दिव्य महाराष्ट्र मंडल

स्वच्छ छवि और सादगीपूर्ण जीवन के पर्याय थे शास्त्री

रायपुर। भारतीय राजनीति में साफ-सुथरी छवि और सादगीपूर्ण जीवन के पर्याय माने जाते हैं लाल बहादुर शास्त्री। आजादी से पहले शास्त्री जी स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर जितनी सक्रिय और संवेदनशील थे, आजादी के बाद भी उनकी जीवनशैली बिल्कुल वैसी ही रही। इस आशय के विचार महाराष्ट्र मंडल के वरिष्ठ सदस्य और महाराष्ट्र नाट्य मंडल के निर्देशक अनिल कालेले ने कही। महाराष्ट्र मंडल में बुधवार की शाम पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि मनाई गई।

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इस अवसर पर कालेले ने कहा कि  भारत देश के स्वतंत्रता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री के संघर्ष और सहयोग को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने देश की आजादी के लिए नौ बार जेल की यात्रा की और अपने सत्य और साफगोई की राह पर हमेशा डटे रहे। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद जब उन्हें नौ जून 1964 को प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला, तो उन्होंने भारत देश में हरित व श्वेत क्रांति का दौर शुरू किया। इस बीच पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में उन्होंने पाकिस्तान को करारी शिकस्त देने में अहम नीतिगत भूमिका निभाई।

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अध्यक्ष अजय काले ने कहा कि पाकिस्तान के साथ युद्धविराम की घोषण के लिए 11 जनवरी 1966 को ताशकंद पहुंचे लाल बहादुर शास्त्री की वहीं रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई। शास्त्री जी इतने भावुक थे कि एक रेल हादसे के बाद वे इतने व्यथित हुए कि  अपने रेल मंत्री के पद से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया और दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार की।

इस अवसर पर महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय काले, उपाध्यक्ष श्याम सुंदर खंगन, सचिव चेतन दंडवते, सचेतक रविंद्र ठेंगड़ी, मेस प्रभारी दीपक किरवईवाले, स्वास्थ्य सेवा प्रभारी अरविंद जोशी, पर्यावरण समिति के प्रभारी अभय भागवतकर, सह प्रभारी वैभव बर्वे सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे।