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भारत-फ्रांस व्यापार शिखर सम्मेलन में बोले केंद्रीय मंत्री... भारत वस्तुओं और सेवाओं के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक

नईदिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण एवं वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने कल फ्रांस के पेरिस में भारत-फ्रांस व्यापार शिखर सम्मेलन और सीईओ गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में अवसरों का एक बड़ा क्षेत्र है।
 
उन्होंने कहा कि भारत वस्तुओं और सेवाओं के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक हैं। वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो रही है और हम इस विकास पथ को जारी रखने की आशा भी रखते हैं। उन्होंने कहा कि हम 2030 तक वस्तुओं और सेवाओं के क्षेत्र में निर्यात को 765 बिलियन डॉलर से 2 ट्रिलियन डॉलर तक तीन गुना तक करने की उम्मीद करते हैं।

फ्रांस के पेरिस में भारतीय दूतावास ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), मौवेमेंट डेस एंट्रेप्रिसेस डी फ्रांस (एमईडीईएफ) और इंडो फ्रेंच चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (आईएफसीसीआई) के सहयोग से भारत-फ्रांस व्यापार शिखर और सीईओ गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया।
 
फ्रांस के विदेश व्यापार प्रतिनिधि, आर्थिक आकर्षण और विदेशों में फ्रांसीसी नागरिकों के मंत्री श्री ओलिवियर बेख्त ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों को बढ़ावा देंगे। उन्होंने कहा कि विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश होने के नाते भारत में कई विनिर्माण गतिविधियों को आकर्षित करने की क्षमता है, पहले से ही, कई फ्रांसीसी कंपनियां भारत में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं और भविष्य में भी सहयोग के लिए अपार संभावनाएं हैं।
 
सीआईआई के उपाध्यक्ष और आईटीसी लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री संजीव पुरी ने अपने विचार व्यकत करते हुए कहा कि फ्रांस में सीआईआई के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति भारत द्वारा फ्रांस के साथ स्थापित महत्वपूर्ण संबंधों के महत्व को रेखांकित करती है।
 
सीआईआई महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी ने उल्लेख किया कि भारत और फ्रांस नवाचार, वित्तीय समावेशन, व्यवसायों में ईएसजी और अफ्रीका के प्रति वैश्विक जुड़ाव को और मज़बूत बनाने जैसे क्षेत्रों में सहयोगात्मक संबंधों के लिए प्रतिबद्ध हैं।
 
'हरित भविष्य का निर्माण'; महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां: नवीन रणनीतिक फ्रंटियर; 'रक्षा सहयोग: आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से एक साझा भविष्य सुरक्षित करना' और फ्रांस और भारत: यूरोप और भारत-प्रशांत के लिए स्प्रिंगबोर्ड जैसे विषयों पर सत्रों का आयोजन किया गया।
 
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