'मेक मी टैगोर, मदर' ने बच्चों और शिक्षिकों को अंतरात्मा से झकझोरा
2025-11-03 06:18 PM
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- एकल नाटक का मंचन देख स्कूल के शरारती बच्चों की भी आंखों हुई नम
रायपुर। 12वीं की पढ़ाई छोड़कर एक लड़का स्कूल के बाहर मजदूरी करता है। एक दिन वह उसे स्कूल के बच्चों के पास पहुंचता और उनसे बात करता है और उन्हें बताया कि आखिर उसकी पढ़ाई कैसे छूट गई और वो क्यों आज मजदूरी करने के लिए मजबूर है। वह लड़का अपने पढ़ाई के दिनों को याद करते हुए उस स्कूल के बच्चों से बताया है मैं भी टैगोर बनना चाहता था। टैगोर की तरह कविताएं और कहानी लिखने का उसे शौक था, लेकिन कैसे पारिवारिक मजबूरी के कारण उसके सपनों पर ब्रेक लग जाता है और वह बच्चों से कहता है कि मैं मजदूरी के पैसों से आगे की पढ़ाई करूंगा और उन मेरे जैसे मजबूर बच्चों की मदद करने के लिए शिक्षक बनूंगा। ताकि कोई और बच्चा अपने सपनों को मारकर मजदूर न बने। मौका था महाराष्ट्र मंडल द्वारा संचालित संत ज्ञानेश्वर विद्यालय में 'मेक मी टैगोर, मदर' एकल नाट्य के मंचन का।

स्कूल के सभागृह में मंचित एकल नाटक 'मेक मी टैगोर, मदर (मां मुझे टैगोर बना दे) ने बच्चों के साथ शिक्षकों की अंतरात्मा से झकझोरा कर रख दिया। सभी की आंखों नम हो गई। जम्मूा से पहुंचे लकी गुप्ताक के एकल अभिनय ने बच्चों् को शिक्षा के प्रति असरदार संदेश भी दिया।

स्कूल के प्राचार्य मनीष गोवर्धन ने कहा कि अब तक कई नाटक देखे लेकिन एकल अभियन के साथ यह नाटक अद्भुत था। अपने मंचन के दौरान लकी ने बच्चों को अपने नाटक में शामिल किया। किसी को अपना पोता बनाया तो किसी को अपना मित्र। किसी बच्चे को शिक्षक बनाकर शानदार प्ले प्रस्तुत किया। नाटक में एक गरीब बच्चे के शिक्षा को लेकर जीवटता की कहानी और उसके संवादों ने सभी के मन में घर किया। नाटक के मंचन के बाद शिक्षकों और बच्चों ने खुले मंच में पहुंचकर अपनी भावनाएं व्यक्त की।
