दिव्य महाराष्ट्र मंडल

आदि शंकराचार्य जयंती 2023: आठ वर्ष की आयु में सभी वेदों का ज्ञान, 32 वर्ष की आयु में ली थी समाधि

डेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार आदि शंकराचार्य का जन्न 788 ईस्वी में बैसाख शुक्ल पंचमी को दक्षिण भारत के नन्बूदरी ब्राह्मण कुल में हुआ था। इस वर्ष 25 अप्रैल को आदि शंकराचार्य की जयंती मनाई जा रही है। आदि शंकराचार्य को महज 8 वर्ष की छोटी आयु में सभी वेदों का ज्ञान प्राप्त था। आदि शंकराचार्य का जन्म दक्षिण भारत के कालटी नामक गांव में हुआ था। नम्बूदरी ब्राह्राण वंश के लोग आज भी बद्रीनाथ के मंदिर में रावल होते हैं। इसके अलावा ज्योतिषर्मठ के शंकराचार्य की गद्दी पर नम्बूदरी ब्राह्राण ही बैठते हैं। आदि शंकराचार्य बचपन में ही बहुत प्रतिभाशाली थे। 
 
महाराष्ट्र मंडळ के आध्यमिक समिति की प्रमुख आस्था काले बताया कि आदि शंकराचार्य के जन्म के बारे में कई प्रसंग है। जगतगुरु आदि शंकराचार्य ने 32 साल की आयु में हिमालय में समाधि ले ली थी। उन्होंने पूरे भारत की यात्रा करते हुए देश के चारों दिशाओं में चार प्रमुख पीठ को स्थापना की थी। जिसे आज के समय में चार धाम के नाम से जाना जाता है। शंकराचार्य ने जगन्ननाथ पुरी, रामेश्वरम, द्वारिका और बद्रीनाथ धाम की स्थापना की थी। 
 
आस्था काले ने बताया कि आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की जड़ों का को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किया था। आदि शंकराचार्य ने देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक के क्षेत्र में अतुलनीय काम किया था। देश को धार्मिक और आध्यात्मिक एकता के लिए आदि शंकराचार्य ने खास प्रबंध किए थे।
 
आस्था काले ने बताया कि पैराणिक मान्यताओं के अनुसार आज ही के दिन आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित शिव की अनूठी स्तुति का पाठ करने मात्र से भोलेनाथ की कृपा होने लगती है। इस स्तुति को पढ़ने हुए भक्तों द्वारा शिवशंकर को श्रद्धा पूर्वक मानसिक रुप से कल्पना में ही भगवान शिव का विशेष पूजन संपन्न हो जात है।