महादेव सट्टाः सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल की तरफ से कपिल सिब्बल ने की पैरवी
रायपुर। छत्तीसगढ़ सहित देशभर में सुर्खियों में चल रहे महादेव बैटिंग एप मामले की बुधवार को बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। रायपुर विशेष अदालत द्वारा जारी गैर जमानती वारंट के खिलाफ एप प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की। मामले में आज सुनवाई अधूरी रह गई, जिसकी वजह से 12 सितंबर को भी महादेव सट्टा मामले की सुनवाई होगी।
जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की अदालत में हुई सुनवाई में महादेव सट्टा एप के संचालक और वोंटूलो के नागरिक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने अपने अधिवक्ता कपिल सिब्बल के जरिए गैर जमानती वारंट को चुनौती देते हुए कहा कि अदालत ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर यह वारंट जारी किया है। अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि रायपुर स्थित ईडी की अदालत ईडी को यह निर्देशित नहीं कर सकती कि सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल को गिरफ्तार करें। यह अदालत अपने क्षेत्राधिकार के लिए विधिक अधिकार संपन्न है, लेकिन क्षेत्र से बाहर के लिए ऐसा नहीं कर सकती। प्रत्यर्पण केंद्र सरकार का काम है, लेकिन केंद्र ने वोंटूलो में में निवासरत सौरभ चंद्राकर के प्रत्यर्पण पर कोई कार्यवाही नहीं की है।
बता दें कि महादेव एप की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) पहले से ही कर रही थी, जिसके बाद सीबीआई जांच कर रही है। ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एप संचालकों से प्रोटेक्शन मनी 508 करोड़ रुपये लेने की बात अदालत में कही थी। पिछले दिनों शुभम सोनी का एक वीडियो भी जारी हुआ था, जिसमें कई बड़े नामों का खुलासा भी किया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा इसमें बड़ी संख्या में राजनेता, शीर्ष अधिकारी, पुलिसकर्मी, पत्रकार लिप्त बताए गए थे। इस खुलासे के बाद राज्य की राजनीति में उबाल आ गया था। भूपेश बघेल सहित कांग्रेसी नेताओं ने इसे षड़यंत्र बताया था।
छत्तीसगढ़ के भिलाई के रहने वाले सौरभ चंद्राकर ने अपने एक साथी रवि उप्पल के साथ ‘महादेव गेमिंग-बेटिंग’ नामक ऑनलाइन सट्टेबाज़ी एप की शुरुआत की थी, जिसका अब करीबन 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार बताया जाता है। पहले इस काम को दोनों आरोपी छत्तीसगढ़ से अंजाम दे रहे थे, लेकिन जैसे ही पैसा एप के जरिए आने लगा, कारोबार दुबई ले गए। ईडी ने छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में ताबड़तोड़ छापेमारी भी महादेव सट्टा एप में की है। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्थिक अपराध दर्ज किया गया है।