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शुरु हो गया है आषाढ का महीना... भगवान विष्णु, भोलेनाथ और सूर्य की उपासना... जीवन में लाएगा बदलाव

सोमवार, 5 जून से हिन्दी पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ शुरू हो गया है। इस महीने से गुप्त नवरात्रि, देवशयनी एकादशी, गुरु पूर्णिमा जैसे पर्व आते हैं, वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है, वातावरण में बदलाव होता है। इस वजह से आषाढ़ धर्म-कर्म करने के साथ ही जीवन शैली में बदलाव करने का महीना है। ये महीना 3 जुलाई तक रहेगा। इस महीने में विष्णु जी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और सूर्य को अर्घ्य दें।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार आषाढ़ मास में रोज सुबह सूर्य पूजा करने की परंपरा है। सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देने के साथ दिन शुरुआत करनी चाहिए। सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाना चाहिए। ध्यान रखें लोटे से जो जल की धारा गिरती है, उसमें से सूर्य देव के दर्शन करना चाहिए, सूर्य को सीधे देखने से बचना चाहिए।

खान-पान का रखें खास ध्यान
आषाढ़ महीने से वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है। इस कारण खेती से जुड़े काम करने वाले लोगों के लिए इस महीने का बहुत अधिक महत्व है। किसानों इन दिनों में नई फसल के बीज बोने की तैयारी कर शुरू कर देते हैं।

अभी गर्मी के दिन चल रहे हैं और कुछ दिनों के बाद वर्षा ऋतु शुरू हो जाएगी। जब एक ऋतु खत्म होती है और दूसरी ऋतु शुरू होती है, उस समय हमारी पाचन शक्ति पर सीधा असर होता है। इस वजह से इन दिनों में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जीवन शैली में की गई लापरवाही की वजह से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। ऐसी चीजें खाने से बचें, जिन्हें पचाने में दिक्कत होती है। संतुलित आहार लें, फलों का सेवन करें।

भोजन, छाता और कपड़ा करें दान 
आषाढ़ महीने में दान-पुण्य करने की विशेष परंपरा है। इस महीने में भोजन के साथ ही छाते और कपड़ों का दान जरूर करें। बारिश की वजह से कई लोगों का काम बंद हो जाता है, कमाई नहीं हो पाती है, ऐसे में उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अपने आसपास ऐसे लोगों की मदद धन देकर करनी चाहिए।

 

आषाढ़ मास के खास व्रत-पर्व
आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्रि (19 जून से 27 जून तक), देवशयनी एकादशी (29 जून) और गुरु पूर्णिमा (3 जुलाई) जैसे व्रत-पर्व मनाए जाते हैं। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु का चार माह का विश्राम शुरू होता है। इस तिथि के बाद से मांगलिक और शुभ काम के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। अगर कोई शुभ काम करना चाहते हैं तो भड़ली नवमी (27 जून) और देवशयनी एकादशी से पहले कर लेना चाहिए।