दिव्य महाराष्ट्र मंडल

महाराष्ट्र मंडल के अनिल कालेले, चेतन दंडवते, मोहन पवार और एसएस ब्राह्रणकर को राज्यपाल ने किया सम्मानित

- राजभवन में आयोजित गरिमामय समारोह में मंडल अध्यक्ष ने गिनाई उपलब्धियां
 - गर्वनर विश्वभूषण हरिचंदन ने भी महाराष्ट्र मंडल के सेवाभावी कार्यों को सराहा
रायपुर। राजभवन में शुक्रवार को आयोजित भव्य ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पांच राज्यों महाराष्ट्र, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गोवा के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर रहे निर्देशक अनिल श्रीराम कालेले, सचिव चेतन गोविंद दंडवते सहित मराठा समाज के मोहन पवार और कुनबी समाज के एसएस ब्राह्णणकर को राज्यपाल ने सम्मानित किया। इसी तरह अन्य राज्यों के सेवा भावी और वरिष्ठ प्रतिनिधि भी सम्मानित किए गए। 

कार्यक्रम में पांचों राज्यों की संस्कृति की राजधानी के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों ने गरिमामय प्रस्तुति दी। सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल के इस आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। मंचस्थ महाराष्ट्र के प्रतिनिधि अजय मधुकर काले ने कहा कि महाराष्ट्र की संस्कृति के अनुरूप ही जहां भी कुछ मराठी समाज एकत्रित होते हैं वहां क्लब नहीं मंडल बनते है। जिसमें मनोरंजन के साथ समाजसेवा पर जोर दिया जाता है। साथ ही संस्कृति और परंपरा को सहेजने की लगातार कोशिशें जारी रहती है। यही वजह है कि महाराष्ट्र मंडल जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी ध्येय वाक्य को आत्मसात करता है।    
 

काले ने महाराष्ट्र के गौरवशाली इतिहास को स्पष्ट करते हुए छत्तीसगढ़ में महाराष्ट्र मंडल और समस्त मराठी समाज की गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र मंडल सिर्फ मराठी समाज का नहीं बल्कि समस्त समाज अथवा मानव जाति का निस्वार्थ भाव से करता है। काले से महाराष्ट्र मंडल की तमाम गतिविधियों और सेवा भावी कार्यों को राज्यपाल ने गंभीरता से सुना। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने महाराष्ट्र मंडल के कार्यों को उल्लेखनीय और अनुकरणीय बताया। 

समस्त राज्य प्रतिनिधियों के संबोधन के बाद महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर रहे महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय मधुकर काले के साथ सचिव चेतन गोविंद दंडवते, महाराष्ट्र नाट्य मंडल के निर्देशक अनिल श्रीराम कालेले, मराठा समाज के मोहन पवार और कुनबी समाज के एसएस ब्राह्रणकर ने राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन का सूतमाला, शाल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह से सम्मान किया।  
 

सम्मानित की गई मराठी समाज की विभूतियां

अनिल श्रीराम कालेलेः बचपन से ही अपने पिता श्रीराम कालेले की छत्रछाया में रंगकर्म से जुड़े अनिल श्रीराम कालेले ने जनजागरूकता के अनेक कार्य किए है। 200 से अधिक मराठी नाटकों का निर्देशन करने वाले कालेले एक सिद्धहस्त कलाकार भी है। अपने नाटकों के माध्यम से उन्होंने मराठी संस्कृति व परंपरा को छत्तीसगढ़ में न केवल जीवित रखने की कोशिश की बल्कि अनेकानेक रंगमंचीय कलाकारों के साथ उसे पोषित भी किया। शिक्षा के क्षेत्र में कालेले के योगदान को भूलाया नहीं जा सकता। अनेक जरूरतमंद और गरीब परिवार के बच्चों के लिए उन्होंने निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था तो की ही साथ ही कोचिंग और परीक्षा से पूर्व मार्गदर्शन भी किया। 84 वर्ष की आयु में भी कालेले में समाजसेवा का जुनून कम नहीं हुआ। 

चेतन गोविंद दंडवतेः निर्धन परिवार के संसाधन विहीन बच्चों की निःशुल्क पढ़ाई हो या उनके मुफ्त अथवा नाममात्र की फीस अथवा दान-दक्षिणा से उपनयन संस्कार अथवा विवाह करने का अवसर हो, 53 वर्षीय चेतन गोविंद दंडवते कभी पीछे नहीं रहते। महाराष्ट्र संस्कार केंद्र के संस्थापक के रूप में श्री चेतन ने बड़ी संख्या में गरीब बच्चों का मुंज (उपनयन संस्कार) और विवाह कराया है। साथ ही गरीब परिवार के बच्चों के स्कूल में फीस भरने की व्यवस्था की है। साल 2012 से महाराष्ट्र मंडळ के बतौर सचिव चेतन गोविंद दंडवते का पूरा जोर बच्चों को सांस्कारिक करने पर होता है। बी.ई. इलेक्ट्रॉनिक्स व एलएलबी श्री दंडवते आचार्य होने के नाते संस्कार, परंपरा और आदर्श जीवनशैली की बातें बच्चों व युवाओं को बेहतर तरीके से समझा व सीखा पाते हैं।

मोहन पवारः स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग और चीनी वस्तुओं के विरोध में व्यापक जनजागरण अभियान और बहिष्कार अभियान चलाने वाले मोहन पवार लघु व छोटे उद्योग व खुदरा व्यापारियों के लिए आंदोलन, गोष्ठियां, परिचर्चा करते रहते हैं। कोरोना काल में भी आवश्यक वस्तुओं का वितरण, कृषि और पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए श्री मोहन पवार ने सम्मेलन व गोष्ठियां आयोजित की। भाजपा, स्वदेशी जागरण मंच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, आयकर बार एसोसिएशन, अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद, छत्तीसगढ़ जनकल्याण मितव्ययी साख स्वायत्त सहकारिता मर्यादित, संस्कार भारती, आल इंडिया, नोटरी एसोसिएशन, श्री सुदर्शन प्रेरणा मंच, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, मीसा बंदियों का लोकतंत्र, सेनानी संघ समेत अनेक संगठनों के उच्च पदों पर और छत्तीसगढ़ शासन के संवैधानिक पद पर काम करते हुए जनसेवा के कार्य कर रहे हैं।

एसएस ब्राम्हणकरः किसी समय टेलीफोन आफिस में हेड क्लर्क के रूप में काम करने वाले एस.एस. ब्राम्हणकर का नाम आज राजधानी के बड़े समाजसेवी के रूप में लिया जाता है। 80 वर्षीय श्रावण सखाराम ब्राम्हणकर ने सेंट्रल गवर्नमेंट की स्थायी नौकरी छोड़कर पोल्ट्री फार्म का व्यवसाय शुरू किया और इसमें मिली सफलता के चलते उन्हें नेशनल प्रोडक्टिविटी अवार्ड से सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ प्रदेश कुनबी गौरव, कुनबी रत्न जैसे अनेक सम्मानों से नवाजे गए श्री ब्राम्हणकर छत्तीसगढ़ प्रदेश कुनबी समाज महा संगठन के प्रदेश संरक्षक व संस्थापक हैं। आज भी वे अपनी दिनचर्या का बड़ा हिस्सा समाजसेवा के लिए अर्पित करते हैं।