महाराष्ट्र मंडल ने नेताजी सुभाष चंद्र जयंती को मनाया पराक्रम दिवस के रूप में
2025-01-23 09:55 PM
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0- नेताजी का ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ नारा राष्ट्रीय नारा बन गया: पात्रीकर
रायपुर। महाराष्ट्र मंडल में नेताजी सुभाष चंद्र जयंती की 129वीं जयंती पराक्रम दिवस के रूप में सादगीपूर्ण मनाई गई। मंडल अध्यक्ष अजय मधुकर काले, सचिव चेतन गोविंद दंडवते, वरिष्ठ सभासद अनिल श्रीराम कालेले, दीपक पात्रीकर, संत ज्ञानेश्वर स्कूल के प्रभारी परितोष डोनगांवकर ने नेताजी की तस्वीर पर गुलाल तिलक लगाकर माला पहनाई। इस मौके पर भारत देश की आजादी में नेताजी के आंदोलन का स्मरण किया गया।
मुख्य वक्ता प्रा. अनिल कालेले ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस एक महान भारतीय राष्ट्रवादी थे। उनकी भागीदारी सविनय अवज्ञा आंदोलन से हुई। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। सन् 1939 में वे पार्टी के अध्यक्ष भी बने। हालांकि, यह तात्कालिक ही था क्योंकि उन्होंने यह पद छोड़ दिया था। अंग्रेज़ों ने नेताजी को नज़रबंद कर दिया था, क्योंकि वे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध थे।
वरिष्ठ सभासद दीपक पात्रीकर ने इस मौके पर कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा पास की थी। इसमें उन्हें चौथा रैंक प्राप्त हुआ था, लेकिन उन्होंने अंग्रेजों से मुल्क की आजादी के लिए इस पद की बलि चढ़ा दी। देश की आजादी के लिए सुभाष चंद्र बोस ने साल 1943 में सिंगापुर में आजाद हिंद फौज सरकार की स्थापना की। इसे नौ देशों की सरकारों ने मान्यता दी थी, जिसमें जर्मनी, जापान और फिलीपींस शामिल थे।
पात्रीकर ने बताया कि सुभाषचंद्र बोस ने 'आजाद हिंद फौज' नाम से रेडियो स्टेशन भी शुरू किया था। उन्होंने पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया था। नेताजी अपनी फौज के साथ 1944 में म्यांमार (पूर्व में बर्मा) पहुंचे थे। यहीं पर उन्होंने 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा लगाया था, जो बाद में राष्ट्रीय नारा बन गया। मंडल अध्यक्ष अजय काले ने कहा कि वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में नेताजी से जुड़े सौ गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक कर दिया गया। इसका डिजिटल संस्करण राष्ट्रीय अभिलेखागार में मौजूद है। वर्ष 2021 में सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी। तब से महाराष्ट्र मंडल भी नेताजी की जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है। कार्यक्रम के अंत में सचेतक रवींद्र ठेंगड़ी ने आभार व्यक्त किया।