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मां के इलाज के लिए किडनी बेचने निकल पड़ा नाबालिग बेटा... पिता का सिर पर नहीं साया... डॉ. ने मदद का दिलाया भरोसा

रांची। गरीबी इंसान को कितना मजबूर बना देती है। खेलने—कूदने की उम्र में बच्चे को मजदूरी करना पड़ जाए और बीमार मां के लिए बेटे को अपनी किडनी का सौदा करने के लिए निकलना पड़ जाए, तो इससे बड़ा संताप क्या हो सकता है। यह हकीकत बिहार के गया जिले के एक नाबालिग की है, जिसके सिर पर पिता का साया नहीं है, तो मां बुरी तरह बीमार है। ऐसे में उसके इलाज के लिए जब पैसों की जरुरत पड़ी, तो इस किशोर बेटे ने अपनी जिंदगी दांव पर लगाने की सोच ली, ताकि वह अपनी मां का इलाज करा सके। 

छोटी उम्र में ही पिता दुनिया छोड़कर चले गए। किसी तरह मां अपने बेटे की परवरिश कर रही थी, लेकिन अब वह भी बीमारी की वजह से बिस्तर पकड़ चुकी है। ऐसे में घर में कमाने वाला कोई इंसान नहीं है, इस वजह से इस किशोर बेटे ने अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर अपनी मां के उपचार के लिए पैसे जुटाने अपनी किडनी बेचने निकल पड़ा और वह रांची के एक निजी अस्पताल में ग्राहक तलाशने लगा। 

मिल गया भला इंसान
मां को लगातार मेहनत करते देख उसके किशोर बेटे का दिल भर आया, तो उसने भी काम करना शुरु कर दिया। रांची के एक होटल में किशोर हिमांशु को काम ​मिल गया, इससे मां को सहयोग मिलने लगा, लेकिन उसकी पढ़ाई छूट गई, जिसकी वजह से उसे सरकारी अस्पताल की भी जानकारी नहीं थी, तो वह निजी अस्पताल में अपनी किडनी बेचने के लिए पहुंच गया था। यहां पर उसे ग्राहक तो नहीं मिला, लेकिन एक भला इंसान मिल गया, जिसने उसकी मदद की और रिम्स के डॉ. विकास से उसकी मुलाकात करा दी। 

मुफ्त में होगा इलाज
डॉ. विकास न्यूरो सर्जरी विभाग में हैं। दिपांशु से मिलने के बाद और उसकी दु:ख भरी हकीकत को जानने के बाद डॉ. विकास ने दिपांशु की मुश्किल भरी राह को आसान कर दिया है। डॉ. विकास ने उसे विश्वास दिलाया कि वह अपनी मां को रिम्स लेकर आए, यहां पर उनकी मां का पूरा इलाज मुफ्त में किया जाएगा। इसके लिए उसे अपनी किडनी बेचने की जरुरत नहीं है। साथ ही उसे बताया गया कि यह एक कानूनन अपराध है, लिहाजा दोबारा अपने शरीर का कोई भी अंग बेचने की ना सोचे।

 

दिपांशु को मिली राहत

रिम्स के डॉ. विकास ने जब दिपांशु को मुफ्त में उसकी मां का इलाज कराने का भरोसा दिलाया, तब जाकर इस बच्चे ने राहत की सांस ली है। दुनिया में उसका, उसकी मां के सिवाय कोई भी नहीं है और वह पिता की तरह अपनी मां को नहीं खोना चाहता।   

 

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