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बदलाव की तरफ बढ़ रहा मौसम... सेहत पर डालेगा दुष्प्रभाव... क्या करें, क्या ना करें... ​पढ़िए पूरी खबर

रायपुर। अंग्रेजी कलेंडर के मुताबिक फरवरी को ठंड यानी विंटर सीजन का अंतिम माह कहा जाता है, लेकिन हिन्दी कलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास को ठंड और गर्मी का मिश्रित महीना कहा गया है। फरवरी और मार्च के बीच ना तो ठंड का अहसास होता है और ना ही बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है, लेकिन इस दौरान मौसम की शुष्कता इंसान के सेहत को काफी ज्यादा प्रभावित करती है। इसके कई कारण है। 

1. बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से सही मायने में मौसम चक्र प्रभावित हो गया है। वैसे तो साल में चार मौसम का वर्णन मिलता है, लेकिन वर्तमान समय में भारत का मध्य क्षेत्र अधिकांश समय तपता रहता है, यानी गर्मी से लोग हलाकान होते हैं। जिसकी वजह से ज्यादातर समय लोग एसी और कूलर में वक्त बिताते हैं। 
2. हर मौसम का खानपान भी अलग हुआ करता था, लेकिन अब के दौर में मौसम आधारित कोई भी सब्जी या फल नहीं मिलता, बल्कि हर सब्जी और फल सभी मौसमों में मिल जाते हैं। यह सब हाइब्रिड उत्पादों की वजह से हो रहा है, जिसकी वजह से वास्तविक खाद्य सामाग्रियां हमसे दूर हो चुकी हैं। 
3. आज के दौर में लोगों का ध्यान पूर्व वर्णित विज्ञान पर नहीं जाता, बल्कि वर्तमान में जो कुछ नजर आ रहा है, उस पर कें​द्रित रहता है, जिसकी वजह से सहज दिनचर्या भी उलझनग्रस्त हो गई है, इससे उबरने के लिए प्रयास जरुर होते हैं, पर जिसकी आवश्यकता है, उसे छोड़कर लोग अनायास ही सबकुछ करने में जुटे हुए हैं। 

क्या करना चाहिए

जैसा कि पूर्व में यह समझाया जाता रहा है कि मौसम परिवर्तन के समय अपनी सेहत को यथास्थिति में रखने के लिए कुछ नियमों का पालन नियमित तौर पर किया जाना चाहिए। यदि इंसान उन बातों का ख्याल रखता है, तो निश्चित ही मौसमी बीमारियों से बच सकता है। इसके लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना जरूरी है। 

1. जब तक सहज हों, एसी और कूलर से दूरी बनाए रखने की कोशिश करें। फ्रीज का ठंडा पानी, कोल्डड्रिंक से परहेज करें। सामान्य पानी का सेवन करें और गर्म भोजन का सेवन प्राथमिकता से करते रहें। 
2. हेवी एक्सरसाइज की जगह मेडिटेशन, मॉर्निंग वॉक, साइकलिंग और वार्मअप के साथ योग और ध्यान क्रियाओं को करें। घर पर ताजा फलों का सेवन या फिर घर पर निकाले हुए जूस का सेवन बेहतर काम करता है। 

3. समय—समय पर पानी पीते रहना शरीर के लिए सबसे अच्छा और कारगर उपाय होता है। इसके अलावा भोजन के समय पर ध्यान देना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। इसके साथ ही धूल और धुंए से बचने का प्रयास किया जाना सेहत के लिए अच्छा प्रयास हो सकता है।