‘जय-जय महाराष्ट्र माझा’ ने श्रोताओं में भरा जोश... मुंबई के सुप्रसिद्ध संगीतकार ऋषिकेश रानाडे ग्रुप ने अविस्मरणीय संगीतमय कार्यक्रम किया प्रस्तुत
2025-01-17 09:42 PM
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रायपुर। ‘ओंकार स्वरूपा सदगुरु समर्था’ भक्ति गीत पर श्रद्धालुओं से भरा सभागृह झूमने लगा। वहीं ‘जय-जय महाराष्ट्र माझा...’ में संगीतप्रेमी श्रोता जोश से अपने स्थान पर ही खडे़ होकर ताली बजाने लगे। बात हो रही है बृहन्महाराष्ट्र मंडल के राष्ट्रीय अधिवेशन में ‘…ते देखे कवि’ संगीतमय कार्यक्रम की। इसमें मुंबई में मराठी फिल्म इंडस्ट्री के सुप्रसिद्ध संगीतकार-गायक ऋषिकेश रानाडे ने संत तुकाराम, संत रामदास समर्थ, संत ज्ञानेश्वर समेत अनेक संतों- महात्माओं और उनकी रचनाओं का स्मरण करते हुए यादगार कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
‘कानडा राजा पंढरी च्या....’ से लेकर वीर सावरकर से संबंधित भावगीत तक ऋषिकेश रानाडे समेत उनके ग्रुप के नामचीन गायकों नचिकेत देसाई, प्राजक्ता रानाडे और अर्चना गोरे की सुमधुर आवाजों ने तीन घंटे तक दर्शकों को महाराष्ट्र मंडल के संत ज्ञानेश्वर सभागृह से हिलने नहीं दिया। एक से एक भाव व भक्ति गीतों के यह कार्यक्रम जितना जबरदस्त रहा, उतना ही बेहतरीन डॉ. समीरा गुजर का मंच संचालन भी रहा। हर एक गीत से पहले मराठी टीवी सीरियल्स की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री डॉ. समीरा ने उसके प्रस्तावना को इतने रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया कि वह गीत स्वमेव ही श्रवणीय हो गया।
महाराष्ट्र मंडल के कार्य प्रेरणादायी: डॉ. सक्सेना

‘… ते देखे कवि’ भावगीतों के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य क्षेत्र के क्षेत्रीय संघ चालक डॉ. पुर्णेंदू सक्सेना रहे। अपने संक्षिप्त संबोधन में डॉ. सक्सेना ने कहा कि महाराष्ट्र मंडल में आयोजित बृहन्महाराष्ट्र मंडल के राष्ट्रीय अधिवेशन में आकर गर्व हो रहा है। यहां देशभर से आए महाराष्ट्र मंडलों के प्रतिनिधियों का मैं हृदय से स्वागत करता हूं। 90 वर्षों से जनसेवा में सतत् कार्य कर रहे इसी महाराष्ट्र मंडल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार आ चुके हैं। उनकी यादों को न केवल महाराष्ट्र मंडल ने आज तक संजोकर रखा है, बल्कि उनके मार्गदर्शन व सीख कि ‘मंडल को सिर्फ मराठी समाज की ही नहीं, बल्कि हर समाज की सेवा करने में अग्रसर रहना है’, को आज भी अमल में ला रहा है। यही कारण है कि महाराष्ट्र मंडल अपने नि:स्वार्थ सेवाभाव के कार्यों के लिए प्रत्येक समाजों- संस्थाओं के लिए प्रेरणादायी है। डॉ. सक्सेना के संबोधन के बाद बृहन्महाराष्ट्र मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शेखर रावसाहेब अमीन व महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय मधुकर काले ने उनका शाल- श्रीफल व स्मृति चिन्ह से सम्मान किया।