रायपुर

राजभाषा छत्तीसगढ़ी दिवस 2024: विद्यार्थी अपनी भाषा और क्षमता पर करें गर्व : प्रो.शुक्ल

रायपुर। साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला द्वारा आयोजित छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस 2024 के उपलक्ष्य में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो.सच्चिदानंद शुक्ल ने कहा कि हम अपनी माटी, मातृ भाषा और मातृभूमि की पवित्रता का सदैव सम्मान करें। हमें सदैव अपनी क्षमता और अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने बताया कि देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता एवं विशिष्टता भारतीय भाषाओं को भावात्मक रूप से जोड़कर सशक्त बनाती है।

कार्यक्रम के माई पहुना जनप्रिय विधायक, संस्कृति धर्मी पद्मश्री अनुज शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि  भाषा में निरंतर प्रवाह रहना चाहिए। सहज सरल छत्तीसगढ़ी हमें आगे बढ़ाती है। छत्तीसगढ़ी के सिनेमा में प्रयोग और परिवेश के अनेक अनुभव उन्होंने साझा किए। उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ी को मानकीकृत रूप देने में सिनेमा और फ़िल्मों की भाषा महत्वपूर्ण है। भाषा का बोलचाल में  प्रयोग हमें आज अभी से कर देना चाहिए, कल का इंतजार नहीं करना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध कवि और राजभाषा आयोग के पूर्व सचिव पद्मश्री सुरेंद्र दुबे ने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ी सशक्त भाषा है, इसे आठवीं अनुसूची में स्थान मिलना चाहिए। छत्तीसगढ़ी हमारी दाई है, अंग्रेजी हमें पैकेज दे सकती है किन्तु संस्कार मातृ भाषा ही देती है। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ भाषाविद प्रो. चित्तरंजन कर ने अपने मंतव्य में मानकीकरण एवं उसमें आने वाली समस्याओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि संज्ञानात्मक ज्ञान, कल्पना, स्मृति, तर्क, तुलना, शिष्टाचार मातृ भाषा से ही सीखते हैं।अपनी भाषा सबसे बेहतर है।

साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला द्वारा राजभाषा छत्तीसगढ़ी दिवस 2024का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएं, शोधार्थीगण, संकाय सदस्यगण, कर्मचारी एवं अधिकारीगण उपस्थित रहकर भाषा के महत्व को जाना। कार्यक्रम का समन्वय साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला की अध्यक्ष प्रो. शैल शर्मा ने किया तथा संचालन दायित्व डॉ. स्मिता शर्मा ने बख़ूबी पूर्ण किया।

इस कार्यक्रम में वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. कल्लोल के घोष, प्रो रोहिणी प्रसाद, प्रो बी एल सोनकर, डॉ. डी एन खूंटे, डॉ.नीलाभ कुमार, डॉ. गिरजा शंकर गौतम, डॉ.सोनल मिश्रा, डॉ.मृणालिनी कर्मोकर, डॉ.विभाषा मिश्र, डॉ.शारदा सिंह, डॉ. कुमुदिनी घृतलहरे आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सांस्कृतिक कार्यक्रम सत्र में छात्र छात्राओ ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और रंगारंग प्रस्तुतियां दीं। सभी ने छत्तीसगढ़ी में गोठबात, प्रचार प्रसार का संकल्प लिया।