बच्चों के पुनर्वास और समाज में एकीकरण के लिए परिवार एवं समुदाय आधारित विकल्प में प्रवर्तकता (स्पॉसरशिप) का प्रावधान रखा गया है। जिसके तहत प्रवर्तकता हेतु पात्र बच्चों की शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 4 हजार रूपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
प्रवर्तकता की निवारक और पुनर्वास 02 श्रेणियां है। निवारक श्रेणी में जैविक परिवार में निवासरत बालकों को परिवार में बने रहने, शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 4 हजार रूपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जाती है ताकि वे बेघर, बालश्रम, बाल विवाह, पलायन इत्यादि के लिए मजबूर न हो। जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा ऐसे परिवारों या बच्चों का चिन्हांकन सामाजिक कार्यकर्ता, आऊटरीच वर्कर, स्वयं सेवकों, वार्ड समिति या ग्राम पंचायत की मदद से किया जाता है।
पुनर्वास श्रेणी अंतर्गत ऐसे बच्चों को 4 हजार रूपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जाती है, जो परिवार के आर्थिक अभाव के कारण मिशन वात्सल्य के तहत संचालित बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत है, उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान कर परिवार में पुनर्वासित किया जाता है। निवारक प्रवर्तकता के तहत समुदाय में निवासरत ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है तथा विस्तारित परिवार की देखरेख में रहते है। एकल माता-पिता के बच्चे, विशेषकर विधवा या तलाकशुदा या परिवार द्वारा परित्यक्त माता के बच्चे। माता-पिता द्वारा परित्यक्त बच्चे, जो विस्तारित परिवार की देखरेख में रहते है। ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता जेल मे हो। ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता अक्षम या बच्चों की देखभाल करने में आर्थिक और शारीरिक रूप से असमर्थ हो। ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता गंभीर बीमारी से पीड़ित है। किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 के अनुसार देखरेख और संरक्षण के आवश्यकता वाले बच्चे जैसे बेघर, प्राकृतिक आपदा के शिकार, बालश्रम, बाल विवाह के शिकार, अवैध मानव परिवहन किये गये बच्चे, एचआईवी, एड्स प्रभावित बच्चे, निःशक्त बच्चे, गुमशुदा या भागे हुए बच्चे, बाल भिक्षुक या सड़क पर रहने वाले बच्चे, प्रताडित या शोषण किये गये बच्चे। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के हितग्राही बच्चे इन सभी श्रेणी के बच्चे 4 हजार रूपये प्रति माह आर्थिक सहायता प्राप्त करने के पात्र है।
प्रवर्तकता के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए परिवार की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 72 हजार रूपये प्रतिवर्ष और अन्य क्षेत्रों के लिए 96 हजार रूपये प्रतिवर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रवर्तकता कार्यक्रम के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता 18 वर्ष तक की आयु पूर्ण होने तक मिल सकती है।
प्रवर्तकता कार्यक्रम का क्रियान्वयन जिला बाल संरक्षण ईकाई द्वारा किया जाता है। प्रवर्तकता हेतु पात्र बच्चों का चिन्हांकन जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा किया जाता है। साथ ही चाइल्ड हेल्पलाईन (1098), जिला बाल संरक्षण ईकाई के अधिकारी, क्षेत्रीय बाल संरक्षण समितियों अथवा किसी प्रबुद्ध नागरिक द्वारा भी बालकों का चिन्हांकन किया जा सकता है।
प्रत्येक जिले में बाल कल्याण समिति एवं प्रवर्तकत्ता एवं पालन पोषण देखरेख अनुमोदन समिति गठित है। प्रवर्तकता प्रकरण प्राप्त होने अथवा जरूरतमंद बालक या परिवार का आवेदन प्राप्त होने पर मिशन वात्सल्य योजना के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्रवर्तकता की स्वीकृति दी जाती है एवं बाल कल्याण समिति द्वारा स्थापन आदेश जारी किया जाता है। बाल कल्याण समिति के स्थापन आदेश उपरांत बालक के नाम पर बैंक खाता खोला जाता है। जिसका संचालन समिति के आदेश में नाम निर्दिष्ट व्यक्ति के द्वारा किया जाता है एवं बालक के बैंक खाते में प्रतिमाह जिला बाल संरक्षण समिति द्वारा राशि अंतरित की जाती है।
प्रवर्तकता के संबंध में अधिक जानकारी एवं आवेदन पत्र प्राप्त करने के लिए संबंधित जिले की जिला बाल संरक्षण इकाई से संपर्क किया जा सकता है।