'माहेरचा पहुणा... में नजर आया मायका का मेहमान होता है सबको प्रिय
रायपुर। मायके से आने वाला मेहमान सभी महिलाओं को प्रिय होता है। फिर चाहे किसी घर की बहू हो या सास सभी को अपने मायके से आने वाले भाई-बहन, माता-पिता और अन्य रिश्तेदार के प्रति अलग ही स्नेह होता है। यह आमतौर पर लगभग सभी घरों में देखा जाता है, लेकिन कहीं-कहीं सास को अपनी बहूओं के पीहर से आने वाले और बहूओं को सास की पीहर से आने वाले मेहमान खटकते है। इसे लेकर सोशल मीडिया में इन दिनों कई वीडियो भी बनाए जा रहे है। मायके के प्रति प्रेम का दिखाता मराठी नाटक 'माहेरचा पहुणा’ का शानदार मंचन गुरुवार 20 मार्च को महाराष्ट्र मंडल के संत ज्ञानेश्वर सभागृह में किया गया। जिसकी पटकथा और निर्देशन महाराष्ट्र नाट्य मंडल की अपर्णा काळेले ने किया है।
कथा कुछ इस प्रकार चलती है कि सास (प्राची डोनगांवकर) अपने घर के बरामदे में बैठी रहती है। सभी वहां जोगिन यानी हाथ देखने वाली महिला (अनु बोधनकर) आती है। वहां सास को बताती है कि तुम्हारे दिन अच्छे नहीं चल रहे है। लाल कपड़े वाले से थोड़ा बचकर रहना। इतना कहकर वह चली जाती है। थोड़ी देर बाद मंच में उनकी बड़ी बहू विमला (स्वाती डबली) और छोटी बहू श्यामा (अक्षता पंडित) आती है। सास जोगिन की बात दोनों को बताती है। थोड़ी देर बाद उनके घर बहू श्यामा की छोटी बहन सुमी (प्रीति शेष) आती है। उसने अपने हाथ में लाल रंग के पट्टे वाले घड़ी पहनी थी। जिसे देखकर सास का मिजाज कुछ बदल जाता है। वह उसे बुरा-बुरा कहने लगती है। जिससे वह नाराज होकर चली जाती है। इस पर सास की दोनों बहूएं श्यामा और विमला उनसे कहती है, कि आप भी किसकी बात में आकर कुछ भी कह देती है।
इनका संवाद खत्म होता ही है कि मंच में सास की भाभी (मनीषा वरवंडकर) का प्रवेश होता है। इत्तेफाक से वह लाल रंग की साड़ी पहनकर आती है। जिसे देखकर दोनों बहूओं विमला और श्यामा अपनी सास से कहती है कि देखिए मां जी आपकी भाभी भी लाल साड़ी पहनकर आई है, क्या आप इन्हें कुछ नहीं कहेंगी। इस पर सास कहती है कि अरे वो तो मेरे पीहर से आई है, और वो मेरी भाभी है, वह मेरा बुरा क्यों चाहेगी। सास-बहू की बहस के बीच श्यामा की बहन को समी को लेकर उनके घर वह जोगिन फिर उनके घर पहुंचती है। और कहती है कि मैंने तुम्हें लाल कपड़े वाले से बचकर रहने को कहा है। लाल कपड़े में तो साधू भी आते है। और किसी के पीहर से आने वाला कोई भी अपनी बेटियों की बुरा नहीं चाहता। फिर पर सास के घर से आए या बहू के घर से। जोगिन सभी से कहती है कि इस होली अपने गिले सिकवे को जलाए और भूल जाए। इनता कहकर सभी हंसी-हंसी एक दूसरे से मिलते है।