दिव्य महाराष्ट्र मंडल

महाराष्‍ट्र मंडल के शंकर नगर केंद्र ने साझा की मकर संक्रांति की जानकारी

महिलाओं ने सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया हल्‍दी-कुंकू

रायपुर। म‍हाराष्‍ट्र मंडल के शंकर केंद्र की महिलाओं ने बसंत पंचमी की पूर्व संध्‍या पर हल्‍दी-कुंकू धूमधाम से मनाया। विशेष ड्रेस कोड में पहुंचीं महिलाओं ने सांस्‍कृतिक प्रस्तुतियों से मन मोह लिया। इस बीच सभी को मकर संक्रांति पर्व के महत्‍व के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी दी गई।

काले रंग के ड्रेस कोड में पहुंचीं आयो‍जक समिति की रेणुका पुराणिक, स्मिता कोमजवार, सुरेखा पाटिल, विनिता चितांबरे और अर्चना मैराल ने बताया कि मराठी समाज में मकर संक्रांति पर्व पर हल्‍दी-कुंकू कार्यक्रम बसंत पंचमी तक कभी भी पूरा किया जाता है। हल्दी-कुंकू में सुहागिन महिलाओं के आंचल में चावल, दलहन, बेर, मटर सहित विभिन्‍न खेतीहर डाली जाती है। इसे ही ओटी भरना कहते हैं। आयोजकों ने महिलाओं की ओटी भरने से पहले उखाना लेने (मराठी में शायरी के साथ पति का नाम लेना) की दिलचस्‍प शर्त रखी, जिसे सभी महिलाओं ने मजे से निभाया। फ‍ि‍र ओटी भरने के साथ की महिलाओं को वान (उपहार) दिया गया।

कार्यक्रम की संचालक रेणुका पुराणिक के साथ आयोजकों ने मकर संक्रांति से संबधित महत्‍वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए बताया कि ऋतु परिवर्तन की संधि के समय सूर्य अपनी दिशा एवं दशा बदलता है। यह खगोलीय घटना है। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के समय को संक्रांति के रूप से मनाया जाता है। तिलहन और दलहन की नई फसल आती है। ग्रामीण अंचल में किसान बंधु जब अपने खेतों का उत्पादन घर लेकर आते हैं, तो इसकी जानकारी देने के लिए घर की महिलाएं हल्दी-कुंकू के रूप में नई फसल के उत्पादनों को ओटी के रूप में अन्य आमंत्रित महिलाओं को देती हैं। यह एक प्रकार का प्रचार- प्रसार ही है कि कितने उन्नत किस्म का खाद्यान्‍न हमारे खेतों में उगाया गया है। यही बताने के लिए यानी अपनी व्‍यापारिक पहुंच बढ़ाने के लिए भी इसे ओटी में भरकर महिलाओं के माध्‍यम से घर- घर पहुंचाया जाता है।

इसके अलावा भी मकर संक्रांति पर्व में काले रंग का महत्‍व, नवविवाहिता को तिल से बने मीठे गहने क्‍यों पहनाए जाते हैं, जैसी कई पारंपरिक व आध्‍यात्मिक जानकारियां भी दी गईं।साथ ही रामरक्षा स्त्रोत और हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया। बड़ी संख्‍या में शंकर नगर केंद्र की महिलाओं ने हल्‍दी-कुंकू के पीले-लाल रंग की साड़ियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।