युवा टीम की मेहनत का प्रतिफल... सफल रहा बृहन्महाराष्ट्र मंडल का राष्ट्रीय अधिवेशन
2025-01-14 03:47 PM
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- तीन दिवसीय आयोजन में आवास, भोजन, आगंतुकों के आवागमन का युवाओं ने उठाया जिम्मा
रायपुर। युवाओं को अगर कोई जिम्मेदारी दी जाए और उन्हें निर्णय लेने के लिए बिल्कुल फ्री छोड़ दिया जाए तो हमारे युवा कुछ भी कर गुजरने को तत्पर रहते है। जी, हां... महराष्ट्र मंडल रायपुर की युवा टीम भी कुछ इसी तरह की है। बीते दिनों चौबे कालोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल में बृहन्महाराष्ट्र मंडल की तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न हुआ। आयोजन की सफलता का पूरा श्रेय इस पूरे काम की जिम्मेदारी उठाने वाले युवाओं को जाता है, जिन्होंने अधिवेशन में आने वाले आगंतुकों के साथ आयोजन के दौरान खान-पान, रहवास, मंच व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी पूरी जीवटता के साथ पूरी की।
बृहन्महाराष्ट्र मंडल के इस राष्ट्रीय अधिवेशन की जिम्मेदारी को लीड कर रही थे बृहन्महाराष्ट्र मंडल के छत्तीसगढ़ कार्यवाह युवा सुबोध टोले। बृहन्महाराष्ट्र मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शेखर रावसाहेब अमीन और आयोजनकर्ता महाराष्ट्र मंडल रायपुर के अध्यक्ष अजय मधुकर काले और सचिव चेतन गोविंद दंडवते ने पूरे आयोजन को लेकर संपूर्ण जिम्मेदारी सुबोध टोले को सौंप दी। आयोजन को लेकर कार्यक्रम के 15 दिनों पूर्व से बैठकों का दौर शुरू हुआ।

आयोजन से पूर्व बैठक में लगातार अलग-अलग समिति का गठन किया गया। इस दौरान मंडल की युवा समिति और अन्य समितियों के युवा और ऊर्जावान साथियों की अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई। देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे प्रतिनिधियों के आवागन की पूरी जिम्मेदारी मंडल के सहसचिव सुकृत गनोदवाले और सचींद्र देशमुख ने संभाल रखी थी। वहीं उन प्रतिनिधियों के रुकने के लिए होटलों की व्यवस्था युवा समिति के समन्वक विनोद राखुंडे और प्रेम उपवंशी ने संभाला था। आयोजन स्थल पर ध्वनि और प्रकाश की व्यवस्था की जिम्मेदारी संत ज्ञानेश्वर स्कूल के प्रभारी परितोष डोनगांवकर और प्रवीण क्षीरसागर के जिम्मे थी। आयोजन स्थल में बैठक सहित अन्य व्यवस्था की महाराष्ट्र भवन प्रभारी निरंजन पंडित और नवीन देशमुख ने संभाल रखा था। वहीं खान-पान की जिम्मेदारी युवा आर्टिसन अजय पोतदार ने बखूबी निभाई। व्यासपीठ पर प्रोटोकाल का ध्यान रखते हुए सभी व्यवस्था भगीरथ काळेले ने अपने जिम्मे लिया था। इनके अलावा अन्य कई युवा इस अधिवेशन में तन,मन और धन से सेवा देने जुटे थे।