दिव्य महाराष्ट्र मंडल

महाराष्ट्र मंडल में हुई शिवाजी महाराज की महाआरती, वरिष्ठ साहित्यकार माधव राव सप्रे जयंती मनाई गई

रायपुर। चौबे कॉलोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल में सोमवार को छत्रपति शिवाजी महाराज की महाआरती की गई। इसमें मंडल के आजीवन सदस्यों के अलावा अन्य मराठी भाषी संस्थाओं के पदाधिकारी भी शामिल हुए। तत्पश्चात माधव राव सप्रे की जयंती भी सादगी के साथ मनाई गई। इस मौके पर मुंबई से पधारे भारतीय रिजर्व बैंक के  संचालक मंडल के सदस्य व मुख्य अतिथि सतीश मराठे थे। 
 
बतौर मुख्य वक्ता मंडल के उपाध्यक्ष श्याम सुंदर खंगन ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज अपनी मां जीजाबाई के बेहद करीब थे। उन्होंने रामायण और महाभारत को कई बार पढ़ा- सुना। उससे बहुत सी बातों को सीखा और अपने जीवन में उतारा। शिवाजी महाराज के जन्म के समय भारत देश में मुगल साम्राज्य काफी फैल चुका था। बाबर ने तो भारत में आकर मुग़ल एंपायर ही खड़ा कर दिया था। खंगन ने कहा कि शिवाजी महाराज ने मुगलों के खिलाफ सन 1857 में पहली लड़ाई लड़ी। उस समय उनकी उम्र महज 15 साल थी। पहला युद्ध उन्होंने तोरना किले पर हमला कर जीता था। यह शिवाजी महाराज का पराक्रम ही था कि कुछ समय में ही महाराष्ट्र में मराठा साम्राज्य एक बार फिर स्थापित हो गया। अपने जीवन में शिवाजी महाराज ने एक के बाद एक कई युद्ध जीते। औरंगजेब से जब वे युद्ध में पराजित हुए तो वहां उन्होंने अल्पकालीन समझौता किया। फिर दोबारा खड़े होकर बगावत का बिगुल फूंका और उसे पराजित भी किया। 
 
छत्तीसगढ़ की समृद्ध पत्रकारिता का श्रेय सप्रे को : डाॅ. वर्मा
वरिष्ठजन सेवा समिति की सदस्य व साहित्यकार डाॅ. कमल वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार- पत्रकार माधव राव सप्रे ने यहां पत्रकारिता की जो मजबूत नींव रखी है, उसी का परिणाम है कि आज छत्तीसगढ़ सहित मध्य भारत की पत्रकारिता समृद्धशाली है। सप्रे ने राष्ट्रीय और आंचलिक चेतना को अपनी लेखनी से विकसित किया। जब भारत देश में अंग्रेजों का शासन था, उस समय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सप्रे की लेखनी से प्रेरणा लेते थे।
 
डाॅ. वर्मा ने कहा कि माधव राव सप्रे ने लोक सेवा और लोक कल्याण के लिए अनेक संस्थाओं की स्थापना की। सन 1900 में प्रकाशन के लिए न तो पर्याप्त सुविधाएं थीं, न हीं आधुनिक तकनीक। उस काल में सप्रे ने वामन राव लाखे व राम राव चिंचोलकर के सहयोग से पेंड्रा में मासिक हिंदी समाचार पत्र 'छत्तीसगढ़ मित्र' का संपादन व प्रकाशन शुरू किया। उनकी कहानी 'एक टोकरी मिट्टी' आज भी खूब पढ़ी जाती है। महाराष्ट्र मंडल रायपुर लंबे समय से उनकी स्मृति में सामाजिक व नव जागरण कार्य में उल्लेखनीय कार्य करने वाले पत्रकार को माधव राव सप्रे पुरस्कार से सम्मानित करता रहा है। 
 
इस अवसर पर मंडल अध्यक्ष अजय काले, उपाध्यक्ष श्याम सुंदर खंगन, सचिव चेतन दंडवते, दिव्यांग बालिका गृह की प्रभारी आस्था काले, महिला प्रमुख विशाखा तोपखानेवाले, युवा समिति के प्रभारी विनोद राखुंडे, स्वावलंबन समिति की प्रभारी शताब्दी पांडे, कला संस्कृति समिति की प्रभारी प्रिया क्षीरसागर, गौरी क्षीरसागर, पर्यटन समिति के प्रभारी अभय भागवतकर, स्वास्थ्य सेवा समिति के प्रभारी अरविंद जोशी, महाराष्ट्र नाट्य मंडल के निर्देशक अनिल कालेले, अपर्णा कालेले, वरिष्ठ सदस्य दीपक पात्रीकर, दिव्या पात्रीकर, डाॅ. कमल वर्मा, कार्यकारिणी सदस्य दीपक किरवईवाले, भगीरथ कालेले, परितोष डोनगांवकर, नमिता शेष, अपर्णा देशमुख,  रेणुका पुराणिक, डाॅ. अंजलि वैद्य सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।