बृहन्महाराष्ट्र मंडल की 'झेप' में रोचक जानकारियों के लेख, कविताएं व गजल भी
2025-01-16 08:43 PM
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0- राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया था स्मारिका झेप का विमोचन
रायपुर। बृहन्महाराष्ट्र मंडल के 73वें राष्ट्रीय अधिवेशन के विधिवत उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथों स्मारिका झेप (उड़ान) का विमोचन किया गया। महाराष्ट्र मंडल रायपुर और बृहन्महाराष्ट्र मंडल के वरिष्ठ सभासद, रंगकर्मी रामदास यशवंत जोगलेकर ‘झेप’ के मानद संपादक हैं और उन्होंने झेप में बृहन्महाराष्ट्र मंडल और महाराष्ट्र मंडल की सविस्तार जानकारी के साथ विभिन्न लेखों का सटीक संपादन कर इसे संग्रहणीय बनाया है।
मानद सहयोगी संपादक रविंद्र ठेंगड़ी ने बताया कि मराठी स्मारिका झेप में उन 19 अतिविशिष्ट लोगों और संस्थाओं की जानकारी दी गई है, जिन्हें राष्ट्रीय अधिवेशन में कौतुक सम्मान से नवाजा गया। मराठी भाषी स्मारिका में कविता, विविध लेख पठनीय हैं। इनमें विशेष रूप से चेतन गोविंद दंडवते की अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाये जाने के दौरान 24 घंटों की रोमांचक आपबीती है। देवास के दिलीप कर्पे का नर्मदा परिक्रमा पर लेख जिज्ञासा जगाता हुआ लगता है। उज्जैन के रविंद अयाचित ने ‘सनातन धर्म और हम’ के माध्यम से कर्तव्यबोध कराया है। बड़ोदा के धनंजय मजुमदार ने अपने लेख में वर्तमान युग में बढ़ते अंधविश्वास का पठनीय विश्लेषण किया है।
ठेंगड़ी के अनुसार स्मारिका में दशकों पहले मनोहर शंकर कमाविसदार रचित लेख छत्तीसगढ़ी और मराठी में गजब की साम्यता पर चर्चा की गई है। इसमें बीसियों शब्दों के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि लगभग 300 साल पहले आज के मराठा शासकों ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। इससे मराठी छत्तीसगढ़ी का परस्पर संपर्क ही नहीं, परस्पर प्रभाव भी शुरू हो गया क्योंकि मराठी शासकों की भाषा थी और वह छत्तीसगढ़ी से प्रभावित होने के स्थान पर छत्तीसगढ़ी को प्रभावित करते रही। स्मारिका में वाराणसी के डॉ. प्रमोद भगवान पडवल का लेख काशी का मराठी अभिमान: रानी लक्ष्मीबाई और वाराणसी के ही पंडित सदानन पाठक कारखेडकर का लेख ‘राष्ट्रसमर्था पुण्यश्लोक देवी अहित्याबाई की पुण्यगाथा’ युवा पीढ़ी को जरूर पढ़नी चाहिए। इसमें दी गई जानकारियां हमें भी मालूम होनी चाहिए।
मानद सहायक संपादक रविंद्र ने बताया कि अभनपुर निवासी चंद्रकांत वाघ का लेख 'छत्तीसगढ़ के विकास में मराठी लोगों का योगदान' पठनीय है। इसमें वाघ ने छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के बाद मराठी लोगों के राज्य के विकास को लेकर किए गए कार्यों का व्यवस्थित ब्यौरा है। भोपाल की नीला करंबेलकर ने ‘भावनाओं को रफू करके देखिए’ के माध्यम से बिखरते रिश्तों को अपनी सहनशीलता से बनाए रखने की युक्ति बताई है।