रायपुर| भारतमाला परियोजना के अंतर्गत रायपुर-विशाखापट्नम इकॉनामिक कॉरिडोर में मुआवजा घोटाला सामने आने के बाद भूअर्जन मुआवजा प्रकरणों को लेकर प्राप्त दावा-आपत्तियों व शिकायतों की पूरी जांच रिपोर्ट अभी तक संभागायुक्त के पास नहीं पहुंची है| जबकि रायपुर संभाग के आयुक्त महादेव कावरे ने चारों जांच टीमों को 15 अगस्त तक जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा था| संभागायुक्त के सख्त निर्देश के बाद केवल एक टीम द्वारा ही जांच रिपोर्ट सौंपी गई है| इसे देखते हुए कावरे आज फिर एक बार फिर चारों टीमों को बुलाकर जवाब-तलब करेंगे और जांच रिपोर्ट की वस्तुस्थिति की जानकारी लेंगे|
संभागायुक्त के मुताबिक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने में पहले से ही काफी विलंब हो चुका है| जबकि पूरी जांच रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जा सकेगी. नए सिरे से प्राप्त दावा-आपत्तियों में ज्यादातर प्रभावित किसानों ने अर्जित भूमि का कम मुआवजा मिलने का आरोप लगाया है| ऐसे प्रकरणों में प्रभवित किसान संभागायुक्त के न्यायालय के समक्ष अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकते हैं| वहीं, गड़बड़ी या अनियमितता संबंधी शिकायतों के संबंध में राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया जाना है|
गौरतलब है कि राज्य शासन के निर्देश पर संभागायुक्त द्वारा रायपुर विशाखापट्नम परियोजना के तहत भू-अर्जन मुआवजा घोटाले की जांच की जा रही है| संभागायुक्त ने भारतमाला परियोजना के तहत भू-अर्जन मुआवजा प्रकरणों के संबंध में नए सिरे से दावा-आपत्तियां मंगाई थीं. इनमें डेढ़ सौ से अधिक दावा-आपत्तियां व शिकायतें प्राप्त हुई थीं| दावा-आपत्तियों की जांच के लिए माहभर पहले अपर कलेक्टर ज्योति सिंह, उमाशंकर बंदे, निधि साहू, इंदिरा देवहारी की अध्यक्षता में अलग-अलग चार टीमें बनाकर हफ्तेभर के भीतर रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन अब तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है. बताया गया है कि हफ्तेभर के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंपी जानी थी| जांच रिपोर्ट में देरी को लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं इस मामले में दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं हो रही है|