दिव्य महाराष्ट्र मंडल

24 सौ किमी साइकिलिंग कर रायपुर पहुंचे वरिष्ठजनों का उत्साह प्रेरक

- 3444 किमी कुल दूरी

- 29 दिन

- 6 सदस्य सीनियर सिटीजन

- 8 राज्यों की यात्रा (दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड,  पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र)

- 8 नवंबर से सफर शुरू

- 8 दिसंबर को पुणे में होगा समापन

- 20.3 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से साइकिंग

- दिल्ली से कोलकाता होते हुए रायपुर पहुंचने के सफर को महाराष्ट्र मंडल से किया साझा

रायपुर। नईदिल्ली के इंडिया गेट से 8 नवंबर को शुरू हुए यंग सीनियर्स साइकिलिंग क्लब पुणे के सदस्यों ने रिकार्ड समय में 1,567 किमी की यात्रा करते हुए कोलकाता में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अब यही जोशीले वरिष्ठजनों की टोली 836 किमी का सफर साइकिल से तय करते हुए रायपुर पहुंच गई। महाराष्ट्र मंडल को दिए विशेष भेंट में इनका जोश उत्साह प्रेरणा देता है। दिल्ली-कोलकाता-पुणे की अपनी इस 29 दिवसीय साइकिल यात्रा में यह टीम अपने संकल्प को तय समय में पूरा कर लेगी, यह इन्हें विश्वास है।

चौबे कालोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल में गुरुवार की देर शाम शाल, श्रीफल से सम्मानित वरिष्ठजन 75 वर्षीय मुकुंद चिपलुनकर बताते है कि हर एक सदस्य में साइकिल चलाने को लेकर गजब का जुनून है। ऐसे ही एक बार घर पर अचानक एक मित्र का फोन आया कि अगले महीने साइकिलिंग को लेकर मसूरी में मिलना है। मैंने एक महीने तक साइकिलिंग की, खूब प्रैक्टिस की, पहाड़ी इलाकों में चढ़ाव भरे रास्ते पर साइकिलिंग करना आसान नहीं था, और मेरा अभ्यास भी उसी के अनुरूप था। नतीजा एक महीने के बाद अपने मसूरी साइकिलिंग ग्रुप के साथ मेरी गति और स्टेमना किसी से कम नहीं था।

यंग सीनियर साइकिलिंग क्लब के संजय कट्टी (67) कहते है कि दिल्ली से कोलकाता और कोलकाता से रायपुर तक का सफर अविश्वमरणीय रहा। कहीं भी अनुभव बुरा नहीं रहा। हर जगह लोग आत्मीयता से मिले। बिहार को लेकर मन में शंका थी कि लोगों को पता लगेगा कि हम लोग मराठी है तो पता नहीं उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी। हमारी शंका के विपरीत जब बिहारियों को हम अपने परिचय देते तो वो अधिक अपनेपन से मिलते और बताने लगते कि हमारा भतीजा, बेटा, भजीजी पुणे में है, मुंबई में है, नौकरी करते है.. वगैरह... वगैरह। लोगों के प्यार का इससे बड़ा प्रमाण और क्या मिलेगा कि वे जब हमसे मिलते तो हमारे लिए खाने का सामान टाफियां समेत उपहार भी लाते। हमें निवेदन करना पड़ता कि यह सब हम नहीं ले सकते, क्योंकि आखिरकार इन्हें हमें ही साइकिल पर ढोकर ले जाना पड़ेगा। और इसके लिए अतिरिक्त ऊर्जा लगेगी।

कट्टी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में एक जगह हमारी उम्र और उत्साह को देखते हुए एक व्यक्ति ने जिद की कि हम अपने होटल की बुकिंग कैंसल कर दें और उनके निवास पर रहने का निमंत्रण स्वीकार करें। हमने कहा हमारी दिनचर्या के मुताबिक यह संभव नहीं है। क्योंकि तड़के ही जब आप लोग गहरी नींद में होते है, तब हम स्नान-ध्यान करके अपनी साइकिल पर आगे की यात्रा पर निकल पड़ते है। उन्होंने कहा कि कोलकाता में हमारा अनुभव खास नहीं रहा।

सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शंकर केलकर (65) ने बताया कि बिहार में उनकी साइकिल खराब हो गई और वे एक प्रतिबंधित रास्ते पर प्रवेश कर गए। ट्रैफिक पुलिस के डीएसपी श्रीकांत ने उन्हें आगे जाने से  रोका। और उनकी विस्तृत जानकारी ली। पुणे महाराष्ट्र निवासी होने का पता चलते ही उनकी भाषा भी मराठी हो गई और उन्होंने पूरा सहयोग किया। न केवल अपने सिपाहियों को साथ भेजकर मेरी साइकिल ठीक करवाई, बल्कि जब तक हमारी अगली यात्रा शुरू नहीं हो गई तब तक वे सिपाही हमारे साथ थे।

मोनेश चक्रवर्ती (54) ने अपने साइकिलिंग क्लब में साइकिल चलाने की जुनून को लेकर एक दिलचस्प किस्सा महाराष्ट्र मंडल के पदाधिकारियों-सभासदों से साझा किया। उन्होंने कहा कि उनके एक महत्वपूर्ण सदस्य कर्नल राजेश दत्ता (65) अस्वस्थता की वजह से फिलहाल साथ में नहीं है। उन्हें अचानक दिल्ली से कोलकाता यात्रा के दौरान कोलकाता में वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होना था। एक बार लगा कि वे हमें साथ छोड़कर निकल जाएंगे, लेकिन उन्होंने 22 नवंबर को विमान के माध्यम से कोलकाता में शादी अटैड कि और अगले  ही दिन वो हम साइकिल यात्रियों के साथ थे।

यंग सीनियर साइकिलिंग क्लब के सबसे वरिष्ठ सदस्य 79 वर्षीय एडवोकेट गौतम एस भिंगानिया ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद एक आम नागरिक को कैसी मजेदार जिंदगी जीनी चाहिए। यह बताने के उद्देश्य से निकाली गई हमारी साइकिल यात्रा के बारे में जब लोगों को पता चलता है तो वे आश्चर्यचकित हो जाते है। ऐसे कई अनुभव है जिसमें विभिन्न शहरों के होटलों में जब हम रूम लेने के लिए चर्चा करते हैं तो बात 2 हजार रुपये प्रतिदिन से शुरू होती है और 800 रुपये में आकर रुक जाती है। ऐसे कई होटल है, जहां हमारी उम्र, जोश और यात्रा के उद्देश्य को समझने के बाद यह कहा गया कि आपको जो देना है दे दीजिए।

टीम के सदस्यों ने रायपुर के नवनिर्मित महाराष्ट्र मंडल भवन का अवलोकन किया और सभी ने भवन की काफी प्रशंसा की। महाराष्ट्र सहित देश के सभी मराठी व अन्य समाजों के लिए इस भवन को प्रेरणा तो स्तोत्र बताया। मंडल के अन्य प्रकल्पों, विभिन्न समिति की गतिविधियों और सभी 16 महिला केंद्र के कार्यों की जानकारी मिलने पर उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया और इनके प्रचार-प्रसार पर अधिकाधिक जोर देने का सुझाव दिया। इस सदस्यों ने 10 जनवरी से शुरू होने वाले बृहन्न महाराष्ट्र मंडल के सम्मेलन में शामिल होने का हरसंभव प्रयास करने का वादा भी किया।

यंग सीनियर्स साइकिलिंग क्लब के सदस्यों को महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय मधुकर काले, सचिव चेतन गोविंद दंडवते, प्रमुख समन्वयक श्याम सुंदर खंगन, वरिष्ठ रंगकर्मी रामदास यशवंत जोगळेकर, शशि वरवंडकर, और दीपक पात्रीकर ने सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन दिव्यांग बालिका विकास गृह के प्रभारी प्रसन्न निमोणकर ने किया। इस अवसर पर संत ज्ञानेश्वर स्कूल के प्रभारी परितोष डोनगांवकर, सहसचिव सुकृत गनोदवाले, वरिष्ठ सभासद प्रशांत देशपांडे, रंजन मोड़क, मनीष पिल्लीवार, विनय काले, योगेश शर्मा सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।