रायपुर

नौ महीने एंड्रॉयड फोन से तौबा और रोजाना 11 घंटे पढ़ाई... तब मिली नीट में सफलता

रायपुर। National Eligibility cum Entrance Test में राजधानी के क्षितिज सागर ने वो कर दिखाया जो आज की युवा पीढ़ी के लिए काफी कठिन होता है। क्षितिज ने जब पहली बार नीट दिया तो 322 अंक मिले। 10वीं और 12वीं टापर रहे क्षितिज को इन अंकों ने थोड़ा निराश किया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। और एक दिन सुबह उठकर अपने पापा के पास गए और अपना एंड्रायड फोन दे दिया और कहा अब नीट क्वालीफाइ करने के बाद ही इसे लूंगा। और फिर शुरू हुआ सफलता का सफर। बतादें कि इस साल छत्तीसगढ़ से 42 हजार 130 स्टूडेंट्स नीट के लिए रजिस्टर्ड थे। जिनमें से 41 हजार 196 छात्रों ने परीक्षा दी थी। इनमें 17 हजार 610 स्टूडेंट्स क्वालिफाइड हुए हैं।
 
क्षितिज सागर हेलोडे ने बताया कि  पहली बार में मुझे 322 अंक मिले। लेकिन ठान लिया था कि नीट क्रैक करना ही है। इसके लिए कोचिंग ज्वाइन की। गाड़ी चलाकर जाने में थकावट न  हो इसलिए प्रतिदिन पापा डा. साहर हेलोडे मुझे छोड़ने जाते थे। सुबह सात बजे के पहले मम्मी मुझे टिफिन बनाकर देती थी। सुबह 7 से 2 तक कोचिंग की क्लास चलती थी। फिर दोपहर 2 बजे से रात के आठ बजे तक कोचिंग सेंटर में बने स्टडी रुम में स्टडी करता था। घर आने के बाद एक घंटा और पढ़ता रात 11 बजे सो जाता था। नौ महीनों में पापा-मम्मी के साथ कोचिंग के टीचर्स का पूरा सपोर्ट मिला। 
 
क्षितिज के पिता डा. सागर हेलोडे ने बताया कि पहली बार 322 अंक मिलने पर क्षितिज थोड़ा परेशान था। फिर उसने मेरे पास आकर मुझे अपना एंड्रायड फोन दे दिया। कोचिंग ज्वाइन करने के बाद हर महीने उसका टेस्ट होता। टेस्ट में कठिन सवालों का उसने एक बैंक बनाया। फिर घर पर उसे साल्व करता। वह प्रतिदिन 200 प्रश्नों को हल करता था। कोचिंग के बाद सेल्फ स्टडी पर पूरा फोकस किया।