भारत को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी: काले
2025-02-07 06:05 PM
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- महाराष्ट्र मंडल अध्यक्ष ने सरदार पटेल की सर्वोच्च प्रतिमा को देश के लिए बताया प्रासंगिक
रायपुर। नर्मदा नदी के टापू पर स्थापित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा 182 मीटर यानी 597 फीट ऊंची है और इससे भी ऊंचा है तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से बनी इस प्रतिमा का उद्देश्य, जो समूचे देश को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए है। गुजरात प्रवास के दौरान स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सम़क्ष महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय मधुकर काले ने इस आशय के विचार किए। उन्होंने कहा कि इस प्रतिमा को देखने के बाद निश्चित ही हमारी युवा और भावी पीढ़ी सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में और भी बहुत कुछ जानना चाहेगी और देश को व्यापकता के संदर्भ में एकजुट रखने के उनके प्रयासों को समझेगी और स्वीकार भी करेगी।
मंडल अध्यक्ष ने कहा कि विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा को देखते हुए हमारे दिमाग में यही बात आती है कि हमें हमारे पाठ्रयक्रम में राष्ट्रपति महात्मा गांधी, भारत देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बारे में जितना पढ़ाया गया, उससे काफी कम देश के लौहपुरुष के बारे में जानकारी दी गई। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के बाद मन में सरदार पटेल को जानने और पढ़ने की जिज्ञासा होती है। सरदार पटेल की प्रतिमा के करीब ही सरदार पटेल मेमोरियल, म्यूजियम, ऑडियो-विजुअल गैलरी के माध्यम से हम अपनी जिज्ञासा को शांत कर सकते हैं।
काले ने कहा कि गुजरात में भरूच के निकट नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध से करीब साढे़ तीन किलोमीटर दूर साधू बेट नामक पर टापू पर स्थित स्टैचयू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए हम अपने ग्रुप के साथ योजनाबद्ध तरीके से भरपूर समय निकालकर आ सकते हैं। यहां घूमने और स्टैचयू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए पूरा दिन कम पड़ता है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हफ्ते के हर दिन (सोमवार को छोड़कर) सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। यहां आकर एंट्री के साथ, वैली ऑफ फ्लावर, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी साइट और सरदार सरोवर बांध घूमा जा सकता है। देश को गौरवान्वित करने वाले स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखकर यह भी अहसास होता है कि जवाहर लाल नेहरू को सन् 1955 में प्रधानमंत्री रहते हुए भारत रत्न मिला गया। जबकि देश की अखंडता के लिए सर्वाधिक अमूल्य योगदान देने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत रत्न देने में साल 1991 तक लंबा समय लग गया।
अजय काले ने कहा कि आज के संदर्भों में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी इसलिए भी प्रासंगिक है कि वर्तमान संदर्भों में जब भारत देश के एक हिस्से में पृथक खलिस्तान की मांग रह- रहकर उठते रहती है, तो दूसरी तरफ कई राज्यों की अंतरराष्ट्रीय सीमा के रास्ते घुसपैठिये आसानी से प्रवेश कर देश की एकता और अखंडता को चुनौती देते रहते हैं। ऐसे में जरूरत तो हर प्रांत के छोटे- बडे़ शहरों में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी लगाने की है, ताकि हम देश की एकता और अखंडता के महतव को समझ सकें।