दिव्य महाराष्ट्र मंडल

'मिले सुर हमारा' के सुमधुर गीतों के साथ स्‍वेदशी मेले ने रायपुर से ली विदाई

 - दो घंटे तक संगीतमय महफिल में झूमते रहे रसिक श्रोतागण

रायपुर। साइंस कॉलेज मैदान पर लगे स्वदेशी मेले के अंतिम दिन ‘मिले सुर हमारा’ की फि‍ल्‍मी गीतों की संगीतमय प्रस्तुति हुईं। इसमें सुमीत मोडक, सुकृत गनोदवाले, भारती पलसोदकर, अंकिता किरवई, प्रसन्न वरहाडपांडे, दीक्षा वरहाडपांडे ने सुमधुर स्‍वरों में एक से बढकर एक प्रस्तुति दी। इससे दर्शक आयोजन स्‍थल पर लगभग दो घंटे तक अपनी सीटों पर जमे रहे।

कार्यक्रम में शुरुआत से ही सुमीत मोडक ने ‘खुदा भी आसमां से...’, ‘मुझे इश्क हैं तुझी से....’, ‘एक रोज मैं तड़पकर इस दिल को थाम लूंगा.....’, ‘मैं कहीं कवि न बन जाऊं’ गीतों से अपनी आवाज का जादू बिखेरा। सुकृत गनोदवाले ने ‘मेरे सपनों को रानी कब आएगी तू...,’ ‘एक लड़की भीगी भागी सी’ गाकर लुभाया। प्रसन्न वरहाडपांडे ने किशोर कुमार के समकक्ष माने जाने वाली आवाज से ‘प्यार मांगा है तुम्हीं से, न इंकार करो...,’ ‘दिलबर मेरे कब तक मुझे यूं ही तड़पाओगे...’, ‘देखा है तेरी आंखों में...’, जैसी सर्वाधिक प्रभावशाली प्रस्‍तुतियां दीं। 
 
 
महिलाओं में अंकिता किरवई ने ‘हवा हवाई... मैं ख्वाबों की शहजादी’ जैसे गाने गाए। अंकिता और भारती की जोड़ी ने भी अपने लोकप्रिय गीतों से संगीतप्रेमियों को आकर्षित किया। दीक्षा वरहाडपांडे ने ‘किस लिए मैंने प्यार किया…’ की सुरबद्ध प्रस्‍तुति से अपनी ओर से संगीत जगत में भावी संभावाओं का विश्‍वास दिलाया। प्रसन्न और भारती पलसोदकर की जोड़ी ने फि‍ल्‍म ‘नटवर लाल’ के गाने ‘परदेसिया ये सच है पिया...’, ‘शायद मेरी शादी का ख्याल...’ गाकर तालियां बटोरीं। अंकिता और सुमीत ने ‘कितना प्यार वादा हैं इन मतवाली आंखों का’ के माध्‍यम से प्रशंसनीय गाना पेश किया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन आचार्य रंजन मोडक ने किया।