नेहरू संग्रहालय अब कहलाएगा 'पीएम म्यूजियम'; सभी PM की यादों को मिलेगी जगह
नईदिल्ली. नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की एक विशेष बैठक में इसका नाम बदलकर ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी सोसाइटी’ करने का निर्णय लिया गया। विशेष बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जो सोसायटी के उपाध्यक्ष भी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में तीन मूर्ति परिसर, नई दिल्ली में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार रखा था। एनएमएमएल की कार्यकारी परिषद ने 25 नवंबर 2016 को आयोजित अपनी 162वीं बैठक में तीन मूर्ति एस्टेट में सभी प्रधानमंत्रियों के संग्रहालय के निर्माण परियोजना के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। तीन मूर्ति एस्टेट में सभी प्रधानमंत्रियों के संग्रहालय के निर्माण की परियोजना पूरी हो गई और प्रधानमंत्री संग्रहालय को 21 अप्रैल 2022 से आम जनता के लिए खोल दिया गया है।
कार्यकारी परिषद ने बाद में महसूस किया कि संस्थान के नाम में वर्तमान गतिविधियों को प्रतिबिंबित होना चाहिए, जहां अब एक ऐसा संग्रहालय भी शामिल है जो स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की सामूहिक यात्रा को दर्शाता है संग्रहालय भी शामिल है जो स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की सामूहिक यात्रा को दर्शाता है और प्रत्येक प्रधानमंत्री के राष्ट्र निर्माण में योगदान को प्रदर्शित करता है।
संग्रहालय पुनर्निर्मित और नवीनीकृत नेहरू संग्रहालय भवन से शुरू होता है और जवाहरलाल नेहरू के जीवन और योगदान को अद्यतन तकनीक के साथ उन्नत रूप से प्रदर्शित करता है। नए भवन में स्थित यह संग्रहालय दर्शाता है कि कैसे हमारे प्रधानमंत्रियों ने विभिन्न चुनौतियों के बीच में से देश को निकालते हुए देश के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित किया है। यह सभी प्रधानमंत्रियों को मान्यता देता है, जिससे सही मायनों में संस्थागत स्मृतियों का लोकतंत्रीकरण हुआ है।
कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने अपने स्वागत भाषण में नाम परिवर्तन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री संग्रहालय लोकतंत्र के प्रति राष्ट्र की गहरी प्रतिबद्धता को व्यक्त करता है और इसलिए संस्थान का नाम इसके नए रूप को प्रतिबिंबित करना चाहिए।
रक्षा मंत्री और सोसाइटी के उपाध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में नाम में परिवर्तन के प्रस्ताव का स्वागत किया, क्योंकि अपने नए रूप में यह संस्थान जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान और उनके सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों से निपटने की उनकी रणनीति को प्रदर्शित करता है।
प्रधानमंत्री पद को एक संस्था बताते हुए और विभिन्न प्रधानमंत्रियों की यात्रा की तुलना इंद्रधनुष के विभिन्न रंगों से करते हुए राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि एक इंद्रधनुष को सुंदर बनाने के लिए उसमें सभी रंगों का आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व किया जाना चाहिए। इस प्रकार हमारे सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को सम्मान देने के लिए इस प्रस्ताव के द्वारा इसे नया नाम दिया गया है और यह लोकतांत्रिक भी है।