छत्तीसगढ़

हसदेव घाटी की पुरातात्त्विक संपदा नामक शोधपुस्तिका का विमोचन

कोरबा। जिला पुरातत्त्व संग्रहालय कोरबा के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्री के शोधों पर आधारित हसदेव घाटी की पुरातात्त्विक संपदा नामक शोधपुस्तिका का विमोचन किया गया। पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर शोध संस्थान उज्जैन के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान देश के प्रतिष्ठित पुरातत्वविद एवं जानकार उपस्थित थे।

कोरबा जिले की पुरातात्विक संपदा को उद्धृत करने वाले इस प्रथम शोध ग्रंथ में जिले के 14 गांव के 16 से अधिक शैलाश्रयों का वर्णन है। जिसे हरि सिंह क्षत्री ने गत तीन दशकों में खोजे हैं । संस्कार भारती छत्तीसगढ़ के प्रांतीय प्राचीन कला विधा संयोजक हरि सिंह क्षत्री द्वारा खोजे गए पुरातात्विक महत्व के स्थलों को देखने के लिए गत वर्ष दो बार संस्कार भारती पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत के पुरातत्वविद एवं विश्लेषक कोरबा प्रवास पर आए थे। उन्होंने कई दिनों तक हरि सिंह के साथ उन स्थलों का भ्रमण कर प्रमाणित किया कि इनका पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक महत्व है । इस दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक एवं प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता केके मोहम्मद ने भी वीडियो कॉल के माध्यम से इन स्थलों का निरीक्षण किया था।

प्रकाशित शोध पुस्तक में के के मोहम्मद ने इस संबंध में अपने विचार भी व्यक्त किए हैं। सभी पुरातत्व विशेषज्ञों ने हरि सिंह की खोजों को पुस्तक के माध्यम से संरक्षित करने की महती आवश्यकता प्रतिपादित की और उनके सहयोग से यह प्रथम पुस्तक प्रकाशित हुई। हरि सिंह क्षत्री दूसरी पीढ़ी के पुरातत्वविद हैं, आपके पिताजी छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक नगरी मल्हार के प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता थे। इस अवसर पर उज्जैन में हुए कार्यक्रम के दौरान हरि सिंह क्षत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि कोरबा में बहुत सारे पुरातात्विक महत्व के स्थान हैं जिनमें से तो कुछ तो एएसआई के संरक्षण में आ गए हैं परंतु अन्य और भी हैं जिन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आना शेष है।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से इस पुस्तक की लेखिका विनिता देशपाण्डे पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत सहसंयोजक संस्कार भारती, डा. दिलीप वाकणकर वाकणकर शोध संस्थान उज्जैन, डा. रामचंद्र ठाकुर  निदेशक अश्विनी शोध संस्थान महीदपुर, रमण सोलंकी संग्रहाध्यक्ष विक्रम विश्वविद्यालय, प्रशांत पुराणिक कुलसचिव विक्रम विश्व विद्यालय, डा. नारायण व्यास पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद, डा. विजय साठे अंतर्राष्ट्रीय जीवाश्म वैज्ञानिक, डा. प्रसाद जोशी कुलसचिव डेक्कन कालेज, डा श्रीनंद बापट रजिस्टार भंडारकर रिसर्च इंस्टीट्यूट सहित पुरातत्व में रुचि रखने वाले अनेक लोग उपस्थित थे ।