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समुद्रों में बिछाए गए दूरसंचार केबलों की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार निकाय का गठन किया गया

सचिव (दूरसंचार) डॉ. नीरज मित्तल 40-सदस्यीय अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार निकाय में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे | 

सलाहकार निकाय अंतर्राष्ट्रीय नीतियों, बुनियादी ढांचे और समुद्री केबलों की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के लिए सर्वोत्तम विधियों पर परामर्श करने के लिए वर्ष में दो बार बैठक करेगा | 

आनलॉइन उद्घाटन बैठक 12 दिसंबर 2024 के लिए निर्धारित है, इसके बाद फरवरी 2025 में अबुजा, नाइजीरिया में समुद्री केबल प्रतिरोधक क्षमता शिखर सम्मेलन होगा | 

नई दिल्ली | समुद्रों में बिछाए गए दूरसंचार केबल वैश्विक संचार की रीढ़ हैं, जो इंटरनेट संबंधी 99 प्रतिशत गतिविधियों को सक्षम बनाते हैं और वाणिज्य, वित्त, सरकारी संचालन, डिजिटल स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में मदद करते हैं। हालाँकि, इन केबल के क्षतिग्रस्त होने का खतरा अधिक हैं और हर साल वैश्विक स्तर पर इनमें अनुमानित 150-200 (फाल्‍ट) कमियां देखी गई है। मछली पकड़ने, लंगर डालने, प्राकृतिक खतरों और उपकरणों की विफलता सहित कई कारकों से इन्‍हें काफी नुकसान होता है।

बढ़ती चुनौतियों से निपटने और इस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की प्रतिरोधक क्षमता लगातार सुनिश्चित करने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) और अंतर्राष्ट्रीय केबल संरक्षण समिति (आईसीपीसी) ने संयुक्त रूप से समुद्री केबल प्रतिरोधक क्षमता के लिए अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार निकाय की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य समुद्री केबलों की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना है, जो वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक हैं।

नवगठित अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार निकाय केबल की प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने, नुकसान  के जोखिम को कम करने और इन महत्वपूर्ण प्रणालियों की त्वरित मरम्मत और इन्‍हें बिछाने को सुनिश्चित करने के लिए सदस्‍य देशों और उद्योगों में सर्वोत्तम विधियों को बढ़ावा देने की दिशा में काम करेगा। सलाहकार निकाय बढ़ते यातायात, पुराने बुनियादी ढांचे और समुद्री केबलों के लिए बढ़ते पर्यावरणीय खतरों से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिए नीतिगत मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा।

विश्‍व के 40 सदस्य देशों से मिलकर बने इस निकाय में मंत्री, विनियामक प्राधिकरणों के प्रमुख और दूरसंचार के वरिष्ठ विशेषज्ञ शामिल हैं जो एक विविध वैश्विक परिप्रेक्ष्य को दर्शाता है। इस निकाय के सदस्‍यों में छोटे द्वीप राष्ट्रों से लेकर बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश शामिल है। निकाय का सामूहिक अनुभव उन लोगों की आजीविका को पूरा करने में मदद करेगा जो इस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को स्‍थापित करने, रखरखाव और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं।

टाटा कम्युनिकेशंस, जिसके पास मुंबई, चेन्नई और कोचीन में पांच केबल लैंडिंग स्टेशन हैं।

ग्लोबल क्लाउड एक्सचेंज (पूर्व में रिलायंस ग्लोबलकॉम), जिसके मुंबई और त्रिवेंद्रम में स्टेशन हैं।

रिलायंस जियो, चेन्नई और मुंबई में केबल लैंडिंग स्टेशन और नई परियोजनाएं चल रही हैं।

भारती एयरटेल, चेन्नई और मुंबई में स्टेशन संचालित कर रही है, तथा 2अफ्रीकी/ईएमआईसी-1 और एसईए-एमई डब्ल्यूई 6 केबल भी बिछा रही है।

सिफी टेक्नोलॉजीज और बीएसएनएल दोनों विभिन्न प्रकार के केबल लैंडिंग स्टेशनों के संचालन में शामिल हैं।

वोडाफोन और आईओएक्स की, आईओएक्स पुडुचेरी में एक नया केबल लैंडिंग स्टेशन बनाने की योजना है।

आईसीपीसी के बारे में

1958 में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय केबल सुरक्षा समिति (आईसीपीसी) समुद्री केबल उद्योग में शामिल देशों और वाणिज्यिक संस्थाओं के लिए एक वैश्विक मंच है। इसका प्राथमिक उद्देश्‍य तकनीकी, कानूनी और पर्यावरणीय संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान करके समुद्री केबल की सुरक्षा को बढ़ाना है।

डिजाइन से लेकर इन्‍हें बिछाने तक, एक समुद्री केबल को चालू होने में दो साल से ज़्यादा का समय लग सकता है। यह समयसीमा कई कारकों से प्रभावित होती है, जिसमें धनराशि आबंटन, अनुमति और विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करना और पर्यावरण तथा परिचालन आवश्यकताओं से जुड़े विषय शामिल है।

वर्ष 2023 में, दुनिया भर में 200 से ज़्यादा केबल केबल की मरम्मत की रिपोर्ट की गई, जो इस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की कमज़ोरियों को उजागर करती है। समुद्री केबल प्रणाली में किसी भी गड़बड़ी के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जिसमें आर्थिक अस्थिरता, सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और लाखों लोगों के लिए इंटरनेट पहुंच संबंधी व्यवधान शामिल हैं।

 

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