दिव्य महाराष्ट्र मंडल

नृत्य नाटिका ‘कलांजलि’ दिखी अहिल्याबाई की शौर्यगाथा... दर्शक हुए मंत्रमुग्ध

रायपुर। पुण्यश्लोका अहिल्याबाई होल्कर की जीवनगाथा पर आधारित नृत्य नाटिका कलांजलि में अहिल्या बाई के संपूर्ण जीवन का नृत्य और संवाद के माध्यम से इंदौर से पहुंचे कलाकारों ने संस्कृति विभाग परिसर स्थित मुक्ताकाश मंच में सुंदर मंचन किया। ओमकार नाद से शुरू हुआ कार्यक्रम भारतमाता की आरती के साथ संपन्न हुआ।  इस दौरान 85 मिनट के इस नृत्य  नाटिका ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नृत्य नाटिका की प्रस्तुति कॉस्मिक क्रियेशन सोसाइटी, महाराष्ट्र मंडल रायपुर और संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ के सहयोग से की गई।

कलांजलि’  की सूत्रधार और निर्देशक मंजूषा राजस जोहरी ने बताया कि पुरानी परंपरा में कथा-कथन का बड़ा महत्व था। आधुनिक युग में हम कहीं न कहीं मूल तत्व से दूर होते जा रहे है। इसी कारण हमने देवी अहिल्या के शौर्य गाथा को नृत्य नाटिका का माध्यम से प्रस्तुत किया। जिसमें कुल परंपरा मल्हारी मार्तंड का गोंधल नृत्य प्रस्तुत किया गया। अहिल्या बाई ने मां नर्मदा के तट पर विशाल घाट बनाया। ताकि प्रजा को समीप से मां के दर्शन हो सके। महेश्वर का यह नर्मदा तट और मां नर्मदा की स्तुति मान को शांत कर देती है। इस बीच कलाकारों ने नर्मदाष्टक पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया।

मंजूषा राजस जोहरी ने आगे बताया कि नृत्य नाटिका में पोवाड़ा की प्रस्तुत भी हुई। पोवाड़ा महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह वीर रस और ऐतिहासिक घटनाओं को याद रखने और जश्न मनाने का एक माध्यम है। पोवाड़ा एक नाटकीय वर्णन है जिसमें कविता और गद्य अंशों को बारी-बारी से सुनाया जाता है।

सवा घंटे चले इस नृत्य नाटिका कलांजलि’  में अहिल्या बाई के जीवन के हर पहलु को दिखाया गया। इसकी सूत्रधार और निर्देशन मंजूषा राजस जोहरी ने किया। संगीत संयोजन में विदुषी कल्पना झोकरकर के साथ अभय माणके और अमृता माणके की जोड़ी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  पूरे कार्यक्रम में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका नृत्य की रही। जिसके निर्देशन का जिम्मा रंजना ठाकुर और प्रियंक वैद्य ने उठाया था। उनकी मेहनत मंच पर नजर आई। उनके निर्देशन में मेघा शर्मा जादौन, अनन्या व्यंगंकर, मोनिका देसाई, मनस्वी आप्टे, महक सेठ, हितैषी शरोदे, लविना तिवारी, मुस्कान मुच्छल और डॉ प्रियंका वैद्य ने ऐसा नृत्य पेश किया कि दर्शकों की तालियां नहीं रुक रही थीं। वहीं सिन्थसाइज़र में आर्य पुरणकार , ऑक्टोपेड में विक्रम जोशी और तबले में संगत वेद ढोक  ने दी। तकनीकी सहायक की भूमिका  श्वेता पाठक और स्मिता मुद्रिस ने बखूबी निभाई।