छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की एक बेटी ने अपने मजबूत इरादों से नीट परीक्षा क्वॉलीफाई कर लिया है। ग्राम डूमरडीह की रहने वाली यमुना चक्रधारी के पिता का ईंट भट्टा है। अपने परिवार के साथ ईंटें बनाने के साथ ही यमुना ने अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दिया और सफलता हासिल कर दूसरों के लिए भी मिशाल बनी।
भट्ठे में तपकर भी नहीं झुलसी
जिस तरह से गर्म भट्ठे में तपकर एक एक ईट तैयार किया जाता है। उसे देखकर यमुना के इरादे भी तैयार होते चले गए। भले ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी, लेकिन पढ़ाई कर मुकाम हासिल करने के उसके जो मजबूत इरादे थे, वह चट्टान की तरह थी। जिसका नतीजा ये रहा की यमुना ने नीट क्वालीफाई कर न सिर्फ दुर्ग जिला बल्कि प्रदेश के लिए एक मिसाल बन गई है।
खुद के दम पर की पढ़ाई
यमुना का कहना है कि उनके पिता का छोटे से ईट भट्ठे का काम है, क्योंकि आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं। इसलिए पूरे परिवार को काम करना पड़ता है। 6 से 7 घंटे के काम के बाद पढ़ाई के लिए भी समय निकाला जाता था। सेल्फ स्टडी के भरोसे ही चार बार के बाद आखिरकार कामयाबी हासिल हुई है। अब वह एमबीबीएस पूरा करने के बाद एमडी या एमएस के लिए ट्राई करना अगला लक्ष्य होगा।
चौड़ा हो गया पिता का सीना
इधर यमुना के पिता बैजनाथ चक्रधारी अपनी बेटी की सफलता से बेहद खुश है। उनका कहना है कि वे अपने सामर्थ्य के अनुसार अपने बेटी यमुना युक्ति वंदना और बेटे दीपक को पढ़ाई करवाकर एक अच्छा मुकाम दिलाने का प्रयास करेंगे। यमुना रोजाना 5 से 6 घंटा ईट बनाने का काम करती है इसके साथ ही पढ़ाई में भी अपना ध्यान देती थी। यमुना की इस कामयाबी पर उन्हें गर्व है।
शासन से मदद की दरकार
यमुना की मां कुसुम ने कॉपी किताब नहीं देखा है, लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाई में आगे बढ़ता देख खुश है। पिता बैजनाथ के सपने बड़े है, लेकिन आर्थिक संकट भी उनके लिए दुविधा है। यमुना के नीट क्वालीफाई करने के बाद अब तक शासन - प्रशासन से कोई बड़ा व्यक्ति भी मिलने नहीं आया है, न ही किसी तरह का कोई फोन कॉल आया है। हां श्रम विभाग के अधिकारी ने फोन कर मदद करने की बात जरूर कही है।