रायपुर

छत्तीसगढ़ में RTE की शुरु हुई जांच... तो निजी स्कूलों ने 347 करोड़ के भुगतान का रोया रोना... सरकार बदलने जा रही तरीका

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकार स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रही है। प्रदेश में मुफ्त अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की संख्या जहां बढ़ाई जा रही है, तो निजी स्कूलों में RTE के जरिए गरीब बच्चों को एडमिशन दिलाया जा रहा है, लेकिन इसमें गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। लिहाजा डीपीआई ने सभी 33 जिलों के 6 हजार स्कूलों में एडमिशन की जांच शुरु कर दी है। 

डीपीआई ने सभी जिलों के डीईओ को अलग-अलग दिन दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने को कहा है। प्रदेश में निशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी आरटीई के तहत प्रदेश के 6 हजार से अधिक स्कूलों में करीब 81 हजार छात्रों को दाखिला दिया गया है। इसमें से 5 हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां आरटीई के तहत सबसे ज्यादा छात्रों को एडमिशन दिया गया है। डीपीआई ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया है कि उनके जिले में आरटीई के तहत जितने भी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं,उन स्कूलों के संपूर्ण दस्तावेजों के साथ उपस्थित हों। इसके लिए अलग अलग जिलों के डीईओ को अलग-अलग तारीख दी गई है। अब तक 24 जिलों का रिकाॅर्ड चेक किया जा चुका है। अधिकांश जिले में भारी पैमाने पर छात्रों की संख्या में गड़बड़ी मिली है।
 

अरबों का भुगतान बकाया होने का रोना

इधर, प्राइवेट स्कूल संघ का कहना है कि आरटीई के तहत निजी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले छात्रों की फीस सरकार द्वारा पिछले चार से नहीं दी गई है। इसके लिए निजी स्कूल संघ कई बार डीईओ कार्यालय का घेराव भी कर चुका है। पिछले चार साल में 3 अरब 47 करोड़ रुपए बकाया है। इस बार भुगतान के लिए निजी स्कूल संघ प्रदेश स्तर पर तीन बार घेराव कर चुके हैं। इसके अलावा 2023-24 के लिए फिर से आरटीई के तहत भर्ती शुरु कर दी गई है।