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बांस की खेती आजीविका में सुधार लाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है : चरणजीत सिंह

दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य बांस की खेती के जरिए 10 लाख ग्रामीण महिलाओं को लखपति दीदी के रूप में सशक्त बनाना है
संगोष्ठी में विभिन्न उद्योगों में एक टिकाऊ विकल्प के रूप में बांस की क्षमता पर जोर दिया गया
नई दिल्ली | दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने संयुक्त राज्य अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) और उद्योग फाउंडेशन के साथ भागीदारी में 18 जुलाई, 2024 को बांस की खेती के जरिए स्थायी ग्रामीण आजीविका, महिला सशक्तिकरण और जलवायु लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए 'बांस पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी' का आयोजन किया।
इस संगोष्ठी में बांस की खेती पर भारत की पहली व्यापक पुस्तिका प्रस्तुत की गई, जो सात क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है, ताकि छोटी जोत वाली महिला किसानों को आवश्यक ज्ञान और अभ्यासों से सुसज्जित किया जा सके। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव चरणजीत सिंह और यूएसएआईडी की कार्यवाहक मिशन निदेशक एलेक्जेंड्रिया ह्यूर्टा ने यूजीएओ ऐप, एक डिजिटल टूल, का भी शुभांरभ किया, जो छोटी जोत वाली महिला किसानों के लिए रियल टाइम डेटा मुहैया कराता है। यह ऐप फॉरेस्ट स्टीवर्डशिप काउंसिल (एफएससी) प्रमाणन के लिए एक ट्रेस करने योग्य आपूर्ति श्रृंखला बनाने में भी सहायता करेगा, जिससे बांस उत्पाद की मांग और निर्यात क्षमता बढ़ेगी।
इस मौके पर, अपर सचिव चरणजीत सिंह ने कहा कि बांस की खेती आजीविका में सुधार लाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। यह कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने तथा सतत विकास को बढ़ावा देने, जलवायु शमन और लचीलेपन को आगे बढ़ाते हुए स्थायी आर्थिक अवसरों को सृजित करने  की हमारी प्रतिबद्धता का सबूत है।
यूएसएआईडी की कार्यवाहक मिशन निदेशक एलेक्जेंड्रिया ह्यूएर्टा ने कहा कि लैंगिक असमानताओं को दूर करना और स्थानीय स्तर पर विकास को बढ़ावा देना यूएसएआईडी की वैश्विक रणनीति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। मुझे प्रसन्नता है कि यूएसएआईडी की पावर परियोजना महिलाओं को सशक्त बना रही है और इसने एक सफल, स्थानीय स्तर पर संचालित, प्राकृतिक जलवायु समाधान मुहैया किया है, जिसे एनआरएलएम के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव स्वाति शर्मा ने कहा कि बांस की खेती के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना स्थायी आजीविका और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के हमारे मिशन के अनुरूप है। यह कार्यक्रम न केवल आर्थिक अवसरों को मुहैया करवाता है, बल्कि यह पर्यावरणीय स्थिरता में भी योगदान देता है। हमारा विश्वास ​​है कि यह पहल देशभर में ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगी।
उद्योग फाउंडेशन की सह-संस्थापक नीलम छिबर ने कहा कि बांस की खेती में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने और अनगिनत महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने की अपार संभावनाएं हैं। हमने कर्नाटक और महाराष्ट्र के 5,500 किसानों के लिए चौथे वर्ष से लेकर कम से कम चालीस वर्षों तक स्थायी आय के लिए फाउंडेशन बनाए हैं। हमारे संयोजित प्रयासों से, हमारा उद्देश्य इन महिलाओं को वो कौशल, संसाधन और बाजार तक पहुंच प्रदान करना है, जिनकी उन्हें सफल होने के लिए जरूरत है।
इस संगोष्ठी में विभिन्न उद्योगों में एक टिकाऊ विकल्प के रूप में बांस की क्षमता पर बल दिया गया, जिसका उद्देश्य आजीविका को बेहतर बनाना तथा पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान देना है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य बांस की खेती के माध्यम से 10 लाख ग्रामीण महिलाओं को 'लखपति दीदी' (एक वर्ष में 100,000 रुपये से अधिक कमाने वाली महिलाएं) के रूप में सशक्त बनाना है, जिससे देश भर में आर्थिक स्वतंत्रता और सतत विकास को बढ़ावा मिले।
उद्योग फाउंडेशन की डीएवाई-एनआरएलएम के साथ भागीदारी यूएसएआईडी की उत्पादक-स्वामित्व वाली महिला उद्यम (पॉवर) परियोजना की सफलता पर आधारित है, जिसे उद्योग द्वारा तीन राज्यों में कार्यान्वित किया गया है और जिसने 37 महिला स्वामित्व वाले उद्यमों और किसान उत्पादक समूहों में 10,000 से अधिक महिलाओं को एकत्रित किया है। इन महिला उत्पादकों ने पिछले पांच वर्षों में 30 लाख डॉलर से अधिक के बाज़ार ऑर्डर पूरे किए हैं। इस सफल मॉडल को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों के सहयोग से देश भर में फैलाया जाएगा।
 
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