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देश का ऐसा शहर... जहां हर दिन होती है 5 हजार किलो काजू—बादाम की खपत... वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप

ड्राई फ्रूट, जो हर किसी परिवार के पहुंच के बाहर होता है कि वह रोजाना इसका सेवन करें। महंगे होने के कारण गरीब इसे नहीं खरीदते हैं। लेकिन उदयपुर की बात करे तो यहां के लोग 5000 किलो काजू और बादाम रोजाना खा रहे हैं। यह बात दिलचस्प भी है और चौंकाने वाली भी। पहले यह आंकड़ा मात्र 2-3 हजार किलो के बीच था लेकिन अब बढ़कर अब 5 हजार किलो हो गया है और यह आंकड़ा हफ्ते का नहीं प्रतिदिन का है। व्यापारी खुद इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि उदयपुर में रोजाना इतनी ही औसत काजू-बादाम का उठाव हो रहा है। व्यापारी तो इसके पीछे कारण भी बता रहे हैं जो लोगों ने खुद उन्हें बताए हैं।

क्या है वजह?
ड्राय फ्रूट और किरण एसोसिएशन उदयपुर के अध्यक्ष अनिल मेहता ने बताया कि हां, उदयपुर में औसत रोजाना 5 हजार किलो काजू-बादाम की खपत हो रही है। यह खपत दो साल पहले 2-3 हजार किलो हुआ करती थी जो बढ़ गई है। उन्होंने यह भी बताया कि अब हर वर्ग के परिवार काजू-बादाम की खरीदारी कर रहे है। यहां तक की शहर के आसपास के किसान भी लेकर जा रहे हैं। इसके कारण की बात करते हुए उन्होंने बताया कि अब लोग हैल्थ के प्रति जागरूक हो गए हैं। चूंकि, ड्राई फ्रूट इम्युनिटी बढ़ाता है और इम्युनिटी की जरूरत हमें कोरोना काल में पड़ी थी। वहीं आंकड़े कोरोना काल के पहले आधी खपत के थे जो कोरोना के बाद बढ़ चुके हैं। यहीं नहीं, पहले तो मुख्य व्यापारी ही अपनी दुकान में काजू-बादाम रखा करते थे लेकिन अब छोटे व्यापारी भी स्टॉक ले जा रहे हैं। 

 

क्या है रेट?
अनिल मेहता ने बताया कि उदयपुर में ड्राइफ्रूट्स की आपूर्ति भारत के अलावा विदेश से भी हो रही है। जैसे काजू साउथ अफ्रीका और साउथ इंडिया, बादाम इरान, अंजीर, मुनक्का अफगानिस्तान, पिछोरी पिस्ता और चिलगोजा पाकिस्तान, अखरोट चिल्ली अमरीका से आ रहे हैं। इसके अलावा भी अलग-अलग वेरायटी की अलग-अलग जगह से आती है। उन्होंने बताया कि काजू-बादाम में कई वैरायटी आती है लेकिन मुख्य जो चलन में है उनमे काजू तुड़के 550-600 रुपए किलो और साबूत 700-1800 रुपए किलो है, वहीं बादाम 700-1000 रुपए किलो। मामरा बादाम तो 2200 से 5000 रुपए किलो तक आती है।  

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