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बिस्तर पर बैठकर भोजन करना... शास्त्र और स्वास्थ्य के लिए कितना उचित... पढ़िए

भोजन हर इंसान और धरती पर जन्म लेने वाले प्रत्येक प्राणी के लिए सबसे आवश्यक है। बगैर भोजन के इंसान ना तो स्वस्थ रह सकता है, और ना ही उसके भीतर जीवन को जीने की क्षमता विकसित होती है। इंसानों को भोजन तैयार करने के साथ ही उस आहार को ग्रहण करने के लिए उचित तरीके का ज्ञान बचपन से दिया जाता है। लेकिन आज के दौर में ज्यादातर लोग उन नियमों का अनदेखा कर अपनी इच्छा के मुताबिक भोजन ग्रहण करते हैं। जिसका शास्त्र के मुताबिक तो गहत प्रभाव पड़ता है, मेडिकली भी इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए जाते हैं। 

ऐसे में कुछ नियम हैं जिनका पालन हमें हमेशा। करना चाहिए, अगर आप इन नियमों का पालन नहीं करेंगे तो मां लक्ष्मी आपसे रुष्ट हो सकती है, तो स्वास्थ्य पर भी इसका दुष्प्रभाव भले तत्काल नजर नहीं आएगा, लेकिन असर दिख ही जाएगा। 

पहले के समय में लोग जमीन पर बैठ कर खाना खाते थे, लेकिन आज के आधुनिक समय में जमीन पर बैठकर खाने की प्रथा खत्म सी हो गई है। आजकल लोग अक्सर बिस्तर पर बैठकर खाना खाते हैं। हिंदू धर्म में बिस्तर पर बैठकर खाना खाने पर बिलकुल मनाही है, तो मेडिकल साइंस भी इस बात को स्वीकार करता है कि भोजन या तो जमीन पर बैठकर ग्रहण करना चाहिए, या फिर टेबल—कुर्सी को स्वीकार्यता दी गई है। 

शास्त्रों में कहा गया है कि बिस्तर पर बैठकर खाना या पीना नहीं चाहिए इससे मां लक्ष्मी रुष्ठ हो जाती हैं बिस्तर पर बैठ कर खाने खाना से दरिद्रता का प्रवेश होता है। इसीलिए हमें कोशिश करनी चाहिए की हम खाना या तो जमीन पर बैठ कर खाएं। भोजन बिस्तर पर खाने से आप भोजन का अपमान होता है साथ ही बिस्तर का भी अपमान होता है। ऐसा भी माना जाता है कि खाने संबंध बृहस्पति और राहु से होता है। बिस्तर पर बैठकर खाने से राहु भी रुष्ट हो जाता है और समृद्धि का ह्रास होने लगता है।

मेडिकल साइंस भी इस बात को स्वीकार करता है कि बिस्तर पर बैठकर भोजन करने से पेट संबंधी विकार होते हैं। एक बार शिकार होने के बाद यह सिलसिला लगातार बना रहता है। आमतौर पर लोग इस बात को नहीं समझ पाते। मेडिकल साइंस इसके पीछे तर्क देता है कि बिस्तर पर भोजन के लिए सही आसन नहीं बन पाता, जिसकी वजह से हम जिस आहार को ग्रहण कर रहे होते हैं, उसे सही स्थान नहीं मिल पाता, नतीजतन, दुष्परिणाम सामने आता है।