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सूर्य को यूं ही ना दें अर्घ्‍य... इन नियमों का करते चलें पालन... यश, धन में होगी वृद्धि, नष्ट हो जाएंगे विकार

शास्त्रों के अनुसार सूरज को जल चढ़ाना बड़े पुण्य का काम बताया गया है। प्राचीन समय से हमारी परंपरा और संस्कार में शामिल है कि स्नानादि के बाद सूर्य को अर्घ्‍य देते आए हैं। ऐसी प्रमाणिक मान्यता है कि प्रात: सूर्य को जल अर्पित करने से उम्र में वृद्धि होती है, तेज बढ़ता है और यश की प्राप्ति होती है। साथ ही आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलता है, तो विकार नष्ट हो जाते हैं। 

कुंडली में सूरज की मजबूत स्थिति से कई बिगड़े काम बन जाते हैं, वहीं सूरज की कमजोर मौजूदगी में जीवन संकटमय हो जाता है। आस्थावश रोजाना सुबह सूर्य देव को जल देना चाहिए। लेकिन उन्हें जल अर्पित करने से पहले कई बातों का ध्यान आपको जरूर रखना चाहिए, तो चलिए जानते हैं सूर्य देव को जल देते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना होगा। 

— सूर्योदय के समय ही सूरज को जल चढ़ाएं, ये सबसे लाभकारी मुहूर्त है। इस समय जल चढ़ाने से तेज सीधा आपके मुख पर पड़ता है। 
— वास्तु के अनुसार सूरज को हमेशा तांबे के बर्तन से ही जल चढ़ाएं। 
— जल चढ़ाते वक्त मुख पूरब दिशा की तरफ रखें।
— जल चढ़ाने से पहले तांबे के लोटे में अक्षत , फूल , रोली आदि डालें तब चढ़ाएं। 
— सूर्य को जल देते समय 'ऊं आदित्याय नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें।
— जल चढ़ाने के बाद जो पानी जमीन पर गिर जाता है उसको लेकर माथे पर लगाएं। ऐसा करने से सू्र्यदेव आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। 
— सूर्यदेव को अर्पित करें लाल फूल। 
— सूर्य कमजोर होने की स्थिती में सूरज को नियमित रूप से जल अर्पित करें।

इन मंत्रों का करें जाप — 
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ 
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः 
ॐ सूर्याय नम: 
ॐ घृणि सूर्याय नम: 
ॐ भास्कराय नमः 
ॐ अर्काय नमः 
ॐ सवित्रे नमः