ई-साक्ष्य, ई-समन, न्याय सेतु और न्याय श्रुति ऐप से पूरे तंत्र की टेक्निकल कंपीटेंसी को बढ़ावा मिलेगा
2024-08-05 11:27 AM
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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए ई-साक्ष्य, न्याय सेतु, न्याय श्रुति और ई- समन ऐप का लोकार्पण किया
नये कानून और इनके द्वारा चलने वाला क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम 21वीं सदी का सबसे बड़ा रिफार्म साबित होगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लाए गए तीन नये कानूनों – भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) - में भारत की मिट्टी की सुगंध और हमारे न्याय के संस्कार हैं
नये कानूनों का उद्देश्य लोगों को दंड नहीं न्याय देना है, इसीलिए ये दंड संहिता नहीं न्याय संहिता है
इन कानूनों के सम्पूर्ण क्रियान्वयन के बाद पूरे विश्व में सबसे आधुनिक और टेक्नोलॉजी से युक्त क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम भारत का होगा
तीनों नए कानूनों पर सुगम अमल के लिए मोदी सरकार ने कई पहल की हैं, CCTNS से लेकर SHO की ट्रेनिंग और FSL के इंटीग्रेशन तक बहुत काम किया जा रहा है
अगले दो महीने बाद चंडीगढ़ देश का पहला एडमिनिस्ट्रेटिव यूनिट होगा, जिसमे तीनों कानूनों का शत प्रतिशत क्रियान्वयन हो चुका होगा
नए कानून में इस प्रकार की टाइमबाउंड व्यवस्था की गई है कि किसी भी मामले में 3 साल में सुप्रीम कोर्ट तक का जजमेंट आ जाएगा
स्वामी विवेकानंद के कथन ‘स्व’ से ‘पर’ का विचार करने वाले ही असल ज्ञानी हैं, इसे हमारे साइबर सोल्जर्स ने चरितार्थ करने का काम किया है
गृह मंत्री ने सभी से अफवाहों से दूर रहने और नए कानूनों के क्रियान्वयन के लिए सक्रिय और रचनात्मक योगदान देने की अपील की
नई दिल्ली | केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए ई-साक्ष्य, न्याय सेतु, न्याय श्रुति और ई- समन ऐप का लोकार्पण किया। इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में गृह मंत्री ने कहा कि आज यहां उपस्थित सभी लोग 21वीं सदी के सबसे बड़े रिफॉर्म के लागू होने के साक्षी बने हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लाए गए तीन नये कानूनों – भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) - में भारत की मिट्टी की सुगंध और हमारे न्याय के संस्कार हैं। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को न्याय देना संविधान का दायित्व है और संविधान की इस स्पिरिट को ज़मीन पर उतारने का माध्यम हमारा क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 150 साल पहले बने कानून प्रासंगिक नहीं रह सकते।1860 और आज के भारत और उस वक्त के शासकों के उद्देश्य और आज हमारे संविधान के उद्देश्यों में बहुत अंतर है लेकिन क्रियान्वयन की मशीनरी वही है। उन्होंने कहा कि वर्षों तक लोगों को न्याय नहीं मिलता था और तारीख पर तारीख मिलती थी। श्री शाह ने कहा कि धीरे-धीरे लोगों का विश्वास सिस्टम पर से उठता जा रहा था। इसीलिए मोदी सरकार ने IPC की जगह BNS, CrPC की जगह BNSS और Evidence Act की जगह BSA लागू करने का काम किया है।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से पंच प्रण की बात कही थी जिनमें से एक था गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करना। उन्होंने कहा कि BNS, BNSS और BSA, जनता के चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा भारतीय संसद में और भारत के लोगों के लिए बनाए गए कानून हैं।इन तीन नए कानूनों में भारत की मिट्टी की सुगंध और हमारा न्याय का संस्कार है। श्री शाह ने कहा कि इन कानूनों में दंड का कोई प्रावधान नहीं है बल्कि इनका उद्देश्य लोगों को न्याय देना है इसीलिए ये दंड संहिता नहीं बल्कि न्याय संहिता है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इन कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन के बाद पूरी दुनिया में सबसे आधुनिक और तकनीक से युक्त आपराधिक न्याय प्रणाली भारत की होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए गृह मंत्रालय ने अनेक स्तरों पर प्रशिक्षण और कौशल विकास की व्यवस्था की है। इन कानूनों के बनने से पहले ही फॉरेन्सिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने का फैसला लिया गया और आज देश के 8 राज्यों में फॉरेन्सिक साइंस यूनिवर्सिटी काम कर रही हैं और वहां से फॉरेन्सिक एक्सपर्ट्स मिलने भी शुरू हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 8 और राज्यों में फॉरेन्सिक साइंस यूनिवर्सिटी खोली जाएगी जिससे 36 हज़ार फॉरेन्सिक एक्सपर्ट्स सालाना मिलेंगे।
अमित शाह ने कहा कि नए कानूनों में 7 वर्ष या अधिक सज़ा वाले अपराधों में फॉरेन्सिक टीम की अनिवार्य विज़िट का प्रावधान किया गया है। इससे तकनीकी साक्ष्य आने से दोष सिद्धि का प्रमाण बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इन क़ानूनों में एक डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन की व्यवस्था की गई है जो प्रॉसीक्यूशन की पूरी प्रक्रिया की लगातार निगरानी करेगा। उन्होंने कहा कि ज़िला और तहसील स्तर तक डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन की पूरी श्रृंखला तैयार की गई है और इनके अधिकार भी तय किए गए हैं।