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आने वाला वट सावित्री व्रत... इन खास बातों का रखना होगा ख्याल... ताकि अखंड सौभाग्य में ना पड़े खलल

भारतीय सनातन धर्म में वट सावित्री की पूजा और व्रत का विशेष स्थान है। इस दिन हिन्दू महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और संतान के लिए व्रत करती हैं और वट वृक्ष में विराजित माता सावित्री की पूजा करती हैं। इस बार यह व्रत 19 मई 2023 को पड़ेगा। इस व्रत में कुछ नियमों का पालन जरुरी है, नहीं तो एक गलती अखंड सौभाग्य के लिए अशुभ मानी जाती है।  

यूं तो हिन्दू धर्म में किए जाने वाले व्रत, पूजा को लेकर संस्कार अपने घरों से ही मिल जाते हैं, लेकिन कभी—कभी इंसान जानते हुए भी, या फिर जल्दबाजी में कई ऐसी बातों को कर जाता है, जो नहीं किया जाना चाहिए। इनमें से कुछ जरुरी बातों का ख्याल बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं वो बातें कौन—कौन सी हैं। 

1. वट सावित्री व्रत के दिन देर तक न सोएं, साथ ही इस दिन एक ही समय सोना चाहिए। व्रत का दिन भजन कीर्तन करने और भगवान के स्मरण में व्यतीत करें।

2. वट सावित्री व्रत में सुहागिनें सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष की पूजा करती हैं। सौभाग्यवती होने और पुत्र प्राप्ति के लिए ये व्रत बहुत खास महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं गलती से भी काले, नीले और सफेद रंग के वस्त्र और चूड़ियां न पहनें। काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक होता है। सुहाग के लिए पूजा में काला रंग नहीं पहनना चाहिए।

3. वट सावित्री पूजा में वट वक्ष पर कच्चा सूत बांधा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन ऐसे परिक्रमा करें कि अपना पैर दूसरों को न लगे। ऐसा होने पर परिक्रमा खंडित मानी जाती है और उसका फल नहीं मिलता।

4. कहते हैं शादी के बाद पहली बार स्त्रियों को वट सावित्री व्रत ससुराल में नहीं मायके में करना चाहिए। सुहाग की सामग्री आदि भी मायके से ही इस्तेमाल में लेनी चाहिए।

5. इस दिन कई लोग बरदग के पेड़ से जुड़े उपाय करते हैं लेकिन व्रती को इस दिन गलती से भी बरगद की टहनियां नहीं तोड़नी चाहिए, क्योंकि इसे मां सावित्री का प्रतीक माना जाता है। ऐसा करने पर व्रत-पूजन निष्फल हो जाता है और ये पति के लिए अशुभ माना गया है।

6. हिंदू धर्म में हर पूजा और उसकी कथा का विशेष महत्व होता है, इसलिए वट सावित्री व्रत में कथा का जरुर श्रवण करें। कथा को अधूरा न छोड़े। जब कथा चल रही हो तो अपने स्थान से उठना भी नहीं चाहिए, इससे पूजा व्यर्थ चली जाती है।