स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की बैठक का आयोजन किया
नई दिल्ली | धर्मेंद्र प्रधान ने आरटीई अधिनियम, 2009 के कार्यान्वयन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के समग्र एवं परिवर्तनकारी प्रावधानों में निर्देशित देश में स्कूली शिक्षा को और प्रभावी बनाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की |
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के कार्यान्वयन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, यह मुख्य रूप से स्कूली शिक्षा तक पहुंच पर जोर देता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा व्यवस्था के संशोधन और पुनरुद्धार का भी उल्लेख किया गया, जिसमें इसका विनियमन और शासन शामिल है, ताकि एक ऐसी नई प्रणाली विकसित की जा सके जो स्कूली पाठ्यक्रम में समग्र, समावेशी और बहु-विषयक विकास प्रदान करके 21वीं सदी की शिक्षा के आकांक्षात्मक लक्ष्यों से समरूपता रखती हो।
इस अवसर पर धर्मेंद्र प्रधान ने अपने संबोधन में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच की गारंटी देने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया और आरटीई अधिनियम, 2009 के कार्यान्वयन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के समग्र और परिवर्तनकारी प्रावधानों द्वारा निर्देशित देश में स्कूली शिक्षा को और प्रभावी बनाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने आगामी वर्षों में शैक्षिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नवीन शिक्षण विधियों को एकीकृत करने और शिक्षण के परिणामों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए एक संपूर्ण योजना विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया जो एनईपी 2020 के अनुसार बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को सुनिश्चित करता है। इसके साथ-साथ श्री प्रधान ने शैक्षिक हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पहुंच, सामर्थ्य, समानता और समावेशिता सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए प्रभावी प्रशिक्षण और शिक्षण पद्धति के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता का उल्लेख किया।
डीओएसईएल के सचिव संजय कुमार ने शिक्षा नीतियों की परिवर्तनकारी यात्रा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के माध्यम से विकसित भारत के विज़न को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने परिषद के सदस्यों से शिक्षा क्षेत्र में प्रगति की समीक्षा करने और प्रतिभागियों को अपनी व्यावहारिक प्रतिक्रिया देने का आग्रह किया।
डीओएसईएल के अपर सचिव विपिन कुमार ने आरटीई अधिनियम 2009 के अंतर्गत सरकार की पहलों की वर्तमान स्थिति की जानकारी देते हुए, विशेष रूप से निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों, यूनिफॉर्म, मध्याह्न भोजन योजना और इससे संबंधित कई अन्य हस्तक्षेपों के प्रावधान का उल्लेख किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप, ये पहल समग्र शिक्षा योजना का मूलाधार हैं, जो शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और समानता एवं समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। इन बिंदुओं को एकीकृत करके, समग्र शिक्षा संपूर्ण विकास को बढ़ावा देती है और शिक्षण के परिणामों में सुधार लाती है, यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक बच्चे को प्राथमिक से माध्यमिक शिक्षा में बिना किसी बाधा के आवश्यक सुविधा मिले। चर्चा के दौरान यह भी उल्लेख किया गया कि आरटीई अधिनियम 2009 कक्षा 1 से कक्षा 8 तक की प्रारंभिक शिक्षा पर केन्द्रित है, लेकिन एनईपी-2020 15 वर्ष की स्कूली शिक्षा की समग्र विकासात्मक आवश्यकताओं का ध्यान रखता है।
राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्यों ने एक अधिक सुसंगत और न्यायसंगत शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए अपने बहुमूल्य विचार साझा किए। समिति के सदस्यों ने स्कूल इकोसिस्टम, शिक्षक शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिन्हें एनईपी 2020 में रेखांकित किया गया है। बैठक में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग एवं विभाग के स्वायत्त निकायों के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
इसके साथ-साथ एनसीईआरटी के निदेशक ने बताया कि संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की निर्धारित भाषाओं में 79 प्राइमर विकसित किए गए हैं। ये प्राइमर एनईपी 2020 के अनुसार हैं, जो बच्चों के समग्र विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए उनकी मूल भाषा में शिक्षा को बढ़ावा देता है। यह बैठक भारत में शिक्षा प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस बैठक में यह सुनिश्चित किया गया कि प्रत्येक बच्चे को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिले और शिक्षा में समानता एवं समावेशिता के सिद्धांतों को मजबूत किया जाए।