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भारत की जीडीपी को बढ़ावा देने कृषि-तकनीक को तेजी से अपनाने का आग्रह

नईदिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीपृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा पीएमओपरमाणु ऊर्जा विभागअंतरिक्ष विभागकार्मिकलोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राजधानी स्थित एनएएससी परिसर में आईसीएआर सोसायटी की 96वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित किया। उन्होंने इस अवसर पर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाकर तथा हितधारकों के बीच बेहतर तालमेल को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन का आह्वान किया।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित उच्च-स्तरीय कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि दुनियाभर में उपलब्ध हर तकनीक अब भारत में भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा, "अब यह बात मायने नहीं रखती कि तकनीक उपलब्ध है या नहीं। मंत्री ने कहा कि अब यह महत्वपूर्ण है कि हम इसे कितनी तेजी से अपनाते हैं और इसे अपनी अर्थव्यवस्था में जोड़ने के लिए कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं।"

मंत्री ने मानसिक और संस्थागत बाधाओं को दूर करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि कृषि मूल्य श्रृंखला में कई लोग न केवल नई तकनीकों से अनजान हैं बल्कि उन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं है कि वे इसके बारे में कुछ नहीं जानते। उन्होंने कहा, "पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कृषि में प्रौद्योगिकी ने तेजी से प्रगति की है। यद्यपि जमीनी स्तर पर इसकी पूरी क्षमता का दोहन होना अभी बाकी है।"

इस अवसर पर डॉ. सिंह ने जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर क्रांति जैसी सफलता की कहानियों की ओर इशारा कियाजहां लैवेंडर की खेती के इर्द-गिर्द 3,500 से ज़्यादा स्टार्टअप उभरे हैं।  डॉ. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे नए जमाने की खेती- सैटेलाइट इमेजिंगरिमोट-कंट्रोल ट्रैक्टर और ऑर्डर-आधारित फसल उत्पादन का इस्तेमाल करके- कृषि कहानी को नया आकार दे रही है। उन्होंने कहा, "भद्रवाह में लैवेंडर से लेकर मंदिर में चढ़ावे के लिए उगाए जाने वाले ऑफ-सीजन ट्यूलिप (फूल) जैसे अनेक उदाहरण हमारे पास हैं, जहां विज्ञान और रणनीति ने मिलकर आय और नवाचार दोनों पैदा किए हैं।"

 

 

 

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