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हम अपने सभी नागरिकों के लिए 'जीवन की सरलता' और 'जीवन की गुणवत्ता' सुनिश्चित कर रहे है : सीआईआई सम्मेलन में बोले प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित 'विकसित भारत की ओर यात्रा: केंद्रीय बजट 2024-25 के पश्चात सम्मेलन' के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया
"हमारी सरकार अभूतपूर्व गति और पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही है"
"आज हम विकसित भारत की ओर यात्रा की चर्चा कर रहे हैं; यह सिर्फ भावना के परिवर्तन को ही नहीं अपितु विश्वास में परिवर्तन को भी दर्शाता है"
"भारत का विकास और स्थिरता वर्तमान में अनिश्चित दुनिया के मामले में एक अपवाद है"
"महामारी के बावजूद भारत की राजकोषीय बुद्धिमता विश्व के लिए आदर्श है"
"हमारी सरकार की मंशा और प्रतिबद्धता बहुत स्पष्ट है, हमारी दिशा में कोई भटकाव नहीं है"
"हमारी सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कोई कमी नहीं है, हमारे लिए, देश और हमारे नागरिकों की आकांक्षाएं सर्वोपरि हैं"
"मैं उद्योग और भारत के निजी क्षेत्र को विकसित भारत के निर्माण का एक सशक्त माध्यम मानता हूं"
नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित ‘विकसित भारत की ओर यात्रा: केंद्रीय बजट 2024-25 के पश्चात सम्मेलन’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। सम्मेलन का उद्देश्य विकास के लिए सरकार के व्यापक दृष्टिकोण और उद्योग की भूमिका की रूपरेखा प्रस्तुत करना है। उद्योग, सरकार, राजनयिक समुदाय और थिंक टैंकों सहित अन्य क्षेत्रों से एक हजार से अधिक प्रतिभागियों ने व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में भाग लिया, जबकि देश और विदेश में स्थित विभिन्न सीआईआई केंद्र इस कार्यक्रम से जुड़े थे।
प्रधानमंत्री ने उपस्थित गणमान्यों को संबोधित करते हुए कहा कि जब देश के नागरिक जीवन के हर पहलू में स्थिरता प्राप्त कर लेते हैं और उत्साह से भरे होते हैं तो देश कभी पीछे नहीं रह सकता। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के आमंत्रण के प्रति आभार व्यक्त किया।
महामारी के दौरान व्यावसायिक समुदाय के साथ विकास को लेकर आशंकाओं पर चर्चा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने उस समय व्यक्त की गई आशावादिता को स्मरण किया और वर्तमान में देश की त्वरित विकास दर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा  कि आज हम विकसित भारत की ओर यात्रा की चर्चा कर रहे हैं। यह सिर्फ भावना में बदलाव नहीं अपितु यह आत्मविश्वास में बदलाव को दर्शाता है।  उन्होंने दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति और तीसरे स्थान की ओर तेजी से बढ़ते कदमों का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने 2014 में वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के समय को याद करते हुए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए समय की आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने 2014 से पहले के दौर पर भी अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि उस वक्त देश कमजोर पांच अर्थव्यवस्थाओं की सूची में था और लाखों करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार और घोटालों से ग्रसित था। सरकार द्वारा श्वेत पत्र में उल्लिखित आर्थिक स्थितियों की बारीकियों पर चर्चा किए बिना, प्रधानमंत्री ने उद्योग जगत प्रमुखों और संगठनों को दस्तावेज़ की समीक्षा करने और पिछली आर्थिक स्थितियों से इसकी तुलना करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है और इसे गंभीर संकट से बचाया है।
हाल ही में पेश किए गए बजट के कुछ तथ्य सामने रखते हुए प्रधानमंत्री ने मौजूदा 48 लाख करोड़ रुपये के बजट की तुलना 2013-14 के 16 लाख करोड़ रुपये के बजट से की, जिसमें अब  तीन गुना की वृद्धि है। संसाधन निवेश का सबसे बड़ा पैमाना पूंजीगत व्यय 2004 में 90 हजार करोड़ रुपये था, जो 2014 तक के 10 वर्षों में 2 लाख करोड़ रुपये हो गया, यानी दोगुना वृद्धि जबकि इसकी तुलना में यह महत्वपूर्ण संकेतक आज 5 गुना से भी अधिक वृद्धि के साथ 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि उनकी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र की देखभाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा यदि आप अलग-अलग क्षेत्रों पर नज़र डालेंगे, तो आपको पता चलेगा कि भारत उनमें से प्रत्येक पर कैसे ध्यान केंद्रित कर रहा है। पिछली सरकार से तुलना करते हुए, मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में रेलवे और राजमार्गों के बजट में 8 गुना वृद्धि देखी गई है। कृषि और रक्षा बजट में क्रमशः 4 और 2 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हर क्षेत्र के बजट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी टैक्स में रिकॉर्ड कटौती के बाद की गई है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014  में एक करोड़ रुपये कमाने वाले एमएसएमई को अनुमानित टैक्स देना पड़ता था, अब 3 करोड़ रुपये तक की आय वाले एमएसएमई भी इसका लाभ उठा सकते हैं। 2014 में 50 करोड़ रुपये तक की आय वाले एमएसएमई को 30  प्रतिशत टैक्स देना पड़ता था, आज यह दर 22 प्रतिशत है। 2014 में कंपनियां 30 प्रतिशत कॉर्पोरेट टैक्स देती थीं, आज 400 करोड़ रुपये तक की आय वाली कंपनियों के लिए यह दर 25 प्रतिशत है। 

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