छत्तीसगढ़

ओडिशा से छत्तीसगढ़ लौटा 27 हाथियों का दल... ग्रामीणों में दहशत का माहौल... विभाग सतर्क

रायपुर। छत्तीसगढ़ के हाथी प्रभावित जशपुर जिले के तपकरा वन परिक्षेत्र में एक बार फिर हाथियों का बड़ा दल लौट आया है। 27 हाथियों का यह समूह पड़ोसी राज्य ओडिशा से वापस लौटकर छत्तीसगढ़-ओडिशा की सीमा पर स्थित जोरंडाझरिया गांव के पास के जंगल में डेरा जमाए हुए है। इस दल की वापसी से इलाके के ग्रामीणों में दहशत का माहौल है और वन विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है।

बता दें कि हाथियों के इस झुंड को देखने के लिए जोरंडाझरिया और आसपास के गांवों के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हो रहे हैं। ग्रामीणों की इस भीड़ से स्थिति और भी जटिल हो गई है, क्योंकि हाथियों के पास जाने से उनकी आक्रामक प्रवृत्ति को उकसाया जा सकता है। वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने ग्रामीणों से जंगल से दूर रहने और अपने मवेशियों को चराने या मशरूम चुनने के लिए जंगल में नहीं जाने की सख्त हिदायत दी है।

हाथियों की प्रवृत्ति और उनके झुंड के व्यवहार को ध्यान में रखते हुए, विशेषज्ञों का कहना है कि हाथी आमतौर पर शांतिपूर्ण होते हैं, लेकिन यदि उन्हें उकसाया जाए या वे खतरे का आभास करें, तो वे आक्रामक हो सकते हैं। हाथियों के झुंड के जंगल में डेरा डालने का मतलब है कि वे भोजन और पानी की तलाश में हैं और इस दौरान ग्रामीणों का उनके पास जाना खतरनाक हो सकता है। ऐसे में वन विभाग का ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह देना बेहद महत्वपूर्ण है।

तपकरा वन परिक्षेत्र और उसके आसपास के इलाकों में हाथियों के उत्पात का इतिहास रहा है. पहले भी कई बार हाथियों के झुंड ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है, घरों को तोड़ा है और कई बार तो मानव जीवन को भी खतरे में डाला है. खासकर फसल कटाई के समय, हाथियों का दल गांवों के करीब आ जाता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसी कारण से वन विभाग और स्थानीय प्रशासन हमेशा हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखता है।