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प्रशासनिक अधिकारियों को जीवन भर विद्यार्थी बने रहना चाहिए: राज्यपाल

भोपाल। निरंतर सीखते रहना ही जीवन का आधार है। प्रशासनिक अधिकारियों को जीवन भर विद्यार्थी बने रहना चाहिए। छोटे-बड़े सभी के अनुभवों से जीवन की बड़ी सीख मिल सकती है। प्रशासनिक सेवा जन-सेवक के रूप में कार्य करना है। इस भाव, भावना के साथ कार्य करने में ही अधिकारी की सफलता है। उक्त बातें मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने राजभवन में वर्ष-2022 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों के साथ चर्चा के दौरान कहीं।

राज्यपाल ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी को परिवेश के संबंध में निरंतर जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। नवाचार, उत्कृष्ट और अनुकरणीय कार्यों के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए। उन्होंने जनजातीय समाज में प्रचलित परंपरा हलमा का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी एक गांव में तालाब बनाने के लिए आस-पास के गाँव के सभी ग्रामीण घर से खाना और गैती लेकर आते हैं। श्रमदान से तालाब का निर्माण कर देते हैं। एक अन्य प्रसंग का उल्लेख करते हुए गाँव को पॉलिथीन मुक्त बनाने की जनजाति युवाओं की पहल के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि देश और समाज के विकास के प्रति समर्पण की यह सोच प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के दूरस्थ और पिछड़े इलाकों और समुदायों के विकास के प्रयासों को गति देने के लक्ष्य के साथ कार्य करें।

राज्यपाल ने कहा कि उपस्थित अधिकारी आजादी के अमृत काल के सिविल सेवकों की अमृत पीढ़ी का नेतृत्व करेंगे, जो वर्ष 2047 के वरिष्ठतम निर्णयकर्ताओं में शामिल होगी। उस समय के भारत को अधिक समृद्ध, सुदृढ़ और खुशहाल बनाने के लिए उन्हें अपना काम आधुनिक, सेवा-भावी सोच और वंचितों के जीवन में परिवर्तन लाने में गर्व के अनुभव के साथ करना होगा। साथ ही उन सभी लोगों के प्रति संवेदनशील रहना होगा, जिनकी सेवा करने के लिए कर्त्तव्यबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी कल्याणकारी पहल को वास्तव में तभी सफल माना जा सकता है, जब उसका लाभ गरीब, वंचित और समाज के सबसे निचले तबके के अन्य लोगों तक पहुँचे।

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