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'आदिपुरुष' को लेकर भड़के 'राम'... कहा, आस्था के साथ नहीं होना चाहिए खिलवाड़... आधुनिकता के अंश नहीं श्रीराम और हुनमान

फिल्म आदिपुरुष 16 जून को बड़े पर्दे पर रिलीज हुई और उसके बाद से लगातार आलोचना की जा रही है. किसी को रावण का लुक पसंद नहीं आया तो किसी को हनुमान जी की भाषा टपोरियों जैसी लगी। वहीं कुछ लोग रामायण के सीन्स को गलत तरह से दिखाने का आरोप लगा रहे हैं।

आदिपुरुष को लेकर अब रामानंद सागर की रामायण में राम का किरदार अदा करने वाले अरुण गोविल ने भी अपनी राय पेश की है। उन्होंने कहा कि दर्शकों ने अपनी बात कह दी है... रामायण भारतीय संस्कृति की धरोहर है और अब उसे लेकर (फिल्म को) जिस तरह से बातें की जा रही हैं, उसे जानकर काफी ठेस लगी है, रामायण की मूल भावना और स्वरूप को इस तरह से बदलने की जरूरत नहीं थी।

आस्था और भरोसा है रामायण
अरुण गोविल के मुताबिक रामायण हमारे लिए एक आस्था और भरोसे का विषय है और उसके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की जाए, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है। रामायण को लेकर आधुनिकता या पौराणिकता की बात कहना गलत है, फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स और प्रेजेंटेशन की बात अलग है, लेकिन किरदार को सही तरीके से पेश करना जरूरी है हालांकि उसे लेकर जो बातें कहीं जा रही है, वो चिंता की बात है।

अरुण ने आगे कहा कि राम-सीता-हनुमान को आधुनिकता और पौराणिकता के ढांचे में बांटना गलत है... ये सभी आदि भी हैं, अनंत हैं और इन सबके स्वरूप पहले से तय हैं तो उसी स्वरूप को फिल्म में दिखाने में क्या आपत्ति थी? अरुण ने कहा कि आदिपुरुष में रामायण की कहानी को पेश करने से पहले मेकर्स को सोचना था कि वो किस तरह से लोगों की आस्था के विषय से जुड़ी रामायण को पेश करने जा रहे हैं।

 

मूल भावना से हटने की जरुरत नहीं थी
बता दें कि फिल्म के डायलॉग्स का भी दर्शक काफी विरोध कर रहे हैं। इस बारे में बात करते हुए अरुण ने कहा कि इस तरह की भाषा अच्छी नहीं लगती और मैं हमेशा मर्यादित भाषा का इस्तेमाल करता हूं। ऐसे में रामायण में इस तरह की भाषा का मैं समर्थन नहीं करता हूं... फिर वही बात सामने आती है कि आप रामायण की मूल भावना से हटने की क्या जरूरत थी?