छत्तीसगढ़

राजिम माघी पुन्नी मेला 5 फरवरी से, 15 दिनों तक लगेगा मेला

रायपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित राजिम में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक पंद्रह दिनों का मेला लगता है। राजिम में तीन नदियों महानदी, पैरी और सोंढूर का संगम है इसलिए इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां 5 फरवरी से 18 फरवरी तक मेला लगेगा।

राज्य शासन द्वारा वर्ष 2001 से राजिम मेले को राजीव लोचन महोत्सव के रूप में मनाया जाता था, वर्ष 2005 से इसे कुम्भ के रूप में मनाया जाता रहा था, और अब 2019 से राजिम माघी पुन्नी मेला  के रूप में मनाया जा रहा है। यह आयोजन छत्तीसगढ़ शासन धर्मस्व एवं पर्यटन विभाग एवं स्थानीय आयोजन समिति के तत्वाधान में होता है।

मेला की शुरुआत कल्पवास से होती है। पखवाड़े भर पहले से श्रद्धालु पंचकोशी यात्रा प्रारंभ कर देते हैं पंचकोशी यात्रा में श्रद्धालु पटेश्वर, फिंगेश्वर, ब्रम्हनेश्वर, कोपेश्वर तथा चम्पेश्वर नाथ के पैदल भ्रमण कर दर्शन करते हैं तथा धुनी रमाते हैं। 101 किमी की यात्रा का समापन होता है और माघ पूर्णिमा से मेला का आगाज होता है। इस वर्ष 5 फरवरी माद्य पूर्णिमा से 18 फरवरी 2023 महाशिवरात्रि तक राजिम माद्यी पुन्नी मेला आयोजित किया गया है।

राजिम माघी पुन्नी मेला में विभिन्न जगहों से हजारों साधू संतों का आगमन होता है, प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में नागा साधू, संत आदि आते हैं, तथा विशेष पर्व स्नान तथा संत समागम में भाग लेते हैं, प्रतिवर्ष होने वाले इस माघी पुन्नी मेला में विभिन्न राज्यों से लाखों की संख्या में लोग आते हैं और भगवान श्री राजीव लोचन तथा श्री कुलेश्वर नाथ महादेव के दर्शन करते हैं।

लोगो में मान्यता है कि भगवान जगन्नाथपुरी की यात्रा तब तक पूरी नही मानी जाती, जब तक भगवान राजीव लोचन तथा कुलेश्वर नाथ के दर्शन नहीं कर लिए जाते, राजिम माघी पुन्नी मेला का अंचल में अपना एक विशेष महत्व है।