सुमधुर भक्ति व भाव गीतों से दिवाली पहाट बनी यादगार
2024-11-04 11:16 AM
319
0- महाराष्ट्र मंडल के परंपरागत आयोजन में बड़ी संख्या में जुटे भक्तिसंगीत प्रेमी दर्शक
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल में दीपावली पहाट पर एक से बढ़कर एक भक्ति व भाव गीतों की यादगार प्रस्तुतियां हुईं। इसे सुनने के लिए सुबह 6:30 बजे स्नान- ध्यान करके बड़ी संख्या में संगीत रसिक पहुंचे। गुरुजी कहे जाने वाले चंद्रशेखर सुरावधनीवार की गणपति वंदना से शुरू हुआ यह कार्यक्रम दो घंटे तक संगीत प्रेमियों को भक्ति रस में सराबोर रखा।
चंद्रशेखर सरावधनीवार की प्रारंभिक प्रस्तुति 'सुर निरागस हो' से कार्यक्रम ने गुणवत्ता के उच्च स्तर को प्राप्त कर लिया था। इसे दीप गुंडेगांवकर ने 'सुखाचे जे सुख', सोमेंद्र फड़के ने अबीर गुलाल' चैतन्य जोगलेकर ने 'हे सुरा नो' जैसे भाव गीतों से नई ऊंचाई प्रदान की। कुछ विलंब से शुरू हुए इस कार्यक्रम में सुरावधनीवार की दूसरी प्रस्तुति 'आम्हा न कळे' से भाव विभोर हुए लोग बढ़ती गर्मी व उमस को लगभग भूल चुके थे।
वैशाली जोशी ने 'केंव्हा तरी पहाटे' गाकर श्रद्धालु दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। सुप्रसिद्ध मराठी फिल्म कटियाळ काळजात घुसली (कटार हृदय में घुस गई) के मराठी गजल के हिंदी वर्जन 'दिल की तपिश.....' को दो संगीत गुरु चैतन्य जोगलेकर व सोमेंद्र फड़के ने अभूतपूर्व ढंग से गाकर कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया। 'सांवरिया सुंदर रूप' में दीप गुंडेवारकर की प्रस्तुति सुनने लायक रही।
इसी तरह एक से एक लयबद्ध- संगीतबद्ध प्रस्तुतियों के बाद सुरावधनीवार ने भैरवी 'स्वामी कृपा' गाकर कार्यक्रम के अंतिम चरण की ओर कदम बढ़ाए। अंतिम प्रस्तुति लोकप्रिय भैरवी 'चिन्मय सकाळ' पर चिन्मय व सोमेंद्र की जुगलबंदी को मंचस्थ सभी गायकों का जोशीला साथ मिला। गैर मराठी भाषी सुमीता खरे रायजादा ने मराठी में मंच का खूबसूरती से संचालन किया। तबले पर अशोक कुर्म और सिंथेसाइजर पर सत्यनारायण मुद्लीयार के साथ ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
आयोजन के मुख्य अतिथि सीएस पिल्लीवार और विशेष अतिथि बृहन्न महाराष्ट्र मंडल के छत्तीसगढ़ प्रभारी सुबोध टोले रहे। परितोष डोनगांवकर और नवीन देशमुख के समन्वयन में आयोजित दिवाली पहाट के प्रभारी प्रेम उपवंशी रहे। आभार प्रदर्शन सचिव चेतन गोविंद दंडवते ने किया। सभी गायकों एवं वादकों का सूत माला शाल- श्रीफल और स्मृति चिन्ह से सम्मान किया गया।