कांकेर। नक्सलवाद से जूझ रहे उत्तर बस्तर में सुरक्षा बलों को अब तक की सबसे बड़ी सफलता मिली है। कांकेर पुलिस और बीएसएफ के संयुक्त प्रयास से 62 लाख के इनामी कुल 13 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है, जिनमें 5 महिला नक्सली भी शामिल हैं। यह सरेंडर अभियान उत्तर बस्तर में नक्सल नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है।
सरेंडर करने वालों में दिग्गज नक्सली कमांडर मैनू नेगी और कंपनी कमांडर मंगलू उर्फ रूपेश कोमरा जैसे नाम शामिल हैं। मैनू नेगी पर 26 जवानों की हत्या, जबकि मंगलू पर 7 जवानों की हत्या का आरोप है। मैनू पर 8 लाख और मंगलू पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
अन्य सरेंडर करने वाले नक्सलियों में नरेश दुग्गा, कारु वेढ़दा, माड़वी सोनमती, शीला पुड़ो, सरोदा उसेंडी, मानुराम, सुकारो नूरेटी, सोमारी उर्फ कविता, राजू, पवन पड़दा और असनू राम शामिल हैं। ये सभी रावघाट एरिया कमेटी, परतापुर एरिया कमेटी और माड़ डिविजन में सक्रिय थे और लंबे समय से सुरक्षा बलों के निशाने पर थे।
जवानों के आत्मसमर्पण पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बंदूकें अब ख़ामोश हो रही हैं और बीजापुर बदलाव की राह पर है। बीजापुर जिले में ₹1 करोड़ 15 लाख के 23 इनामी समेत 25 हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।यह बदलाव कोई संयोग नहीं, बल्कि हमारी सरकार की “आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और जनकल्याणकारी योजनाओं की व्यापक स्वीकार्यता का प्रमाण है। ‘नियद नेल्लानार योजना’ जैसी पहलों ने आदिवासी अंचलों में विश्वास की नींव रखी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में मार्च 2026 तक नक्सलवाद का समूल उन्मूलन निश्चित है।हम आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास एवं समाज में सम्मानजनक जीवन देने का हर प्रयास सुनिश्चित करेंगे।