भूमि प्रबंधन पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला 22 देशों की वैश्विक भागीदारी के साथ गुरुग्राम, हरियाणा में शुरू
देश भर में ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देना; स्वामित्व योजना को ग्रामीण सशक्तिकरण के लिए एक मॉडल के रूप में प्रदर्शित किया गया |
प्रतिभागियों को सतत भूमि प्रबंधन के लिए ड्रोन सर्वेक्षण और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों में व्यावहारिक जानकारी मिली |
नई दिल्ली | पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में आज गुरुग्राम स्थित हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (एचआईपीए) में भूमि प्रबंधन पर अपनी तरह की पहली अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।
भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के तहत विदेश मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इस छह दिवसीय कार्यशाला में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के 22 देशों के 40 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी वैश्विक भूमि प्रबंधन चुनौतियों के समाधान के लिए नए रास्ते तलाशने हेतु एक साथ आए हैं। इसके उद्घाटन सत्र में पंचायती राज मंत्रालय में अपर सचिव सुशील कुमार लोहानी, विदेश मंत्रालय में अपर सचिव श्री विराज सिंह, पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर और हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक रमेश चंद्र बिधान सहित वरिष्ठ अधिकारियों की विशिष्ट भागीदारी देखी गई। यह ऐतिहासिक पहल तकनीकी नवाचार और भूमि अधिकारों को सुरक्षित करने के माध्यम से ग्रामीण भारत को बदलने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण से मेल खाती है।
पंचायती राज मंत्रालय में अपर सचिव सुशील कुमार लोहानी ने अपने संबोधन में स्वामित्व के पीछे के दृष्टिकोण और वैश्विक स्तर पर इसे उतारने की इसकी क्षमता को स्पष्ट किया और नीतिगत प्रगति तथा भूमि प्रबंधन को लेकर भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की। लोहानी ने कहा, “स्वामित्व सिर्फ भूमि मानचित्रण अभ्यास से कहीं अधिक का प्रतिनिधित्व करता है; यह सुरक्षित संपत्ति अधिकारों के जरिए ग्रामीण सशक्तीकरण की दिशा में व्यापक दृष्टिकोण है।” उन्होंने कहा, “67,000 वर्ग किलोमीटर में 3.17 लाख से अधिक गांवों का मानचित्रण करने के साथ, जो अनुमानित 132 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति हैं, हमने इस मॉडल की मापनीयता और प्रभाव का प्रदर्शन किया है। हम अपने अनुभवों को साझा करने और अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों से सीखने के लिए उत्सुक हैं ताकि दुनिया भर में भूमि प्रबंधन को सामूहिक रूप से आगे बढ़ाया जा सके”। लोहानी ने भूमि प्रबंधन में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों की परिवर्तनकारी भूमिका पर जोर दिया, तथा उस तकनीकी विशेषज्ञता को दर्शाया जिसने स्वामित्व को दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण मानचित्रण पहलों में से एक बना दिया है। उन्होंने कहा, "पारंपरिक सर्वेक्षण विधियों के साथ ड्रोन प्रौद्योगिकी के एकीकरण ने ग्रामीण क्षेत्रों के मानचित्रण के हमारे दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव किया है, जिससे अभूतपूर्व सटीकता और दक्षता हासिल हुई है।"
अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय में अपर सचिव विराज सिंह ने कार्यशाला के कूटनीतिक महत्व पर जोर दिया। सिंह ने कहा, " यह पहल दक्षिण-दक्षिण सहयोग और ज्ञान साझा करने की भारत की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। समान चुनौतियों का सामना कर रहे देशों को एक साथ लाकर हम वैश्विक स्तर पर भूमि प्रबंधन के मुद्दों का समाधान करने की दिशा में एक सहयोगी दृष्टिकोण को बढ़ावा दे रहे हैं।" उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने में आईटीईसी कार्यक्रम की भूमिका और आईटीईसी के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में पंचायती राज मंत्रालय के साथ सहयोग की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर ने कहा कि स्वामित्व योजना इस बात का उदाहरण है कि कैसे अभिनव दृष्टिकोण संपत्ति के अधिकारों को सुरक्षित करके और आर्थिक क्षमता को उजागर करके ग्रामीण समुदायों को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा, "स्वामित्व दर्शाता है कि भूमि प्रबंधन के लिए अभिनव दृष्टिकोण गरीबी में कमी, सुरक्षित भूमि स्वामित्व और सतत भूमि उपयोग से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सीधे योगदान दे सकते हैं।" भारतीय ड्रोन संघ के अध्यक्ष स्मित शाह ने भारत की तेजी से विकसित हो रही ड्रोन प्रणाली के बारे में जानकारी दी और बताया कि कैसे नीतिगत सुधारों और तकनीकी प्रगति ने भारत को भूमि प्रबंधन में ड्रोन-आधारित समाधानों में अग्रणी के रूप में स्थापित किया है।
उद्घाटन दिवस का एक प्रमुख आकर्षण अत्याधुनिक प्रदर्शनी थी, जिसमें भूमि प्रबंधन, डिजिटल भूकर (कैडस्ट्रल) सिस्टम और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों में नवीनतम प्रगति पर प्रकाश डाला गया। इस कार्यक्रम में सटीक ड्रोन मैपिंग और 3 डी भू-स्थानिक डेटा एनालिटिक्स से लेकर एकीकृत भूमि प्रबंधन प्रणालियों तक तकनीकी समाधानों की एक विस्तृत श्रृंखला का प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शनी में भूमि प्रबंधन को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए उच्च-सटीक सर्वेक्षण उपकरण और व्यापक जीआईएस अनुप्रयोगों पर भी प्रकाश डाला गया। इसमें ड्रोन तकनीक और यूएवी-आधारित भूमि प्रबंधन समाधानों में स्थानीय नवाचारों को प्रमुखता से दिखाया गया। साथ ही सरकारी निकायों के योगदान ने सर्वेक्षण-ग्रेड ड्रोन, सीओआरएस एंड रोवर सिस्टम और अन्य परिवर्तनकारी उपकरणों का प्रदर्शन किया। उपस्थित लोगों को ड्रोन उड़ान योजना, डेटा प्रसंस्करण तकनीकों और वास्तविक समय, उच्च-सटीकता सर्वेक्षण क्षमताओं के व्यावहारिक प्रदर्शनों में शामिल होने का अवसर मिला।