छत्तीसगढ़

दुर्गम क्षेत्रों में सूरज की रोशनी बुझा रही खेतों की प्यास


रायपुर। फसल की अच्छी पैदावार के लिए उचित देखरेख के साथ पर्याप्त सिंचाई भी जरूरी है। भौगोलिक दृष्टि से पहुंचविहीन और अविद्युतीकृत क्षेत्रों में किसानों के लिए खेतों तक पानी पहुंचाना एक बड़ी समस्या रही है। इन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा बड़ी सहूलियत बन कर उभर रही है। उत्तर बस्तर कांकेर जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों में सैकड़ों किसान सौर सुजला योजना के माध्यम से अपने खेतों में सोलर पंप लगाकर सिंचाई कर रहे हैं। इससे खेतों को भरपूर पानी मिलने लगा है, जिससे उत्पादन भी बढ़ा है।
पानी की सुविधा होने से कई किसान खेतों के बीच मछली पालन और अतिरिक्त फसल लेकर अतिरिक्त कमाई भी करने लगे हैं। सौर ऊर्जा से पंप चलने से जहां किसानों को बिजली गुल की समस्या तथा भारी भरकम बिजली बिलों से छुटकारा मिला है, वहीं रात में वाटर रिचार्जिंग का समय मिलने से जमीन का जलस्तर भी नहीं गिरता है।

खेती किसानी के लिए अब बारिश पर निर्भरता नहीं
दुर्गूकोंदल विकासखण्ड के ग्राम सुरूंगदोह के किसान सीताराम ने बताया कि उनका खेत पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण विद्युत लाईन पहुंच पाना बहुत मुश्किल है। सिंचाई सुविधा के अभाव में वे खेती-किसानी के लिए वर्षा के जल पर ही निर्भर थे। सौर सुजला योजना के बारे में पता चलने पर उनके सामने बिना बिजली के सिंचाई का एक नया विकल्प आया। उन्होंने अपने खेत में तीन हार्स पावर का सोलर पंप स्थापित कर लिया।   

पानी का साधन मिलने से बढ़ी किसानों की कमाई
जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के सैकड़ों किसान भी सौर सुजला योजना का लाभ ले रहे हैं। क्षेत्र के राम कृष्णपुर के किसान परिमल बोस ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में 05 हार्स पावर का सोलर पंप लगाया है। सोलर पंप के माध्यम से वे तालाब में पानी भरकर मछली पालन कर रहे हैंं। इससे एक साल में उन्हें लगभग 03 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। 

अब साल भर लहलहाते हैं खेत
इसी तरह अंतागढ़ विकासखण्ड के दुर्गम एवं वनांचल ग्राम उसेली के किसान झिटकू राम तारम ने बताया कि उनकी दो एकड़ जमीन दूध नाला के समीप स्थित है। जमीन में वर्षभर जल स्तर बने रहने के बावजूद वह सिंचाई साधन के अभाव में खेती नहीं कर पाते थे।  सौर सुजला योजना के बारे में जानकारी मिलते ही उन्होंने अपने खेतों में 5 हार्स पावर का सौर ऊर्जा चलित सिंचाई पंप लगवा लिया। सिंचाई की समस्या दूर होने से अब वह मिर्च, प्याज, टमाटर जैसी सब्जियों के साथ-साथ दलहनी फसलों का उत्पादन भी कर रहे हैं, इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है।